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मंदिर के गेट नंबर 5 से प्रवेश पर रोक, व्यवस्था में बदलाव…

महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश व्यवस्था में बदलाव किया गया है। मंदिर के गेट नंबर ५ से प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।

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उज्जैन. महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश व्यवस्था में बदलाव किया गया है। मंदिर के गेट नंबर ५ से प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। आम श्रद्धालुओं के प्रवेश में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं।


महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के प्रभारी प्रशासक प्रदीप सोनी ने बताया कि श्रद्धालुओं को सुचारू रूप से प्रवेश देने के लिए व्यवस्था में आंशिक परिवर्तन किया गया है। आम श्रद्धालुओं का प्रवेश •िागजेग से फैसिलिटी सेंटर, कॉरिडोर विश्रामधाम से मंदिर में प्रवेश मिलेगा। मंदिर के मुख्य चैनल गेट के पास 5 नंबर
गेट के प्रवेश को परिवर्तित किया गया है। प्रवेश के लिए पांच नंबर गेट का उपयोग कई लोग करते हैं, जो कि उन दर्शनार्थियों के प्रवेश के लिए नहीं है। पांच नम्बर गेट को प्रवेश के लिए पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया गया है। शुक्रवार से परिवर्तित व्यवस्था लागू कर दी है।

इनको शीघ्र दर्शन द्वार से प्रवेश
प्रशासक सोनी ने आदेश जारी कर बताया है कि महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल के दर्शन के लिए आने वाले दिव्यांगजन, वृद्धजन, वरिष्ठजन, नियमित दर्शनार्थी, विशेष सशुल्क दर्शन (250 रु.) के श्रद्धालु शीघ्र दर्शन द्वार से विश्रामधाम, विश्रामधाम से रेम्प होते हुए सभामंडप। पुजारी, पुरोहित, उनके प्रतिनिधि तथा मीडिया, शीघ्र दर्शन द्वार से विश्रामधाम के काउन्टर के पास से बनी सीढिय़ों से मंदिर परिसर में। प्रोटोकॉल में आने वाले दर्शनार्थी शीघ्र दर्शन द्वार से विश्रामधाम, विश्रामधाम में प्याऊ की ओर बने एकल मार्ग से होते हुए सभामंडप से प्रवेश करेंगे। दर्शन व्यवस्था को प्रारंभ कर दिया है।

महाकाल कोटि तीर्थ कुंड जल को साफ करने सिंगापुर की कंपनी का प्रस्ताव
दक्षिणमुखी महाकालेश्वर मंदिर परिसर स्थित कोटितीर्थ कुंड के जल को साफ रखने की कवायद शुरू हुई है। इसके लिए मंदिर समिति ने वॉटर प्यूरीफिकेशन के प्रस्ताव मांगे हैं। इसमें विदेशी कंपनी के प्रस्ताव भी आए हैं।

महाकाल शिवलिंग पर कोटि तीर्थ कुंड के जल से अभिेषक की मान्यता और परंपरा है। महाकाल शिवलिंग शरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने विभिन्न स्थिति के साथ ही कोटि तीर्थ कुंड का परीक्षण किया था। सूत्रों के अनुसार जांच में जल बदबूदार होने के साथ खराब पाया गया था। जल में पाए गए तत्वों को शिवलिंग के लिए हानिकारक माना था। यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट भी प्रस्तुत की गई है। हालांकि मंदिर समिति की ओर से कोर्ट में दिए गए प्रस्तावों में बताया गया है कि भगवान को अर्पित होने वाले जल की शुद्धता के लिए समय-समय का नियमानुसार कार्य होता है। फिलहाल आरओ वाटर से जलाभिषेक किया जा रहा है। समिति ने कोटि तीर्थ कुंड जल को प्यूरीफाई करने के लिए प्लान्ट स्थापित करने का निर्णय लिया है।

प्रस्ताव पर मंथन
कोटि तीर्थ कुंड के शुद्ध जल से भगवान महाकाल का अभिषेक और पानी आचमन योग्य हो, इसके लिए महाकाल मंदिर समिति की ओर से वॉटर प्यूरीफिकेशन के लिए प्लान्ट स्थापित करने के प्रस्ताव मांगे हैं। इसमें कई कंपनियों ने पानी को शुद्ध करने के अपने प्रोजेक्ट समिति को दिए हैं। इसमें ५ लाख से लेकर ७० लाख का प्रोजेक्ट शामिल हैं। प्रोजेक्ट देने वाली कंपनियों में सिंगापुर की कंपनी भी है।

समिति की बैठक में रखा था प्रस्ताव
महाकाल मंदिर समिति की बैठक में कोटितीर्थ कुंड के जल को प्यूरीफाई करने के लिए प्लांट स्थापित करने का प्रस्ताव रख निविदा के लिए बिंदु शामिल किया गया था। सदस्यों ने इस पर गुण-दोष के आधार पर मंथन करने का निर्णय लिया था। फिलहाल एक कंपनी को प्रस्ताव मिला है। इस विचार किया जा रहा है।