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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय का 23वां दीक्षांत समारोह शनिवार दोपहर 11 बजे से स्वर्ण जयंती सभागृह में शुरू हुआ। मेडल लेते समय दीक्षार्थियों के चेहरे खिल उठे थे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल उपस्थित रहीं। इसी के साथ उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया और ऊर्जा मंत्री पारस जैन, सांसद चिंतामणि मालवीय, विधायक मोहन यादव आदि मौजूद थे।
विद्यार्थी उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ें
राज्यपाल ने कहा आज हमारा देश प्रगति के नए सोपानों पर आगे बढ़ रहा है। इस उन्नति में शिक्षित युवक-युवतियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। शिक्षा के अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियां और उपाधियां अर्जित करने वाले विद्यार्थी उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा आज इस दीक्षांत अवसर पर मैं आप सभी से इस महान राष्ट्र के समग्र विकास में अपना योगदान समर्पित करने का आह्वान करती हूं। विश्वविद्यालयों द्वारा एक-एक गांव गोद लेने से वहां के निवासियों, विद्यार्थियों, महिलाओं के जीवन में एक नए युग व नई आशा की किरण जाग्रत हो सकती है। स्वयं को समर्पित करें, तो इनकी तस्वीर बदल सकती है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में जागरुकता लाने की आवश्यकता है। अभी भी गांवों में सभी महिलाओं तक शिक्षा पहुंचाने का काम चल रहा है।
सदियों से हुआ इस नगरी की महिमा का गान
उज्जैन की इस भूमि ने विक्रमादित्य जैसे प्रतापी और न्यायशील राजा को यशस्वी बनाया। यहां कृष्ण-बलराम और सुदामा ने शिक्षा ग्रहण की। महाकवि कालिदास के विश्वविश्रुत साहित्य में इस नगरी का महिमा गान हुआ है। अनेक साहित्यकार इस नगर और विश्वविद्यालय से जुड़े रहे हैं। सहज में मिली इस परंपरा को हम अवश्य आगे बढ़ाएंगे।
राज्यपाल ने बताई मोदी की उपलब्धियां
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों के बारे में कहा कि मोदी के मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, पर्यावरण, स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ आदि योजनाएं चलाई जा रही हैं। कई योजनाएं युवाओं को रोजगार देने के लिए हैं। देश को बाहर शौच से मुक्त कराने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चार वर्ष में पूरे देश में 8 करोड़ 30 हजार शौचालय बनाए गए हैं, जिसमें से 65 लाख से ज्यादा मप्र में बने हैं।
फेक्ट फाइल
समारोह में 210 विद्यार्थियों को पीएचडी, 1 विद्यार्थी को डि-लीट, 48 को गोल्ड मेडल दिया गया।
इन्होंने 2014 में उठाया था भारतीय वेशभूषा का मुद्दा
डॉ. अवधेशपुरी ने 25 जुलाई 2014 को विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह मे गाउन का बहिष्कार किया और बिना गाउन के डिग्री ली। इसी विरोध के चलते हरियाणा और राजस्थान में भारतीय वेश-भूषा में डिग्री देना शुरू हुआ। मप्र में भी इस परंपरा को अपनाया गया, लेकिन विक्रम विश्वविद्यालय में शनिवार को पहली बार भारतीय वेशभूषा में डिग्री व मेडल प्रदान किया जाएगा। अवधेशपुरी ने रामचरित मानस में मानवीय मूल्य पर पीएचडी की है। अभियान को सफल बनाने के लिए 25 जुलाई 2014 को अवधेशपुरी ने तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, उच्च शिक्षामंत्री भारत सरकार, लोकसभा स्पीकर, पीएमओ को गाउन की बजाय भारतीय परिधान में दीक्षांत समारोह आयोजित किए जाने की मांग रखी थी।
Published on:
30 Jun 2018 02:31 pm
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