
उज्जैन. उज्जैन के महिदपुर में मानवता को शर्मसार करने का मामला सामने आया है। यहां एक दलित परिवार को महज इसलिए अंतिम संस्कार करने से रोक दिया गया क्योंकि वो दलित है। हजार मिन्नतों के बाद भी जब श्मशान घाट संचालक ने अंतिम संस्कार नहीं करने दिया तो शोकाकुल परिजन शव को लेकर क्षिप्रा घाट पर पहुंचे और फिर वहीं पर अंतिम संस्कार किया।
मौत के बाद भी जातिवाद से नहीं मिली मुक्ति
महिदपुर के जमालपुरा टोडी के निवासी विमल परमार ने पूरी घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनके पिता जगदीश परमार की देवास में इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी। वो पिता के शव को लेकर महिदपुर के श्मशान घाट पहुंचे तो श्मशान घाट संचालक ने ये कहकर अंतिम संस्कार करने से रोक दिया कि दलित का अंतिम संस्कार करने से पहले अनुमति लेनी पड़ती है। उन्होंने श्मशान घाट संचालक के हाथ जोड़े और अंतिम संस्कार कर लेने देने की मिन्नतें भी मांगी लेकिन वो भी नहीं माना। विमल ने ये भी बताया कि पिता की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट भी नेगेटिव आई थी ये बताने के बाद भी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया। बाद में वो शवयात्रा लेकर शिप्रा घाट पर पहुंचे और फिर वहीं पर पिता का अंतिम संस्कार किया।
भीम आर्मी ने किया हंगामा
श्मशान घाट में दलित को अंतिम संस्कार करने से रोके जाने की इस घटना के बारे में पता चलने के बाद भीम आर्मी ने जमकर हंगामा किया महिदपुर थाने पर करीब एक घंटे तक धरना प्रदर्शन किया। भीम आर्मी ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि आखिरकार दलितों के साथ ऐसा अपमान कब तक होता रहेगा। वहीं पुलिस ने श्मशान घाट संचालक पर मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।
Published on:
27 Aug 2020 08:24 pm
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