
सूचना प्रोद्योगिकी और डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में नित नए प्रयोग हो रहे हैं। इन प्रयोगों में गांवों की प्रतिभाएं भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है। ग्रामीण क्षेत्र के एेसे ही दो होनहार नाम है यश नागदा और वरूण नागदा। यश उदयपुर जिले के लोयरा गांव के रहने वाले हैं, जबकि वरूण लखावली से ताल्लुक रखते हैं। विद्याभवन पॉलिटेक्निक कॉलेज से इन्फोरमेशन टेक्नोलॉजी के डिप्लोमा में फाइनल इयर के छात्र यश व वरूण ने कैशलेश ट्रांजेक्शन आधारित ऑफलाइन ट्रांजेक्शन एप बनाया है।
दोनों प्रतिभाएं सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती है। यश के पिता का देहांत हो चुका है। मां निजी महाविद्यालय में सहायक है। जबकि वरूण के पिता निजी महाविद्यालय में गार्ड है। यश व वरूण ने बताया कि कॉलेज में हाई स्पीड नेट सुविधा नहीं होने से वे एक बड़े मॉल की वाई-फाई इंटरनेट सेवा से वीडियो डाउनलोड कर एंड्रायड डवलपमेंट सीखते थे। कॉलेज में जो पढ़ाया जाता, उसे वीडियो के माध्यम से बेहतर तरीके से सीखते थे।
एक लाख प्रोफेशनल्स में से हुआ चयन
यश व वरूण ने बताया कि इंफोसिस, आईबीएम, जियो सहित देश की नामी आईटी कम्पनियों ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन की तर्ज पर विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए 7 जून को टेकगिग कोड ग्लेडिएटर्स ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की। जिसमें देशभर के एक लाख से ज्यादा प्रोफेशनल्स ने हिस्सा लिया। परीक्षा तीन चरणों में हुई। पहले चरण में ऑनलाइन आंसर व दूसरे चरण में समस्या आधारित विषय पर एप बनाकर भेजना था।
यश व वरूण को ऑफलाइन कैशलेश ट्रांजेक्शन विषय मिला। परीक्षा के बाद एक लाख में से एक हजार प्रोफेशनल्स का चयन बैंगलुरू में ऑन द स्पॉट प्रोब्लम सॉल्युशन के लिए हुआ। इनमें यश व वरूण भी चुने गए। जिसके बाद इन्होंने यहां लगातार 24 घंटे काम कर ऑफ लाइन ट्रांजेक्शन एप तैयार की। जिसे एंड्रोयड थीम प्रतियोगिता में दूसरा स्थान मिला। इनाम स्वरूप इन्हें एक लाख की राशि प्रदान की गई। प्रतियोगिता में 12 श्रेणियों में तीन करोड़ के इनाम रखे गए थे।
मिले कई कंपनियों के ऑफर
यश व वरूण ने बताया कि एप को एक बड़ी आईटी कंपनी ने उनके आगामी ऑफलाइन ट्रांजेक्शन के लिए चुना है। प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान की टीम के एप पर कामकर कंपनी ऑफलाइन ट्रांजेक्शन लाएगी। उन्होंने बताया कि उन्हें इंफोसिस, आईबीएम, रिलायंस जियो ने उनकी टीम के साथ काम करने का भी ऑफर दिया है। उनकी टीम में देवकुमार भी शामिल रहे। उन्होंने बताया कि इस कार्य में प्रिंसिपल अनिल मेहता, मेंटर हेमंत मेनारिया और देवेन्द्र पुरोहित का सहयोग रहा।
इनोवेशन पर ध्यान
इनोवेशन पर विशेष ध्यान रखते हैं। विद्यार्थियों को स्टार्टअप के लिए तैयार करते हैं। जिससे वे खुद नौकरी तलाशने की बजाय दूसरों को नौकरी देने लायक बन सके। उसी का नतीजा है कि इन दोनों विद्यार्थियों ने एेसा कमाल कर दिखाया।
अनिल मेहता, प्राचार्य, विद्याभवन पॉलिटेक्निक कॉलेज
Published on:
14 Jun 2017 09:50 am
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