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अलर्ट: आपके क्षेत्र में ऐसे पेड़ हैं तो हो जाए सतर्क

वृक्षों को सीमेंट कांक्रीट से ढंक उनका दम घोंटने के साथ हमारी जान को भी खतरा

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Alert: Be alert if there are such trees in your area

वृक्षों को सीमेंट कांक्रीट से ढंक उनका दम घोंटने के साथ हमारी जान को भी खतरा

उज्जैन. विकास की दौड़ में हमने पेड़ों के आसपास सीमेंट कांक्रीट कर ढंकने से इनका ही दम नहीं घोंट रहे, बल्कि कमजोर हो रहे पेड़ हमारी जानमाल के लिए खतरा बने हुए हैं। यह पेड़ सडक़ किनारे हैं तो इनके आसपास दुकानें व लोगों की आवाजाही है। ऐसे में जब कभी तेज हवा चलने से भरभराकर गिरते हैं, तो इनकी चपेट में आने से लोगों की जान के साथ बड़ा आर्थिक नुकसान भी होता है।
संभलने की जरूरत
पेड़ों के आसपास सीमेंट से ढंकने से जड़ों तक पानी नहीं पहुंच रहा। पेड़ों की जड़ों तक पानी नहीं पहुंचने से इनके तने खोखले हो रहे हैं। पेड़ों की जड़े ज्यादा जमीन के अंदर नहीं जा पा रही है तो सडक़ों पर उभर रही है। जड़ों को ढंकने पर पेड़ों का जल व उनका पोषण तंत्र प्रभावित होता है। इससे सांस की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
जड़ें बाहर निकली तो एक ओर झुके पेड़
फ्रीगंज क्षेत्र में ही छोटे-बड़े मिलाकर करीब 500 से ज्यादा पेड़ है। इनमें से अधिकांश पेड़ों की जड़ों के सीमेंट या डामरीकरण कर ढंक दिया है। फुटपाथ पर पेवर ब्लॉक लगाकर पेड़ों को कस दिया है। इनके ढंके होने से कई जगह पर पेड़ एक ओर झुक गए तो कइयों की जड़ें बाहर निकल आई है। हालत यह है कि पेड़ों की झुकने से पक्की जगह भी धीरे-धीरे उखड़ कर बाहर आ गई है। ऐसे में इन पेड़ों के कभी भी गिरने का खतरा बना हुआ है।
दो हादसों में एक की मौत, 6 घायल
शहर में पेड़ गिरने के हाल ही में हुई दो घटनाओं में एक व्यक्ति की मौत तो करीब छह लोग घायल हो चुके हैं। इसमें छोटा सराफा में गिरे पेड़ के कारण अयाज बेग की मौत हुई थी। वहीं दुकान संचालक घायल हो गया था। ऐसे ही फ्रीगंज में टॉवर के पास पेड़ गिरने से इसकी चपेट में पांच लोग आ गए। जिन्हें चोट आने पर अस्पताल ले जाया गया। यही नहीं, इन पेड़ों के गिरने से दुकानें, वाहन भी टूटे और लाखों रुपए का नुकसान हुआ।
जागरूक होना होगा
वृक्षों को सहेजने की जरूरत है। जिस तरह हमने पेड़ों के आसपास पक्के निर्माण कर दिया है, उससे उनकी सेहत प्रभावित हो रही है। अब तक हमने जितने पेड़ों को गिरते देखा है, उनमे कहीं न कहीं जड़ों के आसपास निर्माण होना है। इन्हें बचाने के लिए सामूहिक प्रयास व जागरुकता की जरूरत है।
-प्रशांत शर्मा, पर्यावरण विद्