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बाबा महाकाल की सवारी और जन्माष्टमी एक दिन, 11 साल बाद बना है खास योग

3 सितंबर को दोनों आयोजन, शाही सवारी की तैयारी शुरू, जन्माष्टमी की भी रहेगी शहर में धूम, योग का धार्मिक महत्व भी

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mahakal shahi sawari - sawan somwar - shiv puja

mahakal shahi sawari - sawan somwar - shiv puja

उज्जैन. 11 वर्ष बाद फिर योग आया है, जब राजाधिराज महाकाल का शाही भ्रमण होगा और भगवान कृष्ण के मंदिरों में प्रभु के जन्मोत्सव की धूम रहेगी। 3 सितंबर को शाही सवारी निकलेगी और नगर में जन्माष्टमी का उल्लास होगा।

श्रावण- भादौ मास में भगवान महाकाल की सवारियों के क्रम में इस बार राजा महाकाल की शाही सवारी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन निकलेगी। ज्येष्ठ अधिकमास की गणना से यह संयोग बन रहा है। 2007 में भी जन्माष्टमी के दिन शाही सवारी निकली थी। उस समय भी 3 सितंबर को सोमवार और भादौ कृष्ण अष्टमी थी। इस बार भी तारीख, तिथि और वार का वैसा ही संयोग बन रहा है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 3 सितंबर को वैष्णवमत की जन्माष्टमी है। इस दिन अपराह्न काल में राजाधिराज महाकाल की शाही सवारी निकलेगी। सवारी के बाद मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण मंदिरों में भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। 2007 में भी दो ज्येष्ठ मास थे, उस समय भी 3 सितंबर को जन्माष्टमी के दिन शाही सवारी निकली थी।

अनादिकाल से परंपरा
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में श्रावण-भादौ मास में भगवान महाकाल की सवारी निकलने की परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। श्रावण के सभी सोमवार को और भादौ मास के दो सोमवार को अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। सवारियों के क्रम में सबसे आखिरी और भादौ की दूसरी सवारी शाही स्वरूप में निकली जाती है। इस सवारी का मार्ग महाकाल की अन्य सवारियों में अधिक लम्बा होता है। 3 सितंबर को शाही सवारी निकलेगी।

यह होता है रूट
शाही सवारी मंदिर से विधिवत पूजन-अर्चन के बाद शाम 4 बजे से सवारी प्रारंभ होता है। प्रमुख मार्गों से होकर सवारी मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचती है। यहां पुजारी भगवान महाकाल का शिप्रा जल से अभिषेक कर पूजा-अर्चना करते हैं। सवारी महाकाल मंदिर से सवारी प्रारंभ होगी। कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षीबाजार चौराहा, हरसिद्धि पाल, रामघाट, बंबई वाले की धर्मशाला, गणगौर दरवाजा, जगदीश मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबारोड, टंकी चौराहा, तेलीवाडा, कंठाल, सती माता मंदिर द्वार, गोपाल मंदिर, गुदरी चौराहा, कोट मोहल्ला और पुन: मंदिर परिसर में पहुंचेगी। पालकी महाकाल मंदिर परिसर में रात्रि 10 बजे पहुंचेगी।

दो दिन जन्माष्टमी
उज्जैन में जन्माष्टमी दो दिन मनाने की परंपरा है। सिंधिया घराने के बड़े गोपाल मंदिर और शहर के विभिन्न कृष्ण मंदिर में अलग-अलग दिन जन्माष्टमी का आयोजन किया जाता है। इस अनुसार शहर में दो दिन २ और ३ सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इसके चलते दो दिन कृष्ण जन्म उत्सव की धूम रहेगी। रविवार-सोमवार की मध्यरात्रि को बड़े गोपाल मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस्कॉन मंदिर, सांदीपनि आश्रम में सोमवार-मंगलवार की रात को कृष्ण जन्म उत्सव मनाया जाएगा।