
गजलक्ष्मी मंदिर में माता लक्ष्मीजी की मूर्ति
उज्जैन. महाकाल की नगरी उज्जैन को यूं तो बाबा के नाम से ही जाना जाता है पर यहां के कई अन्य मंदिर भी विख्यात हैं. उज्जैन की नई पेठ में माता गजलक्ष्मी का मंदिर भी ऐसा ही एक स्थान है. इसकी एक अलग खासियत भी है. यह देश का एकमात्र महाभारत कालीन गजलक्ष्मी मंदिर है जहां मां लक्ष्मी इंद्र के वाहन ऐरावत पर विराजमान हैं।
लोककथा अनुसार महाभारत काल में अर्जुन ने मां कुंती के लिए स्वर्ग से ऐरावत हाथी बुलाया था। मंदिर के पुजारी पंडित राजेश शर्मा ने बताया कि मंदिर में स्थापित माता लक्ष्मी की यह प्रतिमा दो हजार साल पुरानी है. माता गजलक्ष्मी की यह प्रतिमा स्फटिक से बनी है। मां गजलक्ष्मी की प्रतिमा ऐरावत हाथी पर सवार होकर पद्मासन मुद्रा में है। यहां विष्णु के दशावतार की काले पाषाण पर निर्मित प्रतिमा भी है।
दीपावली पर मां गजलक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी. माता गजलक्ष्मी का सुबह 8 से 11 बजे तक अभिषेक चलेगा। दोपहर 12.30 बजे स्वर्ण.रजत आभूषणों से शृंगार किया जाएगा। संध्या के समय 156 प्रकार के पकवानों का महाभोग अर्पित किया जाएगा। शाम 6 बजे से रात 2 बजे तक महानैवेद्य दर्शन होंगे। रात 2 बजे माता की राज्यश्री पूजा होगी और इसके बाद आरती की जाएगी।
धनतेरस और रूप चतुर्दशी के दिन भी मंदिर में अनेक भक्त आए और माता की पूजा-अर्चना की. दीपावली पर माता गजलक्ष्मी के दर्शन करने यहां देशभर से लोग आते हैं. माता के दर्शन और पूजन के लिए मध्यप्रदेश के साथ ही गुजरात राजस्थान व अन्य राज्यों से भी भक्त यहां पहुंचते हैं. धन.धान्य व बरकत की आस में पूरे वर्ष यहां भक्तों का मेला सा लगा रहता है.
Published on:
24 Oct 2022 08:05 am
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