
शहरी रूट पर बसों का संचालन कभी भी हो सकता है बंद, कुल 89 में से 57 बस ऑफ रोड, विधिक राय के बाद निर्णय होने के आसार
उज्जैन। शहरी रूट पर सिटी बसों के संचालन का ठेका निरस्ती का फैसला मेयर इन काउंसिल में होगा। इसी सप्ताह होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर कुछ भी फैसला होने के आसार हैं। ऑपरेटर ने कुछ माह पूर्व संचालन करने में असमर्थता जताते हुए निगम को आवेदन पत्र दिया था, जिसमें ठेका निरस्त करने का अनुरोध है। किन शर्त व नियमों के साथ संचालन कंपनी से वापस लिया जाए इसको लेकर एमआइसी में चर्चा होना है। इधर यदि ठेका निरस्त होता है तो बेपटरी हो रही ये सेवा और संकट में पड़ जाएगी। इधर शहरी व उपगरीय मिलाकर कुल ८९ बसों में से ५७ बसें ऑफ रोड होकर मक्सी रोड डीपो में धूल खा रही हैं।
जेएनएनयूआरएम में करोड़ों रुपए के फंड से खरीदी गई सिटी बसों के संचालन में फिर से बड़ा रोड़ा आ गया है। करीब सवा साल में ही ऑपरेटर रॉयल ट्रैवल्स ने घाटे का हवाला देते हुए इस सेवा से दूर होने का पत्र निगम को दे दिया। जबकि ठेका अवधि तीन वर्ष की है। नाममात्र के किराए पर संचालन होने के बावजूद भी ऑपरेटर ने बसों की खस्ता हालत व भारी भरकम मेंटेनेंस वहन करने में अमसर्थता जता दी। शहरी रूट पर ३९ में से चालू हालत में होने से ऑपरेटर ने केवल १९ बसों का संचालन किया, लेकिन इसमें से भी ६ बस खराबी के कारण डिपो में खड़ी हो गईं। यानी शहरी रूट पर केवल १३ बसें ही संचालित हो रही है।
८१ रुपए रोज किराया, बावजूद सेवा बेपटरी
निगम ने रॉयल ट्रैवल्स के संचालक दिलराज गांधी को शहरी रूट पर सिटी बस का ठेका ८१ रुपए प्रतिदिन में दिया है। लेकिन इतने कम किराए पर भी ऑपरेटर इस सेवा को सुचारु नहीं रख पाए। बसों के एवज में ११ लाख रुपए अर्नेस्ट मनी जमा है। जितना किराया कंपनी पर बकाया है यदि वह जमा नहीं हुआ तो ठेका शर्त अनुसार निगम अर्नेस्ट मनी में से ये राशि काटेगा। प्रकरण में कोई कानूनी पेंच ना आएं इसके लिए यूसीटीएसएल की ओर से विधिक अभिमत लेने फाइल अभिभाषक को भेजी है। अगली एमआइसी में इस पर अंतिम निर्णय होना है।
४.५ करोड़ से सुधरवाईं, बस फिर खराब, पॉट्र्स नहीं
निगम ने दो साल पहले ४.५० करोड़ की लागत से ३९ सीएनजी बसों की मरम्मत टाटा कंपनी के जरिए करवाई थी। ये बसें बाद में फिर खराब हो गईं। इनमें से फिलहाल केवल १३ बस ही ऑन रोड हैं। कुछ के स्पेअर पॉट्स्र नहीं मिलने से इनका सुधार संभव नहीं हो पा रहा। मालूम हो, टाटा कंपनी ने देश में उज्जैन के लिए विशेष मॉडल की बसें बनवाई थी बाद में इस मॉडल का बनना ही बंद कर दिया। इस कारण पॉट्र्स मिलने में काफी दिक्कत हो रही है। वहीं टाटा व निगम के बीच बस खरीदी का लाखों का भुगतान बकाया भी चल रहा है। इस कारण भी कंपनी प्रबंधन विशेष बसों के सुधार पर अधिक ध्यान नहीं दे रहा।
Published on:
11 Jun 2018 07:00 am
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