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रास नहीं आई पारदर्शिता: महाकाल मंदिर की व्यवस्था को पटरी पर ला रहे प्रशासक को दो माह भी नहीं टिकने दिया

सवा साल में छह प्रशासक जा चुके हैं। डिप्टी कलेक्टर सोनी को प्रशासक के पद से क्यों हटाया गया? इस बारे में कुछ स्पष्ट कारण नहीं बताया गया।

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गोपाल वाजपेयी@उज्जैन. महाकाल मंदिर की व्यवस्था को पटरी पर ला रहे प्रशासक को दो माह भी नहीं टिकने दिया। नियुक्ति के समय महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सर्वेसर्वा ने नए प्रशासक की नियुक्ति करने के बाद दावा किया था कि अब कम से कम दो साल तक बदलाव नहीं होगा, क्योंकि बार-बार प्रशासक बदलने से मंदिर की व्यवस्थाएं ठीक नहीं हो पा रही थीं। सवा साल में छह प्रशासक जा चुके हैं। डिप्टी कलेक्टर सोनी को प्रशासक के पद से क्यों हटाया गया? इस बारे में कुछ स्पष्ट कारण नहीं बताया गया।

तर्क दिया जा रहा है कि

तर्क दिया जा रहा है कि सोनी डिप्टी कलेक्टर हैं और वह प्रोबेशनरी पीरियड में हैं, इसलिए उनको हटाया, लेकिन क्या दो साल के दावे... के समय यह पता नहीं था? दरअसल, सोनी को हटाने के पीछे जो कयास लगाए जा रहे हैं, उन पर गौर करना जरूरी है। चूंकि सोनी प्रोबेशनरी पीरियड पर हैं सो वह हर काम में पारदर्शिता रख रहे थे। वह मंदिर की व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सख्ती बरत रहे थे। यही पारदर्शिता व सख्ती न मंदिर प्रबंधन समिति को रास आई और न मंदिर में दर्शनार्थियों की जेब खाली करने वाले रैकेट को। ऐसे लोग भी खिलाफ हो गए, जिनके एक कॉल पर समूह का समूह बिना रोक-टोक के सीधे गर्भगृह तक प्रवेश कर जाता था।

पहली बार ऐसा प्रशासक आया

पहली बार ऐसा प्रशासक आया, जो मंदिर के वीआईपी गेट पर खड़े रहते थे पास चेक करने के लिए। पहली बार ऐसा प्रशासक आया, जिसने फर्जी पंडे-पुजारियों के रैकेट पर मंदिर में बंदिशें लगाईं। हर पूजा-अनुष्ठान के लिए सशुल्क रसीद कटवाने पर सख्ती दिखाई। भ्रष्टाचार के रास्ते भी बंद कर दिए। मंदिर की व्यवस्थाओं, आयोजनों व निर्माण कार्यों के खर्चों की ओट में होने वाली बंदरबाट में नए प्रशासक बाधक बने हुए थे। मंदिर की सिक्योरिटी को लेकर हुए ठेके में दाल नहीं गली तो प्रशासक के खिलाफ और माहौल बना।

हर कदम पर सोनी की पैनी नजर

जनवरी के पहले सप्ताह में होने वाले शैव महोत्सव के बजट व इसके खर्च में हर कदम पर सोनी की पैनी नजर के साथ ही किंतु-परंतु के सवाल लोगों को रास नहीं आए। सभामंडप व यज्ञशाला के निर्माण कार्यों में मनमानी नहीं हो पा रही थी। मंदिर में साफ-सफाई का ठेका अगले माह प्रस्तावित है। पिछले सफाई ठेके में तीन करोड़ की अनियमितता का मामला गरमाया था। जाहिर है, इस बार सफाई ठेके में भी दाल नहीं गलने वाली थी। इन्हीं सभी बिंदुओं को देखते हुए मंदिर में फिर नए प्रशासक की नियुक्त की गई है। यह बदलाव मंदिर की व्यवस्थाओं के लिए बड़ा झटका है।

15 माह में 6 प्रशासक बदले...
महाकाल मंदिर प्रशासक पद पर लंबे समय तक नियुक्ति की संभावनाओं के बीच डिप्टी कलेक्टर प्रदीप सोनी दो महीने से भी कम समय में पद से हटा दिए गए हैं। अब अपर कलेक्टर व स्मार्ट सिटी कंपनी सीईओ अवधेश शर्मा को मंदिर प्रशासक का प्रभार सौंपा है। यह नियुक्ति भी शासन स्तर से न होकर कलेक्टर द्वारा ही की गई है। मंदिर में प्रशासक पद पर बीते १५ महीने में सोनी को मिलाकर ६ अधिकारी बदले जा चुके हैं।

लंबे समय के लिए प्रशासक मिले

सोनी की परीवीक्षाधीन अवधि चल रही है और २३ अक्टूबर को मंदिर प्रशासक पद का प्रभार देने के साथ ही, जल्द फिर फेरबदल होने की अटकलें थीं। ऐसे में मंदिर को लंबे समय के लिए प्रशासक मिले, इसको लेकर कलेक्टर संकेत भोंडवे ने शासन से पत्र व्यवहार भी किया था और प्रतिउत्तर में आश्वासन भी मिला था। इसके विपरीत मंगलवार को अपर कलेक्टर शर्मा को यह जिम्मा सौंप दिया गया। संभागायुक्त की अनुशंसा पर कलेक्टर ने शर्मा को प्रभारी मंदिर प्रशासक का आदेश जारी किया। कलेक्टर का कहना है कि आंतरिक व्यवस्था के चलते प्रभार में परिवर्तन किया गया है।

gopal.bajpai@in.patrika.com