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सिंहस्थ 2028 में 42 फीसदी ज्यादा की जरुरत…फिर भी छोड़ रहे जमीन

मास्टर प्लान2035 में सात करोड़ यात्रियों के आने की जताई है संभावना, पहले ही सिंहस्थ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो चुके अतिक्रमण फिर भी जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी की भूमि को सिंहस्थ क्षेत्र में शामिल करने को नहीं तैयार

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42 percent more needed in Simhastha 2028... still leaving the land

मास्टर प्लान2035 में सात करोड़ यात्रियों के आने की जताई है संभावना, पहले ही सिंहस्थ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो चुके अतिक्रमण फिर भी जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी की भूमि को सिंहस्थ क्षेत्र में शामिल करने को नहीं तैयार

(जितेंद्रसिंह चौहान ) उज्जैन। शहर के मास्टर प्लान २०३५ में जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी की भूमि को सिंहस्थ क्षेत्र में शामिल करने व छोडऩे को लेकर भले ही विवाद चल रहा हो लेकिन वर्ष २०२८ के सिंहस्थ के लिए ४२ फीसदी अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता जताई गई है। ऐसे में अगर दोनों क्षेत्रों की जमीन शामिल नहीं की गई तो आने वाले सिंहस्थ में एक बड़ी जमीन की कमी सामने आ सकती है। दरअसल इसी जमीन पर पिछले सिंहस्थ में सेटेलाइट टाउन से लेकर पार्किंग तथा संतों के आश्रम तक स्थापित हुए थे। यदि जमीन छोड़ी जाती है तो सिंहस्थ क्षेत्र शहर से पांच से सात किमी दूर पहुंचने की संभावना रहेगी।
मास्टर प्लान २०३५ में सिंहस्थ क्षेत्र को लेकर विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है। इसमें बताया गया है कि वर्ष २०१६ के सिंहस्थ मेले के लिए ३०६१.६०७ हेक्टयर भूमि अधिसूचित की गई थी। इसमेंं सेटेलाइट टाउन के लिए ३५२.९१५ हेक्टयर जमीन थी। दोनों मिलाकर करीब ३४१४ हेक्टयर जमीन ली गई थी। अब वर्ष २०२८ सिंहस्थ में ४२ फीसदी जमीन की बढ़ोतरी संभावित है। यानी अगले सिंहस्थ में १४०० हेक्टयर जमीन और बढ़ाना होगी। लिहाजा अब सिंहस्थ क्षेत्र में नई जमीन को भी अधिसूचित करना होगा। ऐसे में शहर के नजदीक जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी की जमीन ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। चूंकि यह जमीन शहर के नजदीक है और सिंहस्थ क्षेत्र ेंपहुंच का एक प्रमुख मार्ग भी है। यदि इसे छोड़ दिया जाता है तो सिंहस्थ मेले के लिए बडऩगर रोड या उन्हेल-नागदा रोड की तरफ अतिरिक्त जमीन लेना होगा। इससे मेला क्षेत्र शहर से ओर दूर हो जाएगा और यात्रियों को लंबी दूरी तय करना पड़ेगी। बता दें कि मास्टर प्लान २०३५ में इस जमीन को कृषि भूमि से सीधे आवासीय घोषित करना प्रस्तावित किया गया है। इसी का विरोध अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद सहित शहर के अन्य जनप्रतिनिधि भी कर रहे हैं।

हर सिंहस्थ में बढ़ा जमीन का क्षेत्रफल
१२ वर्ष में एक बार लगने वाले सिंहस्थ मेले के लिए हर बार जमीन में इजाफा किया गया है। वर्ष २००४ के सिंहस्थ में १२५० हेक्टयर की तुलना में २०१६ के सिंहस्थ में ९१६ हेक्टयर जमीन बढ़ाई गई थी, जो कि कुछ अधिसूचित जमीन का ४२ फीसदी थी। इसी आधार को ध्यान में रखते हुए मास्टर प्लान में वर्ष २०२८ के इतना ही सिंहस्थ का क्षेत्रफल बढ़ाए जाने की संभावना व्यक्ति की गई है।
सात करोड़ से ज्यादा आएंगे श्रृद्धाुलु
सिंहस्थ २०१६ में करीब ५ करोड़ श्रृद्धालु शहर आए थे। मास्टर प्लान में २०२८ में यह संख्या ७ करोड़ से अधिक पहुंचने की संभावना जताई गई है। इसके अलावा साधु-संतों के पंडाल की साइज और उनकी संख्या में इजाफा होगा। इसीलिए वर्ष २०२८ के सिहंस्थ में श्रद्धालु की ज्यादा संख्या को ध्यान में रखते हुए ज्यादा जमीन की आवश्यकता जताई गई है।
इसलिए है महत्वपूर्ण है जमीन
- जीवनखेडी और सांवराखेड़ी की जमीन का उपयोग सिंहस्थ २०१६ में किया था। यहां सेटेेलाइट टाउन, पार्किंग व संत-महात्माओं के आश्रम बने थे।
- सिंहस्थ बायपास के रूप में यह सीधे बडऩगर व मुल्लापुरा तक आसान पहुंच मार्ग है। जो सिंहस्थ का महत्वपूर्ण मार्ग है।
- सिंहस्थ २०२८ में सर्वाधिक यात्री इंदौर रोड से आएंगे जो सिंहस्थ मेले के लिए इसी मार्ग का उपयोग करेंगे।
- जीवनखेड़ी व संावराखेड़ी की खाली जमीन पर यात्री व संतों की सुविधा के लिए विभिन्न निर्माण के लिए जरुरी रहेगी।

इनका कहना
हम महाकाल की प्लानिंग १०० साल की कर रहे हैं लेकिन सिंहस्थ की २०२८ की प्लानिंग नहीं कर पा रहे हंै। जब सिंहस्थ में ७५ फीसदी ट्रॉफिक इंदौर तरफ से रहेगा तो सिंहस्थ बायपास के दोनों ओर की जमीन को आवसीय क्यों किया जा रहा है। जबकि पूर्व में तय किया था कि जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी कके लेफ्ट में १०० मीटर तथा राइट में पूरा क्षेत्र सिंहस्थ रहेगा। इसका प्रस्ताव भी भेजा था फिर इसे सिंहस्थ क्षेत्र में शामिल करने में क्या परेशानी है।
- सोनू गेहलोत, पूर्व निगम अध्यक्ष
मास्टर प्लान २०३५ में सिंहस्थ भूमि को लेकर आई आपत्तियों को लेकर शासन स्तर पर फिर से सुनवाई हो रही है। इस विषय में सीधे शासन को आपत्ति दर्ज की जा सकती है।
- सीके साधव, ज्वाइंट डायरेक्टर, नगर तथा ग्राम निवेश