माता पार्वती ने कुंड गण को आज्ञा दी कि वह उन्हें शिव के दर्शन कराए। जब कुण्ड दर्शन नहीं करा सका, तो पार्वती ने उसे मनुष्य लोक में जाने का श्राप दिया। इसी बीच शिव वहां उपस्थित हो गए। पार्वती ने कुण्ड से कहा कि तुम महाकाल वन में जाओ, वहां भैरव का रूप लेकर खड़े रहो। उत्तर दिशा में सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला शिवलिंग है, उसका पूजन करो। शिवलिंग का नाम तुम्हारे नाम पर कुण्डेश्वर विख्यात होगा।