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उज्जैन के सप्त तालाब, जानिए इन सात की यात्रा का महत्व

सप्त सागरों के पूजन का अधिकमास में खास महत्व, हर सागर पर अलग-अलग सामग्री अर्पण

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शैलेष व्यास/ उज्जैन. वर्षों बाद ज्येष्ठ अधिक मास के रूप में आ रहा है। 16 मई से 13 जून तक पुरुषोत्तम मास रहेगा। उज्जैन में उत्तरवाहिनी शिप्रा नवनारायण, 84 महादेव, सप्त सागर, अष्ट महाभैरव षट्विनायक आदि होने के कारण अधिक मास का विशेष महत्व है। इन सब के साथ नव नारायण, 84 महादेव व सप्तसागरों की यात्रा का खास महत्व माना जाता है। सप्त सागरों में पूजन परंपरागत होता है, लेकिन सामग्री अर्पण की महिमा अलग-अलग है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार प्रत्येक तीन वर्ष में अधिक मास आता है। इस पुण्य पवित्र मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। इसमें धर्म कार्य का महापुण्य प्राप्त होता है। पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु से संबंधित है, इसलिए मास पर्यंत भक्त श्रीहरि की आराधना करते हैं। उज्जैन के सप्त सागरों के तीर्थाटन के साथ अलग-अलग दान की महिमा बताई गई है।

यात्रा का आयोजन
धर्मयात्रा महासंघ एवं तीर्थ पुरोहित महासंघ की ओर से पुरुषोत्तम मास में सप्त सागर यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। धर्मयात्रा महासंघ के अध्यक्ष पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि अधिक मास में सप्त सागर की यात्रा और पूजन के महत्व को देखते हुए उज्जैन के सप्त सागर, रुद्र सागर, पुष्कर सागर, क्षीरसागर, गोवर्धन सागर, रत्न सागर, विष्णु सागर और पुरुषोत्तम सागर की यात्रा २० मई को होगी। यात्रा में शामिल होने के लिए पंजीयन किया जा रहा है। पं. चतुर्वेदी ने बताया कि यात्रा रुद्र सागर से पुष्कर सागर होते हुए क्षीरसागर तक पैदल होगी। इसके बाद शेष चार सागर की यात्रा वाहन के माध्यम से की जाएगी।

सात सागर और अर्पण की जाने वाली सामग्री
अधिक मास में सप्त सागरों के पूजन का विशेष महत्व है। सभी सागरों की पूजा अर्चना एक ही है, लेकिन अर्पण की जाने वाली सामग्री का विधान अलग अलग है।