
हाइकोर्ट ने छह साल पहले दिए थे सिंहस्थ क्षेत्र के 282 अतिक्रमण हटाने के आदेश, अब तक नहीं हटा पाए
उज्जैन. सिंहस्थ महापर्व २०१६ से पहले उच्च न्यायालय में सिंहस्थ क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण व अतिक्रमण हटाने को लेकर जनहित याचिका लगी थी। प्रशासन का पक्ष सुनने व मेला आयोजन के लिए भूमि की जरूरत को देखते हुए हाइकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने साल 2013 में नामजद हुए 282 अतिक्रमण व अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया था। इस आदेश पर सिंहस्थ 2016 से पहले तक कार्रवाई नहीं हो सकी थी। वही तत्कालीन शिवराज सरकार के नुमाइंदों व स्थानीय सत्ताधारी नेताओं के दबाव-प्रभाव में इस क्षेत्र मेंं प्रशासन का डंडा नहीं चल सका। स्थिति यह है कि अब तक हाइकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ और सिंहस्थ क्षेत्र के अतिक्रमण जस के तस हैं।
सिंहस्थ आरक्षित क्षेत्र गढ़कालिका, अंकपात मार्ग, जूना सोमवारिया से पिपलीनाका, रामजर्नादन मंदिर, बडऩगर रोड, ग्राम भितरी सहित अन्य क्षेत्र में हुए अतिक्रमण व अवैध निर्माण हटाने को लेकर याचिका दायर की गई थी। प्रशासन ने भी कोर्ट में माना था कि सिंहस्थ क्षेत्र के लिए आरक्षित भूमि पर बगैर अनुमति के निर्माण हुए हैं। उस समय प्रशासन ने सर्वे कर सिंहस्थ क्षेत्र में हुए अतिक्रमण का सर्वे कर सूची भी बनाई थी। इसमें 282 अतिक्रमण होना सामने आया था। याचिकाकर्ता किशोर कुमार दग्दी के अनुसार कोर्ट ने सिंहस्थ अतिक्रमण की सूची के आधार पर वर्ष २०१३ में कार्रवाई के आदेश दिए थे। वहीं प्रशासन के कार्रवाई नहीं करने पर अवमानना याचिका भी लगाई थी। लेकिन इसमें कलेक्टर को नामजद पार्टी नहीं बनाए जाने से कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। बाद में नामजद याचिका भी लगाई। इस पर कोई फैसला नहीं होने से अब हमने सुप्रीम कोर्ट में दावा लगाया है। इधर, कलेक्टर शशांक मिश्र का कहना है कि हाइकोर्ट के इस तरह के आदेश का पालन नहीं हो पाया होगा तो इसकी समीक्षा करेगा। फिलहाल मुझे इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है।
पूर्व पार्षद पर एफआइआर, अन्य को बख्शा
सिंहस्थ क्षेत्र में कॉलोनी काटने, प्लॉट बेचने के दर्जनों मामले हैं, लेकिन ये सभी अरसे से ठंडे बस्ते में हैं। पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह ने जरूर कुछ प्रभावी कार्रवाई की थी। इसके बाद से किसी का ध्यान नहीं गया। अब एक सत्ताधारी नेता के दबाव में निगम ने केवल एक मामले में कार्रवाई की। 25 सितंबर को पूर्व भाजपा पार्षद सहित ४ परिवारजनों पर सिंहस्थ क्षेत्र में अवैध कॉलोनी काटने पर प्रकरण दर्ज किया गया। सवाल यह है कि जब प्रशासन के पास २८२ लोगों के अतिक्रमण की सूची है तो फिर अन्य पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
Published on:
02 Oct 2019 06:06 am
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