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उज्जैन में है प्रदेश का अनूठा संग्रहालय, एक माह में दस हजार दर्शकों ने निहारा

बाहरी और स्थानीय पर्यटक की बढ़ती आमद से त्रिवेणी संग्रहालय आबाद हुआ है, वहीं इसकी ख्याति भी अन्य शहर व प्रदेशों में बढऩे लगी है।

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उज्जैन. आकर्षक कलाकृतियों से सुसज्जित प्रदेश के अनूठे त्रिवेणी संग्रहालय को धीरे-धीरे वह प्रशंसा और प्रसिद्धी मिलने लगी है, जिसका वह हकदार है। बीते कुछ महीनों से बाहरी पर्यटक और स्थानीय लोगों की बढ़ती आमद से त्रिवेणी संग्रहालय आबाद हुआ है, वहीं इसकी ख्याति भी अन्य शहर व प्रदेशों में बढऩे लगी है। तीन शक्तियों पर आधारित संग्रहालय की आकर्षक शक्ति इस बात से पता चल रही है कि एक महीने में यहां करीब एक हजार पर्यटक व आम दर्शक इसकी खूबसूरती और विशेषता से परीचित हुए हैं।

हरिफाटक ब्रिज चौथी शाखा के नजदीक जेएनएनयूआरएम में बने इंटरप्रिटेशन सेंटर (त्रिवेणी संग्रहालय) को पर्यटन से जोडऩे के बाद यहां आने वालों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है। त्रिवेणी संग्रहालय में रखी दुर्लभ प्राचीन प्रतिमा व अन्य सामग्रियों के साथ ही कलाकृति और तीन शक्ति, शिवायन, दुर्गायन व कृष्णायन के चित्रण को देखने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग आ रहे हैं। इधर प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश पर शासकीय-निजी स्कूल भी विद्यार्थियों को यहां विजिट पर ला रहे हैं। संचालन से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों के अनुसार एक महीने के दौरान लगभग १० हजार लोग त्रिवेणी संग्राहलय आ चुके हैं। प्रतिदिन एक-दो स्कूल अपने विद्यार्थियों को लेकर यहां पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही उज्जैन दर्शन से जुड़ी बस, मैजिक व अन्य यात्री परिवहन वाहन भी पर्यटकों को संग्रहालय ला रहे हैं। कई बार ऐसी स्थिति भी बनी है कि दर्शकों की संख्या अत्यधिक होने पर पूरे स्टॉफ को व्यवस्था में जुटना पड़ता है।

क्यों है अद्भुत
त्रिवेणी संग्रहालय में भूतल पर पुरातन विभाग का संग्रहालय है जिसमें अति प्राचीन मूर्तियां, पात्र आदि का अद्भुत संग्रहण हैं। इसके अलावा संस्कृति विभाग द्वारा शिवायन, दुर्गायन व कृष्णायन पर आधारित तीन अलग-अलग गैलरी हैं। इनमें भारत की विभिन्न शैलियों की चित्रकारी, कला, संस्कृति, धार्मिक कथा पर आधारित पेंटिग्स व प्रति माओं का सुंदर संग्रहण है।

यह है खास : ब्राह्मण की तीन प्रमुख शक्ति शिवायन, दुर्गायन और कृष्णायन की अलग-अलग गैलरियां हैं, जिनकी अपनी-अपनी विशेषताएं हैं
शिवायन - प्रारंभ में २४ खंभा व महाकाल वन का दृश्य है। भगवान शिव के प्रारंभ व अंत को परिभाषित नहीं किया जा सकता, उसी पर आधारित बरगद का नकली वृक्ष है, जो हुबहू असल लगता है। इस दीर्घा की छत पर मिनिएचर शैली में नटराज की विभिन्न मुद्रा अंकित हैं। यह कांगड़ा कलमकारी शैली की पेंटिंग्स हैं। दीर्घा में अजंता एलोरा की मूर्तियों की प्रतिकृति, भगवान शिव की कथाओं का चित्रण आदि है। दीर्घा में वाहकों के साथ शिव परिवार की आकर्षक प्रतिमाएं हैं।

दुर्गायन - यह दीर्घा मां दुर्गा पर आधारित है। शक्ति की स्वरूप दुर्गायन दीर्घा में माताओं की आकर्षक मूर्तियां, पेंटिग्स हैं। इसे नीम के वृक्ष से जोड़ा गया है और हुबहू असल दिखने वाला नीम का वृक्ष लगा है। इस दीर्घा की छत पर राजस्थानी शैली की पेंटिग्स हैं। देवियों के विभिन्न स्वरूप इस दीर्घा में देखने को मिलते हैं।

कृष्णायन - यह दीर्घा भगवान कृष्ण पर आधारित है। इसमें कदम वृक्ष की प्रतिकृति स्थापित है।
दीर्घा की छत पर उडिय़ा शैली की पेंटिंग्स है जिनमें जग्गनाथ रथ के चक्र आदि का चित्रण है। दीर्घा में उडिय़ा शैली से बनी कृष्ण की ६१ आकर्षक पेंटिंग्स हैं। युद्ध भूमि, धृतराष्ट्र के मोह आदि पर आधारित पेंटिंग्स काफी आकर्षक हैं। दीर्घा में सुदामा के पैर धोते भगवान कृष्ण की आकर्षक प्रतिमा स्थापित है।