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जब टनल में फंसे मजदूरों को निकालने में मशीनें हुईं फेल तो उदयपुर के इंजीनियर का दिमाग आया काम, जानिए कैसे

uttarkashi silkyara tunnel collapse : उत्तराखंड की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में 17 दिन से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए 47 मीटर खुदाई के बाद जब मशीनें फेल हुई तो उदयपुर के माइनिंग इंजीनियर सनद कुमार जैन का दिमाग काम आया। उन्होंने वहां के प्रोजेक्ट अधिकारियों से संपर्क कर आगे का काम मैन्यूअल (मशीन रहित) करने का सुझाव दिया

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मोहम्मद इलियास। उत्तराखंड की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल (uttarkashi silkyara tunnel collapse) में 17 दिन से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए 47 मीटर खुदाई के बाद जब मशीनें फेल हुई तो उदयपुर के माइनिंग इंजीनियर सनद कुमार जैन का दिमाग काम आया। उन्होंने वहां के प्रोजेक्ट अधिकारियों से संपर्क कर आगे का काम मैन्यूअल (मशीन रहित) करने का सुझाव दिया और कहा कि उन्हें 10-15 ऐसे मजबूत दिल वाले मजदूर दे दो तो वे इस काम को करवा लेंगे। जैन के इस सुझाव पर वहां कमेटी में चर्चा हुई और सलाह के बाद मैन्युअल काम का निर्णय लेते हुए रेट माइनर्स को बुलाया गया। जिन्होंने 800 एमएम के पाइप में घुसकर ड्रिलिंग करते हुए ट्रॉली के जरिए मलबा व पत्थर बाहर निकाले।

रेट माइनर्स वे मजदूर होते हैं, जो पाइप में घुसकर माइनिंग का काम करते हैं। अधिकारियों की सलाह पर रेट माइनर्स ने वही काम किया है। इसके लिए पांच टीमें बनाई गई, जिनमें से एक-एक टीम में दो-दो मजदूरों ने महज 21 घंटे में बखूबी इस काम को अंजाम देते हुए कामयाबी हासिल की। गौरतलब है कि टनल में 52 मीटर दूर मजदूर फंसे हुए थे और 47 मीटर के बाद मशीनें फेल हो गई थी।


मशीनें फेल होते ही दिया सुझाव
न्यू नवरतन कॉम्पलेक्स निवासी माइनिंग इंजीनियर सनद कुमार जैन उत्खनन विशेषज्ञ हैं। उन्होंने वर्ष 2017 में जम्मू कश्मीर की चेनानी-नाशरी सुरंग में उत्खनन विशेषज्ञ के रूप में काम किया। जैन का कहना है कि वे 12 नवम्बर से लगातार इस खबर को लेकर जानकारी जुटा रहे थे। उदयपुर तक उन्हें आधी अधूरी जानकारी मिल पा रही थी। जब मशीनों से खुदाई का काम चल रहा था तो सभी आश्वास्त थे कि सफलता मिल जाएगी, लेकिन उन्हें आशंका थी कि जैसे-जैसे यह खुदाई आगे जाएगी, मुश्किल बढ़ेगी। मशीनरी सिर्फ मलबे को आगे धकेलने का काम करेगी और यही हुआ। 47 मीटर पर जाकर मशीनों ने जवाब दे दिया। हिन्दुस्तान जिंक सहित कई माइंस में काम करने वाले इंजीनियर जैन का कहना है कि मशीनों के फेल होने के बाद जब अधिकारी सोच में थे, तब उन्होंने प्रोजेक्ट पर लगे माइनिंग इंजीनियरिंग ऑफ इंडिया के जोसफ से संपर्क साधा और वाट्सअप पर लगातार सुझाव देते रहे।

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