MP News: सीएम ने अपने शहर को दी सौगातें... 71 करोड़ के 23 कार्यों का किया लोकार्पण और भूमि पूजन, यहां बनने जा रहा तीन-स्तरीय एलिवेटेड ब्रिज, सबसे ऊपर दौड़ेगी मेट्रो, कम होगा यातायात का दबाव,
Indore Ujjain Metro Project: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार रात शिप्रा विहार में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि अब इंदौर और उज्जैन अलग-अलग नहीं रह गए हैं। इंदौर, उज्जैन, शाजापुर (मक्सी), देवास और धार को मिलाकर एक मेट्रोपॉलिटन सिटी का स्वरूप तैयार किया जा रहा है। यह वही परिकल्पना है, जो राजा भोज के परमार काल में 84 कोस का एकीकृत जनपद हुआ करता था, जिसे अवंतिका या मालवा महाजनपद के नाम से जाना जाता था। हमने केवल उस महाजनपद का नाम सुना था, लेकिन अब वह साकार होता दिख रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उज्जैन विकास प्राधिकरण एवं उच्च शिक्षा विभाग की ओर से 371 करोड़ लागत के 23 विकास कार्यों का लोकार्पण व भूमिपूजन किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि मेट्रोपॉलिटन सिटी का प्रस्ताव कैबिनेट से पारित हो चुका है, जिसे 28 जुलाई से आरंभ हो रहे विधानसभा सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौर-उज्जैन मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार 850 करोड़ की मंजूरी भेज दी गई है। प्रदेश का पहला तीन-स्तरीय एलिवेटेड ब्रिज उज्जैन (MP First Three Layer Bridge Ujjain) में बनेगा, जिसमें सबसे ऊपरी तल पर मेट्रो ट्रेन चलाई जाएगी। कार्यक्रम में सहायक प्राध्यापकों को नियुक्ति पत्र वितरित किए गए। प्रारंभ में मुख्यमंत्री ने संतों का सम्मान व कन्या पूजन कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
इस अवसर पर सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, सतीश मालवीय, निगम अध्यक्ष कलावती यादव, संभागायुक्त संजय गुप्ता, कलेक्टर रौशन कुमार सिंह, यूडीए के संदीप सोनी, भाजपा नगर अध्यक्ष संजय अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उज्जैन के प्रमुख शक्तिपीठ हरसिद्धि माता मंदिर की दर्शन व्यवस्था तो है, लेकिन अनुष्ठान-यज्ञ आदि के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। हरसिद्धि माता की बहन भूखी माता के समीप का क्षेत्र भी विकसित किया जाएगा। साथ ही मंगलनाथ क्षेत्र का चार गुना विस्तार किया जाएगा। यह शहर विकास की एक नई इबारत लिखेंगे।
डॉ. यादव ने शिप्रा विहार वाणिज्यिक परिसर में बनी चौड़ी सड़कों का हवाला देते हुए कहा कि सिंहस्थ क्षेत्र में भी इसी तरह इंफ्रास्ट्रक्चर, धर्मशालाएं, मंदिर व घाटों का निर्माण होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि इन कार्यों से अगले सौ वर्षों तक सिंहस्थ भव्यता से आयोजित होता रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, आपसे मेरे दो रिश्ते है। मैं यहां का विधायक भी हूं और मुख्यमंत्री भी। आजादी के बाद पहली बार कोई इस क्षेत्र से तीन बार चुनाव जीता है। परमात्मा की कृपा छप्पर फाड़कर होती है। दूसरी बार विधायक बना तो मंत्री बनकर सेवा करने अवसर मिला और तीसरी बार पूरे प्रदेश की सेवा करने का आशीर्वाद मिल गया। विकास की राह पर हम बार-बार मिलेंगे। न थकेंगे, न रुकेंगे, लगातार चलते रहेंगे।
नानाखेड़ा वाणिज्यिक परिसर (7 मंजिला)- लागत: 68 करोड़
शिप्रा विहार वाणिज्यिक सह आवासीय योजना- लागत: 48 करोड़
एमआर-11 रोड- लागत 16 करोड़
नगर विकास योजना क्र. 3 एवं 4 का द्वितीय चरण में नीमनवासा, धतरावदा नागझिरी, कोठी महल व लालपुर क्षेत्र में 250.65 हेक्टेयर भूमि पर अधोसंरचना विकास- लागत: 175 करोड़
उज्जैन. लाडली बहना योजना अंतर्गत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शुक्रवार को हितग्राही महिलाओं के बैंक खाते में राशि अंतरित करेंगे। नलवा में आयोजित कार्यक्रम में सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री एक क्लिक पर प्रति हितग्राही 1250 रुपए ट्रांसफर करेंगे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथी कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री और प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल होंगे ।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि राज्य में एक लाख से अधिक सरकारी पदों पर भर्ती के निर्देश दिए गए हैं। पहले लगभग 100 परीक्षाएं करवाई जाती थीं, जिसमें 3 वर्ष का समय लगता था। अब सिविल सेवा परीक्षा की तर्ज पर एकीकृत प्रारूप में परीक्षा आयोजित कर योग्यता के अनुसार पदस्थापन किया जाएगा। युवाओं की आयु और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सरकार प्रयास कर रही है।
देवास व इंदौर रोड के बीच फोरलेन कॉलोनीवासियों के लिए वरदान सिद्ध होगी। यह सड़क ऋषिनगर, दो तालाब, हरिफाटक पुल होते हुए इंदौर एयरपोर्ट रोड से जोड़ी जाएगी। उज्जैन, जिसे कभी कनकशृंगा कहा जाता था, अब अडानी, अंबानी, टाटा, बिरला जैसे उद्योगपतियों का गंतव्य बन चुका है। कनाडा, जापान, फ्रांस और अमरीका के निवेशक भी यहां आ रहे हैं। महाकाल कॉमर्शियल हब बनने के बाद फ्रीगंज क्षेत्र पिछड़ गया, लेकिन अब शिप्रा विहार उसे भी पीछे छोड़ देगा।
मुगलकाल में जहांगीर जब संत जगरूप से मिलने उज्जैन आया था, तो वह नाव से भर्तृहरि गुफा पहुंचे। उन्होंने जिन सोने के सिक्कों का वितरण किया, उन पर 12 राशियों के प्रतीक थे, पहली बार मुगल सत्ता ने भारतीय खगोल विज्ञान को सम्मान दिया। उज्जैन में बन रही साइंस सिटी में विज्ञान की सभी शाखाओं के पृथक अनुसंधान केंद्र स्थापित किए जाएंगे।