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video शिवमय हुई महाकाल की नगरी, अगहन मास में महाकाल ने किया भ्रमण

कार्तिक-अगहन मास में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारियों के क्रम में कार्तिक मास के प्रथम सोमवार को पहली निकली।

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उज्जैन. कार्तिक-अगहन मास में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारियों के क्रम में कार्तिक मास के प्रथम सोमवार को पहली निकली। रास्तेभर भोले के जयकारे और भजन कीर्तन होता रहा। सभामंडप में महाकाल के स्वरूप चांदी के मुघौटे का पूजन किया। पूजन के बाद शाम 4 बजे महाकाल मंदिर से सवारी शुरू हुई।

ढोल-मंजीरों से महाकाल का कीर्तन
कार्तिक एवं अगहन मास में प्रतिवर्ष निकाली जाने वाली सवारियों के क्रम में सोमवार को राजाधिराज महाकाल की सवारी धूमधाम से निकली। ढोल-ढमाकों और जयकारों के साथ भगवान महाकाल चांदी की पालकी में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकले तो भक्तों ने अपने आराध्यदेव के दर्शन किए।

मुख्य द्वार पर गार्ड ऑफ ऑनर
सवारी निकालने के पहले महाकाल मंदिर के सभा मंडप में विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया गया। पं. घनश्याम शर्मा ने पूजन संपन्न कराया। मंदिर के मुख्य द्वार पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। सवारी महाकाल मंदिर से चली और गुदरी, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंची, जहां तीनों लोकों के नाथ का शिप्रा के पावन जल से अभिषेक कर आरती उतारी गई। इसके बाद सवारी आगे के लिए बढ़ी।

यह रहा सवारी मार्ग
गंधर्व घाट, गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, ढाबा रोड, टंकी चौक, गोपाल मंदिर, छत्री चौक, पटनी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंची। सवारी के साथ घुड़सवार दल, पुलिस बल, नगर सैनिक, विशेष सशस्त्र बल की टुकडिय़ां, पुलिस बैंड और भक्तों की टोलियां शामिल हुईं। कार्तिक-अगहन मास की सवारियों के क्रम में अगली सवारी १३ नवंबर को निकाली जाएगी। सवारी में घुड़सवार दल, सशस्त्र जवान, झांझ-मंजीरे बजाते मंडली के साथ भक्तजन निकले। वहीं चांदी की पालकी में बाबा महाकाल ने पूरे सवारी मार्ग में भक्तों को दर्शन दिए।

दरबार में गूंजते हैं जयकारे
तन पर भस्मी लगाते हैं और मृगछाला ओढ़कर भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देते हैं। बाबा महाकाल त्रिपुरारी का स्वरूप बड़ा ही मनोहारी है। भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। उनके कई रूप हैं, सभी झलक पाने को आतुर रहते हैं। हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में उमड़ती है। जब भोले भस्मी रमाए बैठते हैं, तो उनका स्वरूप बड़ा ही मनोहारी नजर आता है। सुबह भस्मी से स्नान करते हैं। गर्भगृह में चारों तरफ भस्मी फैली होती है। जिससे ऐसा लगता है, मानों भक्त बाबा के हिमालय पर्वत पर दर्शन कर रहे हों। बाबा अनेक रूपों में भक्तों को दर्शन देकर धन्य करते हैं। महाकाल मंदिर में अनेक छोटे-बड़े मंदिर हैं। इनके दर्शन के लिए भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।