
डॉ सुशील सिंह चौहान/ उदयपुर . उदयपुर-बांसवाड़ा राजमार्ग संख्या-32 पर सलूम्बर तक मेगा हाइवे का निर्माण वन भूमि की जद में आने से अटक गया है। सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की इस डामर सडक़ के 62 किलोमीटर लम्बे हिस्से के राजस्थान स्टेट रोड डवलपमेंट कार्पोरेशन (आरएसआरडीसी) की ओर से विस्तारीकरण पर वन विभाग ने आपत्ति उठाई है। वन विभाग की आपत्ति से करीब 35 किलोमीटर का कार्य अधरझूल है। संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी इस समस्या का हल नहीं तलाशा जा सका है। ऐसे में कार्पोरेशन ने फिर से विवादित क्षेत्र की नई फाइल चलाकर वन विभाग के लखनऊ स्थित मुख्यालय से स्वीकृति मांगने की प्रक्रिया शुरू की है। गौरतलब है कि आरएसआरडीसी ने दो फेज में मेगा हाइवे का निर्माण शुरू किया है। पहले फेज में केवड़ा की नाल वाले 7 किलोमीटर वन क्षेत्र को बाहर रखा है। सलूम्बर बायपास के अतिरिक्त 6 किलोमीटर टुकड़े को इस फेज का हिस्सा बनाया है।
खटाई में कार्ययोजना
आरएसआरडीसी ने राजस्व नक्शे को ध्यान में रखकर मेगा हाइवे निर्माण का प्रस्ताव बनाया था। इसमें सडक़ और उसके दोनों ओर कुल 12 से 14 मीटर चौड़ा क्षेत्र राजस्व खाते में बोल रहा है। दूसरी ओर डामर सडक़ को छोडकऱ शेष क्षेत्र वन विभाग एवं वाइल्ड लाइफ के खाते में भी बोल रहा है। वन विभाग वर्ष 2009 में हुई सीमांकन रेखा को आधार मानकर उसके क्षेत्र में दखल पर आपत्ति जताई है।
राजस्व नक्शे में रोड
राजस्व नक्शे में रोड के इर्द-गिर्द करीब 14 मीटर का हिस्सा राजस्व रिकॉर्ड में सडक़ की खातेदारी में बोल रहा है। इसी हिस्से में निर्माण कार्य जारी है। अब वाइल्ड लाइफ की जमीन होना सामने आया है। नई फाइल तैयार कर आवेदन भेजा जा रहा है।
आर.सी. बलाई, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आरएसआरडीसी उदयपुर
मांगी अनुमति
जयसमंद क्षेत्र का हिस्सा वाइल्ड लाइफ की रेंज में है। यह क्षेत्र मेरे अधीन नहीं है। आरएसआरडीसी ने केवड़ा की नाल क्षेत्र में सडक़ की ब्लेक चोपिंग के लिए अनुमति मांगी है, जिसकी प्रक्रिया चल रही है।
आर.के.जैन, जिला वन अधिकारी, दक्षिण जोन उदयपुर
Published on:
04 May 2018 12:55 pm
बड़ी खबरें
View Allउदयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
