
5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के नाम का बोर्ड लगाने पर नाराजगी जताई थी
उज्जैन. नई दिल्ली. महाकाल मंदिर में शिवलिंग के संरक्षण के मामले पर 2 मई को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फिर साफ किया था कि मंदिर में पूजा अर्चना कैसे होगी ये तय करना हमारा काम नहीं है। हम केवल शिवलिंग को सुरक्षित रखने को लेकर चिंतित हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ मसला है, इसलिए सभी पक्षों को सुनना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन समिति से कहा था कि वे इस मामले में सभी पक्षों की राय लें और ऐसा फैसला लें, जिसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं हो। प्रबंधन कमेटी शिवलिंग के संरक्षण को ध्यान में रखकर कोई फैसला करें। कोर्ट ने मंदिर के मुख्य पुजारी को पक्षकार बनाने की इजाजत दी थी ।
30 नवंबर 2017 को कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के नाम का बोर्ड लगाने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि जब हमने ऐसा कोई आदेश ही नहीं दिया तो मंदिर प्रशासन ऐसा कैसे कर रहा है। आप तुरंत नोटिस बोर्ड हटाइए। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि हम अवमानना का केस का आदेश दे सकते हैं। कोर्ट की गरिमा का आपको ख्याल ही नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि हमने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है। हमने सिर्फ सुझाव को मंजूरी दी थी।
कमेटी की रिपोर्ट पर दिया था फैसला
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बैंच ने कहा था कि कोर्ट को मंदिर की पूजा पद्धति से कोई लेना-देना नहीं है। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई शिवलिंग के संरक्षण के लिए की थी और एक विशेषज्ञ कमेटी बनाई थी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद मंदिर की प्रबंध समिति ने कोर्ट में इस संबंध में ये प्रस्ताव दाखिल किए थे। पिछले 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने नियमों में बदलाव को अपनी मंजूरी दी थी। नियमों के मुताबिक अब एक श्रद्धालु आधा लीटर जल से ही अभिषेक कर सकेगा। एक श्रद्धालु सवा लीटर पंचामृत चढ़ा सकेगा। कोर्ट ने ज्योतिर्लिंग पर गुड़, शक्कर जैसी चीजों का लेप न लगाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने आरती के बाद शिवलिंग को सूती कपड़े से ढंकने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट विशेषज्ञों की कमेटी की रिपोर्ट के बाद ये फैसला दिया था।
दिन में चार बार होता है अभिषेक
महाकाल की पूजा के लिए सुबह पंचामृत से अभिषेक होता है। फिर जलाभिषेक और भस्म आरती होती है । रात तक चार बार अभिषेक होता है। श्रद्धालु दिनभर में कई बार पंचामृत चढ़ाते हैं। महाकाल का भांग से श्रृंगार होता है। कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक पुजारियों के अलावा बाकी लोगों को गर्भगृह में न जाने दिया जाए और ऐसा न कर पाने की स्थिति में लोगों की संख्या सीमित कर देना है। कमेटी ने पूरा दिन ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाने से नुकसान की बात की है। कमेटी ने जल चढ़ाने को सीमित करने की अनुशंसा की है । शिवलिंग पर गुड़, शक्कर जैसी चीजों का लेप न लगाने की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट से की है।
Published on:
02 May 2018 08:00 am
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