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महाकाल मंदिर खुदाई में ही निकली हजारों साल पुरानी प्रतिमाएं, प्राचीन विरासतें समेटे है अवंतिका की नगरी

इस नगरी में कालियादेह महल, सांदीपि आश्रम, गढ़कालिका, कालभैरव मंदिर, अंकपात सहित दर्जनों धरोहर हैं।

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महाकाल मंदिर खुदाई में ही निकली हजारों साल पुरानी प्रतिमाएं, प्राचीन विरासतें समेटे है अवंतिका की नगरी

उज्जैन. बाबा महाकालेश्वर और सम्राट विक्रमादित्य के नाम से ही अवंतिका नगरी के धार्मिक और पुरातात्विक महत्व को समझा जा सकता है। इस नगरी में कालियादेह महल, सांदीपि आश्रम, गढ़कालिका, कालभैरव मंदिर, अंकपात सहित दर्जनों धरोहर हैं। इधर, महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण कार्य की खुदाई में पुरातनकालीन प्रतिमाओं का निकलना प्रचीन गौरव को साबित कर रहा है।

हजारों वर्ष पूर्व ऋषि-मुनियों ने तपस्या कर इस स्थान को अपनी सकारात्मक ऊर्जा से पूज्यनीय बनाया है। भगवान श्रीकृष्ण और बलदाऊ की प्राथमिक शिक्षा स्थली होने से उज्जयिनी का धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है। इस शहर और आसपास के क्षेत्र को प्राचीन विरासतों का गढ़ कहना भी अति उचित होगा।

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-महाकाल वन क्षेत्र

करीब पांच हजार पुराना महाकाल वन क्षेत्र तो अब शहरी बसाहट में गायब हो गया, लेकिन इसी क्षेत्र में महाकालेश्वर, हरसिद्धि, क्षिप्रा किनारे कई पौराणिक घाट इस क्षेत्र का महत्व बता रहे हैं। आज भी प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचकर यहां की महत्ता को जीवित रखे हुए हैं। इसलिए इसे उज्जैन की पहली हेरिटेज साइट कहा जाता है।


-गढ़कालिका

मत्स्येंद्रनाथ की समाधि आदि स्थित हैं।

कालियादेह महल

उज्जैन की चौथी महत्वपूर्ण हेरिटेज साइट कालियादेह महल क्षेत्र है। यहां पर विविध आकार के बावन कुंडों की संरचना है, जिनसे होता हुआ शिप्रा का जल रमणीय वातावरण बनाता है। प्राचीन युग में यहां सूर्य मंदिर था। बाद में सल्तनत एवं मुगल काल में अनेक निर्माण हुए।


-भैरव क्षेत्र

उज्जैन की पांचवीं महत्वपूर्ण हेरिटेज साइट काल भैरव क्षेत्र है, जहां पर अनेक पुरातन देवालय, दुर्ग की संरचना, द्वार आदि आज भी वैभवशाली दौर की कहानी बयां करते हैं। इसी क्षेत्र में अशोककालीन प्राचीन भैरवगढ़ जेल है। पास ही में सिद्धवट एवं श्राद्ध कर्म के लिए प्रसिद्ध शिप्रा नदी का तट है।

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