उज्जैन के यह जायके देशभर में प्रसिद्ध
साग-पूड़ी: शहर में बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, फ्रीगंज, नानाखेड़ा, गोपाल मंदिर क्षेत्र, महाकाल क्षेत्र सहित दर्जनों रेस्टोरेंट में साग-पूड़ी मिलती है। यहां पूड़ी शुद्ध घी में बनाई जाती है और आलू की झोल वाली सब्जी, सीजनल सूखी सब्जी, मिर्ची का बेसन, अचार और रायते के साथ परोसी जाती है। रामजी की गली में स्थित भोला गुरु एंड संस की साग-पूडी देशभर में प्रसिद्ध है। आजादी के पहले से संचालित इस प्रतिष्ठान की इतनी प्रसिद्धि है कि दूरदराज के श्रद्धालु भोला गुरु की दुकान को ढूंढते हुए यहां पहुंच जाते हैं। संचालक विजय पांडे बताते हैं उनके यहां साग-पूड़ी का स्वाद आज भी वैसा ही है, जैसा 75 साल पहले था। इसके अलावा यहां का मक्खन बड़ा भी लोगों को खूब भाता है।
दाल-बाफले-बाटी: दाल बाटी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। मालवा क्षेत्र में आओ और दाल-बाटी या बाफले का आनंद ना मिले, ऐसा तो हो नहीं सकता। उज्जैन शहर में करीब १०० से ज्यादा रेस्टोरेंट हैं, जहां सिर्फ दाल बाफले की मिलते हैं। इसके अलावा शहर के दर्जनों रेस्टोरेंट हफ्ते में एक दिन यह देशी भोजन अपने ग्राहकों को परोसते हैं। मंगलनाथ मंदिर क्षेत्र में बने रेस्टोरेंट के दाल-बाफले, चूरमा और लड्डू श्रद्धालुओं को खासे पसंद आते हैं। यहां धार्मिक वातावरण के बीच शुद्ध देशी जायका श्रद्धालुओं को हमेशा याद रहता है। इसके अलावा देवास गेट बस स्टैंड पर महादेव बाटी के नाम से बहुत पुराना प्रतिष्ठान है। यहां सिर्फ दाल और बाटी मिलती है। यहां का स्वाद और दाम ऐसा है कि सुबह 10 बजे से यहां ग्राहकों की लाइन लगने लगती है।
रबड़ी: उज्जैन की मिठाई लाजवाब स्वाद लिए होती है। यहां का गुलाब जामुन, मालपुआ, लड्डू, रसमलाई, खोपरापाक, मलाई पाक के साथ ही रबड़ी बहुत लोकप्रिय है। वैसे तो यहां लगभग हर मिठाई दुकान पर रबड़ी मिलती है, लेकिन पानदरीबा में करीब १५० साल पुरानी दुकान की रबड़ी की बात ही निराली है। दयारामजी की रबड़ी के नाम से प्रसिद्ध इस प्रतिष्ठान का संचालन पांचवीं पीढ़ी कर रही है। संचालक किरण बुआजी बताती हैं कि उनके यहां हमेशा लकड़ी के चूल्हे पर रबड़ी बनाई जाती है, इस कारण यह चार दिन तक खराब भी नहीं होती। सुबह से भट्टी पर कढा़ही चढ़ा दी जाती है। इसमें धीरे-धीरे रबड़ी बनती रहती है। महाकाल दर्शन करने वाले श्रद्धालु यहां रबड़ी खाने के लिए आते हैं। यहां गर्म रबड़ी परोसी जाती है।
नमकीन: मालवा क्षेत्र में रतलाम के बाद उज्जैन का नमकीन अपने बेहतरीन स्वाद के लिए जाना जाता है। यहां नमकीन के छोटे-बड़े मिलाकर कुल २५० प्रतिष्ठान हैं। सब जगह का स्वाद भी अलग-अलग होता है। लेकिन उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं को यहां की लौंग सेव, पोहा चिवड़ा, मोठ मिक्चर सबसे अधिक प्रिय है। कई लोग यहां से अपने रिश्तेदारों के लिए भी नमकीन लेकर जाते हैं। यहां के नमकीन की खासियत यह है कि इनमें हींग का भरपूर प्रयोग होता है, साथ ही मूंगफली तेल में नमकीन बनाया जाता है, इससे यह लंबे समय तक खराब नहीं होता है। नमकीन व्यापारी अंबालाल माहेश्वरी के अनुसार बाहरी श्रद्धालुओं को उज्जैन का नमकीन बहुत पसंद है। दूरदराज से आने वाले बाबा महाकाल के भक्त नमकीन खाकर यहीं बोलते हैं कि ऐसा स्वाद कहीं नहीं मिलता।
श्रद्धालुओं को यह स्वाद भी भाता है
इन सब चीजों के अलावा उज्जैन आने वालों को यहां का पोहा, उसल पोहा, नरेंद्र टॉकीज वाला झन्नाट आलूबड़ा, कचौरी, समोसा, दूध-जलेबी, साबुदाना खिचड़ी, फलाहारी चाट, फलाहारी दहीबड़ा, फलाहारी पेटीस, खमण ढोकला, खांडवी, फाफड़े, पानी पुरी, फेमस कुल्फी, छोले टिकिया भी खूब भाता है। महाकाल क्षेत्र में स्थित प्रतिष्ठानों के अलावा नए शहर के ठियों पर भी दिनभर स्वाद के शौकीनों का मजमा लगा रहता है।