जिला पंचायत सीईओ रुचिका चौहान जिले के गांवों को ओडीएफ बनाने में जुटी है, लेकिन नागदा-खाचरौद विकासखंड के ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज है। ग्रामीणों के पास पर्याप्त मात्रा में पेयजल तक नहीं है। ज्यादा दूरी की बात नहीं है, शहर से 5 किमी दूर स्थित ग्राम स्मार्ट विलेज भगतपुरी की बात करें तो, ग्रामीणों को पेयजल खेतों से जुटाना पड़ रहा है। रविवार की छुट्टी का दिन बच्चे पेयजल जुटाने में बीता देते है। शौचमुक्त गांव क्या है बच्चों को पता नहीं है। पत्रिका टीम द्वारा घरों में शौचालय है या नहीं पूछे जाने पर...बच्चों का जवाब था कि घर में पतरे की आड़ है। जब मेहमान आते है तो उसका उपयोग नहाने के लिए किया जाता है।