
उदयपुर झल्लारा. इस क्षेत्र की मानपुर पंचायत के दो फलां में बरसों से रह रहे लोग आए दिन वन विभाग की कार्रवाई से परेशान हो गए हैं। इनका कहना है कि छह दशक से हम यहां रह रहे हैं, बच्चे से बड़े इस जमीन पर हुए है और वन विभाग अब तोडफ़ोड़ करते हुए यहां से हटने को कह रहा है, हम हमारी जमीन को छोडकऱ कैसे जाएं।
दूसरी तरफ वन विभाग का कहना है कि यह जमीन तो हमारी है, बस राजस्व रिकार्ड में अभी बिलानाम बोल रही है, इसलिए हम यह कार्रवाई कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? पंचायत के हण्डी व साठिया फिफला पानी फलां में रह रहे करीब 160 परिवारों को बेघर होने का डर सता रहा है, ये परिवार करीब साठ वर्ष से भी अधिक समय से यहां रह रहे हैं।
रामलाल मीणा कहते है कि बिलानाम जमीन के खसरा संख्या 1 से 163 व 165 से 263 तक के नंबर पर 160 घरों की आबादी निवास कर रही है। इन परिवारों को पूर्व में राजस्व विभाग ने 91 की कार्रवाई की रसीद तक दी, जो उनकी जमीन होने का बड़ा दस्तावेज है लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं है।
बिना सूचना गिराया शौचालय
ग्रामीणों ने बताया कि गत दिनों वन विभाग ने अपनी जमीन बताकर रामा पुत्र मेघा मीणा का शौचालय बिना पूर्व सूचना के गिरा दिया। रामा ने बताया कि खुले में शौच मुक्ति अभियान के तहत ब्याज पर राशि लाकर शौचालय बनवाया और आंखों के सामने शौचालय तोड़ दिया। इधर, केशिया पुत्र डणगा मीणा व नानजी पुत्र नगजी मीणा को मुख्यमंत्री आवास के तहत मकान की स्वीकृति होने के बाद जैसे-तैसे मकान का निर्माण शुरू किया लेकिन आधा मकान बनने के बाद वन विभाग ने काम रुकवा दिया।
नहीं खोदने दे रहे कुएं
फलां के केशिया पुत्र शंकर, दामला पुत्र काना, राजिया पुत्र पाला, पाचिया पुत्र मावा, पालिया पुत्र रताना मीणा सहित कई ग्रामीणों के नरेगा के तहत स्वीकृत कुएं नहीं खोदने दिए जा रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि जिला कलक्टर सहित आला अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया लेकिन समाधान नहीं हुआ।
जमीन वन विभाग की है तो वो रोकेंगे ही लेकिन बिलानाम है तो वन विभाग नहीं रोक सकता। पटवारी को मौके पर भेजकर सीमा की नपती करवा देंगे। पूरी जांच करवाते है।
- वालीराम बुनकर, नायब तहसीलदार
जमीन हमारी ही हैं। राज्यपाल ने गजट अधिसूचना जारी की है, लेकिन राजस्व विभाग ने अब तक अमल दरामद नहीं किया जिससे रिकार्ड में बिलानाम ही बोल रही है। अमल दरामद की प्रक्रिया चल रही है। वनाधिकार कानून के तहत जो पात्र परिवार हैं, जो वनाधिकार के दायरे में आते हैं, 13 दिसम्बर 2005 से पूर्व जिसका कब्जा है, सरकार उसे पट्टा देगी, लेकिन इसके बाद कोई अतिक्रमण करता है तो सरकार उसे हटाएगी। वहां नया अतिक्रमण था जिसे हटाया है।
- नटवरसिंह शक्तावत, रेंजर, सलूम्बर
Published on:
07 Oct 2017 11:37 am
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