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भारत एकमात्र देश, जहां बहुसंख्यकों का नरसंहार हुआ… विवेक अग्निहोत्री का बयान

MP News: फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने कहा कि भारत की सभ्यता ने सदियों की प्रताड़ना झेली है, लेकिन ज्ञान और संस्कृति की शक्ति से यह आज भी अग्रसर है। उन्होंने कहा कि विश्व की सभी सभ्यताओं में बहुसंख्यक समाज ने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किए हैं, लेकिन भारत ऐसा एकमात्र देश है, जहां अल्पसंख्यकों ने सदियों से बहुसंख्यक समाज पर अत्याचार और नरसंहार किए हैं।

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Vivek Agnihotri in Young Thinkers Confluence 2025

Vivek Agnihotri in Young Thinkers Confluence 2025

MP News: मध्यप्रदेश में विचार, विमर्श और वैचारिक जागरण के मंच यंग थिंकर्स कॉन्लुएंस 2025 के दूसरे दिन भारतीय संस्कृति, परिवार व्यवस्था, शिक्षा और सभ्यता पर गहन चिंतन हुआ। देशभर से आए विचारकों, लेखकों और शिक्षाविदों ने भारतीय दृष्टिकोण से आधुनिकता के संतुलन, सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक चेतना पर सार्थक विमर्श किया। दूसरे दिन के सत्रों में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि भारत की शक्ति उसकी संस्कृति, परिवार व्यवस्था और ज्ञान परंपरा में निहित है, जिसे आज के दौर में पुन: जीवंत करने की आवश्यकता है।

एमपी में विवेक अग्निहोत्री का बयान

फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री(Vivek Agnihotri) ने कहा कि भारत की सभ्यता ने सदियों की प्रताड़ना झेली है, लेकिन ज्ञान और संस्कृति की शक्ति से यह आज भी अग्रसर है। उन्होंने कहा कि विश्व की सभी सभ्यताओं में बहुसंख्यक समाज ने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किए हैं, लेकिन भारत ऐसा एकमात्र देश है, जहां अल्पसंख्यकों ने सदियों से बहुसंख्यक समाज पर अत्याचार और नरसंहार किए हैं। अग्निहोत्री ने यह भी कहा कि पिछले एक हजार वर्षों में हिंदू समाज पर हुए अत्याचारों का डॉक्यूमेंटेशन होना चाहिए ताकि सत्य इतिहास के रूप में आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचे।

परिवार व्यवस्था पर मार्क्सवादी प्रहार

प्रथम सत्र में सेंटर फॉर इंडिक स्टडीज़ के निदेशक और लेखक डॉ. राम शर्मा ने कहा कि भारतीय परिवार और समाज का संबंध सदैव भावनात्मक और मूल्य आधारित रहा है, जबकि पश्चिमी समाज उपभोक्तावादी दृष्टिकोण से प्रभावित होकर परिवार की मूल भावना खो चुका है। उन्होंने कहा कि संस्कृति ही परिवार व्यवस्था की आत्मा है, जिस पर मार्क्सवादी शक्तियां लगातार प्रहार कर रही हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर वेंकटेश ने कहा कि पश्चिम में पारिवारिक विघटन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अतिरेक ने सामाजिक असंतुलन और अपराध को जन्म दिया है। उन्होंने कहा जब परिवार कमजोर होता है, तो समाज और राज्य दोनों असंतुलित हो जाते हैं।

बच्चों की सोच बदल रहा अतिवादी नारीवाद

दूसरे सत्र में लेखक एवं संपादक अनुराग शर्मा ने कहा कि आज शिक्षा, मनोरंजन और सोशल मीडिया बच्चों की विचारधारा को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने चेताया कि मार्क्सवाद, वोकिज्म और अतिवादी नारीवाद पारिवारिक मूल्यों को तोड़ रहे हैं। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों को भारतीय संस्कृति, नैतिकता और परिवार के संस्कारों से जोड़े रखें। उन्होंने कहा विदेशी प्रभाव से लड़ने का सबसे बड़ा उपाय भारतीयता का बोध कराना है।

भारतीय शिक्षा परंपरा ने ज्ञान ही नहीं, संस्कार भी दिए

चतुर्थ सत्र में लेखक अंकुर कक्कर ने कहा कि भारत सदैव से ज्ञान और शिक्षा की भूमि रहा है। यहां की गुरुकुल परंपरा ने सिर्फ विद्या ही नहीं, बल्कि संस्कार भी दिए। उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा में अंग्रेजी भाषा और भारतीय संस्कृति का संतुलन आवश्यक है। उन्होंने कहा हम अपनी जड़ों से जुड़े रहकर ही आधुनिकता को सही दिशा दे सकते हैं।

भारत का असली इतिहास परंपराओं में जीवित

तीसरे सत्र में लेखक अमृतांशु पांडे ने कहा कि भारत की वास्तविक पहचान उसके पुराणों, ग्रंथों और लोक परंपराओं में समाई हुई है। उन्होंने कहा किभारत का असली इतिहास किताबों में नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना और परंपराओं में जीवित है। उन्होंने अपनी पुस्तक के माध्यम से भारत की भूली-बिसरी कहानियों को सामने लाने का प्रयास बताया, जो हमारी सभ्यता की निरंतरता और सांस्कृतिक गहराई को दर्शाती हैं।