संन्यास जीवन में प्रवेश करने के लिए सबसे पहले पंचगुरु ने चेले के कान में मंत्र फूंक वस्तुएं भेंट कि, जिसमें सबसे पहले मुख्य गुरु खड़ेश्वरी महंत जयगिरि ने चेले प्रेम कटारी से चोटी का उसे चोटी मंत्र दिया। इसके बाद भभूत गुरु थानापति परमानंद सरस्वती ने कान में मंत्र फूंक भभूत दी।