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video : महाकाल मंदिर : मिलेगी सुविधा, सभामंडप खुद बयां करेगा अपने राजसी वैभव की कहानी

श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में पुनर्निमित सभा मंडप का आंतरिक हिस्सा अब 35 घनमीटर सागवान की लकड़ी के पाटों से संवारा जाएगा।

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उज्जैन. श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में पुनर्निमित सभा मंडप का आंतरिक हिस्सा अब 35 घनमीटर सागवान की लकड़ी के पाटों से संवारा जाएगा। चार माह बाद सभामंडप खुद अपने राजसी वैभव की कहानी बयां करेगा, क्योंकि इन लकड़ी के पाटों पर प्राचीन संस्कृति और परंपरा को उकेरा जाएगा, जो यहाने आने श्रद्धालुओं को लुभाएगी। फिलहाल सभा मंडप की छत पर नक्काशीदार पाट लगाने के लिए सिलिंग बेस का काम पूर्ण हो चुका है। एक दो दिन के अंदर लकड़ी प्राप्त होते ही नक्काशी का कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद है। इसके अलावा श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सभामंडप में ही बाबा महाकाल के जलाभिषेक के लिए स्थायी रूप से जलपात्र भी लगा दिए गए हैं।

सभामंडप के आंतरिक हिस्से को नक्काशीदार लकड़ी से संवारने की योजना

महाकाल मंदिर में कोटितीर्थ के पास पुराने सभामंडप को तोड़कर 1 करोड़ 88 लाख रुपए की लागत से पुनर्निर्मित किया गया है। सभामंडप के आंतरिक हिस्से को नक्काशीदार लकड़ी से संवारने की योजना तैयार की गई है। सभामंडप में अंदर के हिस्से की सागवान की लकड़ी के पाट पर वुडन क्लोडिंग से नक्काशीदार एेसे होगी, जिसमें प्राचीन, धार्मिक संस्कृति और परंपरा की झलक नजर आएगी। पूरे सभामंडप को लकडि़यों से कवर किया जाएगा। पिलरों के आस-पास भी लकड़ी की क्लोडिंग की जाएगी। भीतर का पूरा भाग लकड़ी से निर्मित नजर आएगा। वुडन क्लोडिंग के लिए सिलिंग का कार्य हो गया है। जल्द ही नक्काशी का कार्य सभा मंडप में शुरू किया जाएगा।

मंदिर परिसर में ही वर्कशॉप
सभामंडप में वुडन क्लोडिंग और सिलिंग कार्य के लिए यूडीए द्वारा इंदौर की बोन-टोन एजेंसी का प्रस्ताव स्वीकार कर काम दिया है। सभामंडप में सिलिंग कार्य कर दिया है। इंतजार सागवान की लकड़ी का है। वुडन क्लोडिंग में करीब 35 घनमीटर लकड़ी का उपयोग होगा। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति, यूडीए द्वारा वन विभाग से तालमेल कर विभाग के डिपो से लेने की औपचारिकता पूरी कर ली गई है। लकड़ी वन विभाग से क्रय की गई है। एक-दो दिन में लकड़ी प्राप्त होने की उम्मीद है। बोन-टोन एजेंसी द्वारा आरा मशीन पर लकड़ी को चीरने का काम करने के बाद मंदिर परिसर के उचित रिक्त स्थान पर वर्कशॉप लगाने की अनुमति नक्काशी का कार्य किया जाएगा। लकड़ी लाने से लेकर इनको पाट के रूप में काटने,नक्काशी और फिटिंग का काम अपनी लेबर के साथ करना है। इसके लिए एजेंसी को मंदिर परिसर के रिक्त स्थान पर वर्कशॉप लगाने की अनुमति देने पर विचार किया जा रहा है। कार्य पूर्ण करने के लिए चार माह का लक्ष्य तय किया गया है।

सवारी के पूजन और श्रद्धालुओं के प्रवेश का स्थान
सभामंडप का उपयोग श्रद्धालुओं के लिए सभामंडप में श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली सवारी के पहले भगवान के मुखारविंद का पूजन कर भगवान को पालकी में विराजित किया जाता है। आम दिनों में सभामंडप का उपयोग श्रद्धालुओं कांे नंदी हॉल, गणेश मंडपम बैरिकेड्स में प्रवेश देने के लिए किया जाता है। कोटितीर्थ के पास सभामंडप का कार्य करीब 10 माह पहले पूर्ण हो गया था। इसमें महाकाल के जलाभिषेक के लिए जलपात्र भी लगा दिए हैं। कार्य के दौरान श्रद्धालुओं को अन्य मार्ग से प्रवेश दिया जाएगा।

एक वर्ष पहले तोड़ा गया था सभामंडप
पहले भी हो चुका है जीर्णोद्धार जानकारों के अनुसार 400 वर्ष पहले ग्वालियर स्टेट की महारानी बायजाबाई द्वारा सागौन की लकड़ी से सभामंडप का जीर्णोद्धार कराया गया था। ग्वालियर स्टेट के सूबेदार रामचंद्र बाबा ने करीब 120 वर्ष पहले सभामंडप का पक्का निर्माण कराया। इसके बाद अब फिर से 2018 में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा सभामंडप का पुर्ननिर्माण/जीर्णोद्धार कराया गया है। इसमें सभामंडप के पुराने भवन को तोडऩे के बाद पहले इसका मजबूत बेस तैयार किया। इसके सभामंडप में लोहे के कुल 27 पिलर लगाकर स्ट्रक्चर भी लोहे से कर इसमें लोहे का जाल बनाकर ऊपर सीमेंट-कांक्रीट किया गया है। मारबल की फ्लोरिंग की गई है।