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उज्जैन. महाकाल डेली दर्शन शृंखला में सोमवार 20 अगस्त को राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर के दरबार में नित-प्रतिदिन होने वाली भस्म आरती के दौरान अनूठा शृंगार किया गया। सावन मास के चलते रात ढाई बजे मंदिर के पट खोले गए। इसके बाद महाकाल का गर्भगृह कोटितीर्थ कुंड के जल से धोया गया। पुजारी-पुरोहितों ने मंत्रोच्चारण कर बाबा का जलाभिषेक किया, जिसे हरिओम जल कहा जाता है। ज्योतिर्लिंग पर आलौकिक शृंगार हुआ।
शृंगार के बाद चढ़ाई भस्मी
बाबा महाकालेश्वर का शृंगार पूजन करने के बाद पंडे-पुजारियों द्वारा भस्मी चढ़ाई गई। प्रतिदिन बाबा महाकालेश्वर सूर्य की प्रथम किरण से पहले भस्मी स्नान करते हैं। महाकाल की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। इस आरती का दर्शन करने के लिए भक्त हरदम लालायित रहते हैं।
अखाड़े के लोग ही चढ़ाते हैं भस्मी
कहा जाता है कि शिव को यदि कोई भस्मी चढ़ा सकता है, तो वह अखाड़े से जुड़े साधु या महंत द्वारा ही चढ़ाई जाती है। इसके लिए महाकाल मंदिर प्रांगण में महानिर्वाणी अखाड़े की स्थापना की गई। यहां के महंत प्रकाशपुरी महाराज या उनके अनुयायियों द्वारा प्रतिदिन भगवान महाकालेश्वर को भस्मी चढ़ाई जाती है।
पहले श्मशान से आती थी राख
उल्लेख मिलता है, कि प्राचीन समय में महाकाल को चढ़ाई जाने वाली भस्म श्मशान से लाई जाती थी, लेकिन समयांतर के साथ-साथ इसमें बदलाव आया। अब मंदिर में ही कंडों की राख जलाकर भस्मी तैयार की जाती है। इसी से प्रतिदिन बाबा की भस्म आरती होती है।
दूर-दूर से आते हैं भक्त
बाबा महाकाल की विश्व प्रसिद्ध भस्म आरती के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। इसके लिए मंदिर प्रबंध समिति द्वारा एक दिन पहले परमिशन जारी की जाती है। लोग घंटों लाइन में लगकर भस्म आरती अनुमति के लिए खड़े रहते हैं। वर्तमान समय में ऑनलाइन से भी भस्म आरती की अनुमति प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए मंदिर समिति द्वारा वेबसाइट तैयार की है।
Updated on:
20 Aug 2018 12:34 pm
Published on:
20 Aug 2018 12:31 pm
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