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शिप्रा फिर से मैली, मरी सैकड़ों मछलियां 

शिप्रा में पहुंचा खान नदी का पानी , मरी सैकड़ों मछलियां, घाट किनारे मृत मछलियों का ढेर, बदबू फैली, पुजारियों में आक्रोश, जिम्मेदारों ने कहा ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत 

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Lalit Saxena

Jun 24, 2016

dirty water in shipra river, dead fish

dirty water in shipra river, dead fish

उज्जैन. सिंहस्थ खत्म हुए अभी एक महीना ही हुआ है कि शिप्रा फिर से मैली हो गई है। नदी में फैली गंदगी के चलते बड़ी संख्या में मछलियां मर गई। घाटों पर मृत मछलियों के ढेर लगे हैं। सिंहस्थ के दौरान शिप्रा में स्वच्छ नर्मदा जल छोड़ा गया था।

9.50 करोड़ रुपए से ओजोनेशन प्लांट लगाए गए थे
पानी को स्वच्छ रखने के लिए 9.50 करोड़ रुपए से ओजोनेशन प्लांट लगाए गए थे। सिंहस्थ खत्म होते ही शिप्रा की उसकी हालत पर छोड़ दिया गया। खान नदी का प्रदूषित पानी भी शिप्रा में मिल रहा है। लिहाजा नदी में फैली गंदगी का असर मछलियों पर पड़ा। पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से मछलियां मर रही हैं। लालपुल से लेकर रामघाट और चक्रतीर्थ के आगे तक मछलियां मरी पड़ी हैं। पंडे-पुजारियों का कहना है कि मछलियों से बदबू भी हो रही है। कुछ लोग मृत मछलियों को बाजार में बेचने के लिए ले जा रहे हैं, जिससे बीमारी फैलने का अंदेशा है।

खोल दिए स्टॉप डैम
मछलियों के मरने के पीछे खान का गंदा मिलना बताया जा रहा है। बारिश के कारण खान नदी के सारे स्टॉप डैम के गेट खोल दिए गए हैं। पिछले दिनों इंदौर में बारिश के कारण सारा गंदा पानी उज्जैन पहुंच गया है। वहीं उज्जैन में शिप्रा के भी सभी डैम के गेट खोल दिए गए हैं।

घाटों पर नहीं सफाई
शिप्रा का पानी ही नहीं घाटों पर गंदगी पसरी हुई है। सिंहस्थ में जहां 24 घंटे सफाई होती थी वहीं अब इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। पूरे घाट पर जहां-तहां कचरे के ढेर पड़े हैं। शिप्रा आरती द्वार के आसपास भी सफाई नहीं हो रही है। मंदिरों के सामने भी गंदगी के ढेर हैं।

बारिश के दिनों में नदी में डीओ (घुलनशील ऑक्सीजन) की मात्रा कम हो जाती है। वहीं पानी के तापमान में भी परिवर्तन होता है। इसका सीधा असर जलीय जीव-जंतु पर पड़ता है। मछलियां सर्वाधिक संवेदनशील होती हैं इसलिए इनकी मौत हो जाती है।
- डॉ. मुकेश जैन, पशु चिकित्सक

अगर शिप्रा में नर्मदा के पानी का स्तर बढ़ता तो मछलियां नहीं मरती। खान डायवर्सन योजना यहां फेल होती नजर आ रही है। गुरुवार शाम को बदबू के बीच ही शिप्रा आरती करना पड़ी। प्रशासन को इस पर कार्रवाई करना चाहिए।
- राजेश त्रिवेदी. तीर्थ पुरोहित पंडा समिति अध्यक्ष

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