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गर्मी शुरु होते ही यहां तेजी से गिर रहा जमीन का जल स्तर, पर्यावरण के लिए बजी खतरे की घंटी

बीते दस वर्षों में उज्जैन संभाग में ही नलकूप खनन में 50 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जानकारों की मानें तो जल स्तर नीचे जाने का ये भी एक सबसे बड़ा कारण है।

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गर्मी शुरु होते ही यहां तेजी से गिर रहा जमीन का जल स्तर, पर्यावरण के लिए बजी खतरे की घंटी

उज्जैन. अगल अलग इलाकों में जमीनी जलस्तर भी अलग अलग ही होता है। लेकिन, आमतौर पर इसमें थोड़ा बहुत ही अंतर होता है। लेकिन, गर्मी की शुरुआत होते ही मध्य प्रदेश के उज्जैन संभाग के जिलों में जलस्तर में तेजी से गिरावट आ रही है। भू-जल विशेषज्ञ भी इस तरह तेजी से पाताल में जा रहे जल सत्र को लेकर चिंता में हैं। वहीं, मौसम विशेषज्ञ इस तरह जल स्तर में गिरावट आने को पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी बता रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो संभाग के कई इलाकों का जल स्तर हर साल 3 मीटर तक नीचे जा रहा है।


बता दें कि, बीते दस वर्षों में उज्जैन संभाग में ही नलकूप खनन में 50 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यानी 10 साल पहले जिन इलाकों में एक नलकूप था, वहां आज 50 से ज्यादा नलकूप खनन किये जा चुके हैं। जानकारों की मानें तो जल स्तर नीचे जाने का ये भी एक सबसे बड़ा कारण है। भूगर्भिक जल विशेषज्ञ उदित गर्ग के अनुसार, बीते 10 वर्षों में संभाग में जिस तरह जल स्तर नीचे गया है, वो इतिहास में सबसे ज्यादा तेज माना जा सकता है।

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हर साल 3 मीटर नीचे जा रहा है जलस्तर

जानकारों की मानें तो आमतौर पर जमीन का जल स्तर गर्मी के दिनों में नीचे तो जाता है, पर बारिश आने पर ये पुन: बढ़ जाता है, लेकिन संभाग को लेकर चिंता इस बात की है कि, यहां मौजूदा समय में औसत जल स्तर 110 मीटर नीचे जा चुका है। वहीं, 10 वर्ष पहले के आंकड़ों पर गौर करें तो ये 80 मीटर की गहराई पर था। इस तरह सिर्फ 10 साल में ये 30 मीटर नीचे चला गया है। वहीं, हर साल का ओसत मानें तो हर साल 3 मीटर नीचे जा रहा है। इसी वजह से संभाग के मौसम में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। यानी यहां तेज गर्मी पड़ने का बड़ा कारण भी यही है।


जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान

जमीन का जल स्तर इतनी तेजी से गिर रहा है, बावजूद इसके प्रशासन का इस तरफ कोई खास फोकस नहीं है। बता दें कि, कानून के मुताबिक, नगर निगम से बिल्डिंग परमीशन देते समय वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर भी बाउंड ओवर कराने का नियम है, लेकिन वास्तविकता में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर प्रशासन मुस्तैद नहीं है। इसी वजह से लगातार यहां पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है। जबकि, जानकार मानते हैं कि, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जलस्तर रखने का बेहतर विकल्प है।

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पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं ये जिले

मौजूदा समय में उन्नत कृषि के लिए भी सिंचाई के साधनों की बेहद जरूरत है। सिंचाई के साधनों में सबसे जरूरी नलकूप को माना जाता है। इसी के चलते शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी बड़ी संख्या में नलकूप खनन किये गए हैं। उज्जैन ही नहीं देवास, शाजापुर, मंदसौर, रतलाम, नीमच, आगर मालवा समेत आसपास के जिलों में जलस्तर नीचे जा रहा है। कई इलाकों में तो मार्च में ही पानी की किल्लत होने लगी है। सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण इलाकों में देखी जा रही है।

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