scriptक्षिप्रा को कान्ह नदी के गंदे पानी से उद्धार का इंतजार…क्योंकि ५ क्यूमेक्स क्षमता वाली कान्ह डायवर्सन में आ रहा दोगुना पानी | Kshipra is waiting to be rescued from the dirty water of Kanh river. | Patrika News

क्षिप्रा को कान्ह नदी के गंदे पानी से उद्धार का इंतजार…क्योंकि ५ क्यूमेक्स क्षमता वाली कान्ह डायवर्सन में आ रहा दोगुना पानी

locationउज्जैनPublished: Nov 19, 2021 09:14:17 pm

Submitted by:

sachin trivedi

कान्ह नदी को डायवर्ट करने बनाई १०० करोड़ की योजना बेकाम, क्षिप्रा के साफ जल में मिल रहा गंदा पानी , कान्ह के गंदे पानी रोकने नहर व स्टॉप डैम बनाने के प्रोजेक्ट पर भी मंजूरी नहीं

Kshipra is waiting to be rescued from the dirty water of Kanh river.

कान्ह नदी को डायवर्ट करने बनाई १०० करोड़ की योजना बेकाम, क्षिप्रा के साफ जल में मिल रहा गंदा पानी , कान्ह के गंदे पानी रोकने नहर व स्टॉप डैम बनाने के प्रोजेक्ट पर भी मंजूरी नहीं

उज्जैन। मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी को प्रवाहमान और स्वच्छ बनाए रखने के लिए पिछले ४० सालों से चल रही कवायद अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। सिंहस्थ २०१६ में करीब १०० करोड़ रुपए खर्च कर बनाई गई कान्ह डायवर्सन योजना से उम्मीद थी कि क्षिप्रा का जल अब साफ होगा श्रृद्धालु आचमन भी कर सकेेंगे। बीते सालों में १०० करोड़़ की कान्ह डायवर्सन योजना क्षिप्रा का स्वच्छ रखने में कामयाब नहीं हो सकी। दरअसल कान्ह डायवर्सन योजना सिर्फ ५ क्यूमेक्स पानी को डायवर्ट करने के लिए बनी थी वर्तमान में कान्ह नदी में इससे दोगुना पानी आ रहा है लिहाजा पानी आगे जाकर क्षिप्रा को मैली कर रहा है। खास बात यह कि कान्ह के गंदे पानी को क्षिप्रा में मिलने से रोकने के लिए बनाए गए प्रोजेक्ट पर शासन ही गंभीर नहीं है। वहीं जनप्रतिनिधि में क्षिप्रा को स्वच्छ रखने को लेकर आवाज भी नहीं उठा रहे है। हाल ही में जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने क्षिप्रा को स्वच्छ रखने के लिए १५ दिनों में कार्ययोजना बनाने की बात कही थी, लेकिन इस पर भी अब तक कवायद शुरू नहीं हो सकी।

स्वच्छ क्षिप्रा के लिए दो योजनाएं….दोनों अटकी
त्रिवेणी पर ५ करोड़ से बनने वाला स्टॉप डेम की मंजूरी नहीं
तीन साल पहले कान्ह का गंदा पानी क्षिप्रा में मिलने से रामघाट से लेकर मंगलनाथ तक नदी प्रदूषित हो गई थी। उस समय त्रिवेणी पर कच्चे की जगह पक्का स्टॉप डैम का प्रस्ताव जलसंसाधन विभाग ने तैयार किया था। इसमें ५ से ७ मीटर उंचाई तथा ८० मीटर लंबा स्टॉप डैम बनाने का प्रस्ताव था। करीब ५ करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले स्टॉप डैम की कार्ययोजना को स्वीकृति के लिए भोपाल मुख्यालय भेजा था। लेकिन अब तक इसकी स्वीकृति नहीं मिली है।
४६५ करोड़ की २४ किमी लंबी नहर का प्रस्ताव भी अधर में
कान्ह डायवर्सन योजना के सफल नहीं होने पर जलसंसाधन विभाग ने ४६५ करोड़ से २४ किमी लंबी नहर बनाने का प्रस्ताव भी तैयार किया था। इसमें कान्ह डायवर्सन पाइप लाइन के साथ ही नहर खोदी जानी थी। यह नहर कालियादेह महल पर आकर मिलना है। इस प्रस्ताव को शासन को भेजे भी दो साल से अधिक होने आए हैं लेकिन अब तक कोई स्वीकृति नहीं मिली है। वास्तव में कान्ह डायवर्सन योजना में पाइप लाइन की जगह नहर खोदी होती तो क्षिप्रा नदी स्वच्छ बनी रहती।
पहले बताया था सिर्फ चार महीने मिलेगा कान्ह का पानी, अब क्षिप्रा में लगातार मिल रहा
कान्ह डायवर्सन योजना बनाई गई थी तब बताया गया था कि जून से सितंबर माह की अवधि में कान्ह का गंदा पानी क्षिप्रा में मिलेगा। इसके पीछे वजह बताई थी बारिश के चलते कान्ह डायवर्सन उपयोगी नहीं रहेगा। वर्तमान स्थिति यह है कि कान्ह में जलस्तर बढ़ोतरी हो गई है। राघोपिपल्या पर बने स्टॉपडैम से पानी रीसकर आगे बढ़ रहा है जो त्रिवेणी पर क्षिप्रा में मिल रहा है। दरअसल कान्ह नदी में ८ से १० क्यूमेक्स पानी आ रहा है और कान्ह डायवर्सन इतने पानी के लिए नहीं बनी है।
४५० करोड़ की नमर्दा-क्षिप्रा लिंक योजना पर भी पानी फेरा
कान्ह का गंदा पानी मिलने से ४५० करोड़ की नर्मदा -क्षिप्रा लिंक योजना पर भी पानी फिर रहा है। नर्मदा का स्वच्छ पानी क्षिप्रा नदी में छोड़ा जाता है तो घाटों पर पानी साफ रहता है। इस बीच कान्ह नदी का पानी क्षिप्रा में मिलता है तो नर्मदा का स्वच्छ पानी भी गंदा होकर प्रदूषित हो जाता है। यहीं नहीं नर्मदा जल से शहर को पेयजल की आपूर्ति भी की जाती है। कान्ह के गंदे पानी के कारण इसमें भी परेशानी होती है और कई बार गंदा पानी भी वितरित हो जाता है।
इसलिए जरुरी है योजना
– पंथपिपलाई में स्टॉप डैम से पानी डायवर्ट हो जाता है शेष पानी को नए स्टॉप डैम बनाकर रोक जा सकता है। इसका उपयोग खेती के लिए किया जा सकता है।
– कान्ह का पानी क्षिप्रा में नहीं मिलने से घाटों पर स्वच्छ पानी रहता है। इससे श्रृद्धालु की भावना भी आहत नहीं होती।
– क्षिप्रा में नर्मदा जल होने से पेयजल आपूर्ति भी स्वच्छ होती है।
– नर्मदा क्षिप्रा लिंक योजना की उपयोगिता भी सार्थक होती।
इनका कहना
कान्ह डायवर्सन योजना गर्मी को देखते हुए बनाई थी, अब नदी में तय क्षमता से दोगुुना पानी आ रहा है। कान्ह के पानी को क्षिप्रा में मिलने से रोकने के लिए नहर बनाने तथा त्रिवेणी पर स्टॉप डैम बनाने का प्रस्ताव भेज रखा है। अब तक इसकी स्वीकृति नहीं मिली है।
– कमल कुंवाल, कार्यपालन यंत्री, जलसंसाधन
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