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मतदान बढ़ाने के लाख जतन…फिर भी शहरी और क्लासिक वर्ग बना रहा दूरियां

पिछले चुनाव में सातोंं विधानसभा में बढ़ा मतदान लेकिन गति बहुत धीमी...

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चुनाव को लेकर हर घर में चर्चा होती है, लेकिन जब बारी मतदान की आती है तो लोग उतना उत्साह नहीं दिखाते। मतदाता सूची में युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, इस अनुरूप मतदान का प्रतिशत नहीं बढ़ रहा है। प्रशासन लाख जतन कर रहा है, लेकिन 2008, 2013 और 2018 के मतदान पर नजर डालें तो ग्रामीण क्षेत्र में तो वृद्धि हुई लेकिन उज्जैन उत्तर-दक्षिण का प्रतिशत चिंता में डाल रहा है। चुनाव में ज्यादा से ज्यादा मतदान को लेकर निर्वाचन आयोग से लेकर सामाजिक संस्थाएं बड़े पैमाने पर प्रचार करती हैं। इसके लिए लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। इस बार भी अधिक से अधिक मतदान के लिए लोगों में जागरुकता फैलाई जा रही है।

पिछले चुनाव में जमीनी स्तर पर इसका ज्यादा असर दिखाई नहीं दिया। जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों में से पांचों ग्रामीण क्षेत्रों में तो 80 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ लेकिन शहरी क्षेत्रों उज्जैन उत्तर और दक्षिण में आंकड़ा 70 प्रतिशत को भी नहीं छू पाया यानी प्रथम श्रेणी में तो रहे लेकिन मेरिट में नहीं आ पाए। कुछ ऐसे ही हालात बड़े शहरों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बन रहे हैं। सर्वाधिक खराब स्थिति शहरी सीट उज्जैन उत्तर और दक्षिण विधानसभा की रही। 2018 के विधानसभा चुनाव में उज्जैन उत्तर में 67 तो दक्षिण 68.8 फीसदी ही मतदान हो सका। 2013 के मुकाबले जहां मतदान प्रतिशत उज्जैन उत्तर में थोड़ा बढ़ा वहीं दक्षिण में तो कम हो गया।

गांव की तुलना में शहर के शिक्षित मतदाता में अरुचि

मतदान के मामले में गांव की तुलना में शहरी मतदाता कमजोर साबित हो रहे हैं, जबकि माना जाता है कि शहरी मतदाता ज्यादा शिक्षित और जागरूक होते हैं। शिक्षित और उच्च शिक्षित वर्ग में मतदान के प्रति घटता रुझान चिंता का बड़ा कारण बनता जा रहा है। अब तो इसके कारणों को ढूंढ़ा जाने लगा है कि इसका कारण क्या है। उज्जैन उत्तर और दक्षिण विधानसभा में पिछले तीन चुनावों में मतदान कभी 70 प्रतिशत से ऊपर नहीं गया।

प्रतिशत मतदान विधानसभा

- 2008- 2013- 2018

- नागदा- 75.64-79.14-82.13

- महिदपुर 72.88- 78.14- 81.14

- तराना 73.8 -75.48- 80.42

- घट्टिया 82.69- 76.17- 80.85

- उज्जैन उ 51.19- 65.9- 67.61

- उज्जैन द 64.39- 69.6- 68.87

- बड़गर 76.98- 79.5 - 82.82

कम मतदान के पीछे तीन बड़ी वजह

शहरी लोगों में मतदान के प्रति घट रही रुचि शहरी व ग्रामीण क्षेत्र का शिक्षित वर्ग मतदान से बना रहा दूरी मतदान केंद्र व वोङ्क्षटग पर्ची का बेहतर प्रबंधन नहीं हो पाना भी बन रहा वजह 696 मतदान केंद्रों पर विशेष अभियान मतदान का प्रदेश में प्रतिशत 75 है। इसी मान से जिले में 616 मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां इससे कम मतदान हुआ है। आयोग द्वारा इन मतदान केंद्रों पर विशेष अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

गंभीर प्रयास ही नहीं

अधिकारी मतदान बढ़ाने को लेकर पूरे प्रयास नहीं करते हैं। अगर मतदान बढ़ता है, तो इससे सत्तारूढ़ पार्टी को नुकसान होता है। निगम चुनाव में 5 हजार वोट नहीं डालने दिए थे। कांग्रेस प्रचार में लोगों को मतदान के लिए भी जागरुक कर रही है। - विवेक गुप्ता, प्रवक्ता कांग्रेस

इस बार बढ़ेगा मतदान &इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ेगा। पहली बार आयोग ने आधार से वोटर लिस्ट को लिंक कर दिया है। इससे वास्तविक मतदाता ही वोट डालेंगे। प्रदेश में 35 लाख बुुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए भाजपा काम कर रही है।

- सत्यनारायण खोईवाल, बूथ प्रबंधन प्रभारी, भाजपा

मतदान कम होने के पीछे कई कारण है। इमसें प्रमुख रूप से क्लास वर्ग का मतदान करने नहीं जाना। शहरी क्षेत्र में इसी के कारण मतदान कम होता है। मतदान के दिन लोग अवकाश मनाने चले जाते हैं। एक कारण यह भी है कि कई लोग शहर छोड$कर चले गए पर वोटर लिस्ट से नाम नहीं कटवाए। इस बार मतदान बढ़ाने काफी गतिविधियां कर रहे हैं।

- एस आर सिद्दिकी, सहायक नोडल अधिकारी, स्वीप

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