कुछ समय के बाद हैहयवंश में कार्तवीर्य अर्जुन राजा हुआ। वह सहस्त्रबाहु था। उसने कामधेनु के लिए जमदग्नि ऋषि को मार डाला। पिता के वध से क्रुद्ध हो परशुराम ने परशु से अर्जुन की हजार भुजाएं काट डालीं। फिर परशु से उसकी सेना का भी नाश कर डाला। इसी अपराध को लेकर उन्होंने क्षत्रियों का 21 बार पृथ्वी से नामों निशान मिटा दिया। ब्रम्ह हत्या पाप के निवारण हेतु परशुराम ने अश्वमेध यज्ञ किया और कश्यप मुनि को पृथ्वी का दान कर दिया। इसके साथ ही अश्व, रथ, सुवर्ण आदि नाना प्रकार के दान किए, लेकिन फिर भी दोष दूर नहीं हुआ। फिर वे रैवत पर्वत तपस्या करने गए लेकिन दोष दूर नहीं हुआ, तो वे हिमालय तथा बद्रिकाश्रम गए। उसके बाद नर्मदा, चन्द्रभागा, गया, कुरुक्षेत्र, नैमीवर, पुष्कर, प्रयाग, केदारेश्वर आदि तीर्थों के दर्शन कर स्नान किया। फिर भी ब्रम्ह हत्या दोष का निवारण नहीं हुआ।