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शास्त्रीय संगीत में एेसी शक्ति की पशु-पक्षी में भी हलचल हो गई 

मोहनवीणा वादक पद्मभूषण पं.विश्वमोहन भट्ट ने कहा - शास्त्रीय वादन-गायन के लिए समय और धैर्य की जरूरत

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Rishi Sharma

Jul 15, 2017

Mohanvina Players Padmabhushan Pt. Vishav Mohan Bh

Mohanvina Players Padmabhushan Pt. Vishav Mohan Bhatt said

उज्जैन. शास्त्रीय वादन-गायन को आत्मसात, अंगीकार करने के लिए समय और धैर्य की जरूरत है। वर्तमान दौर में अधिकांश युवाओं के पास इसके लिए दोनों ही नहीं है। युवा का आकर्षण तड़क-भड़ेक भरे संगीत-गीत की ओर है। यह बात महाकाल मंदिर समिति की ओर से आयोजित श्रावण महोत्सव में शिरकत करने आएं ग्रेमी अवार्ड विजेता,मोहनवीणा वादक पद्मभूषण पं.विश्वमोहन भट्ट ने कहा ने पत्रकारों से चर्चा करने हुए कही। शास्त्रीय वादन-गायन की ओर किसी को जोर,दबाव में नहीं लाया जा सकता है। इसके लिए रूचि,मनोभाव और इच्छा होनी चाहिए। इस विधा के समय और धैर्य महत्वपूर्ण है। कोई भी व्यक्ति यदि मनोयोग से शास्त्रीय वादन-गायन के दो-तीन कार्यक्रम का पूर्ण तौर पर श्रवण कर लें,तो वह स्वाभाविक रूप से इसकी ओर आकर्षित होने लगेगा।

विविध आयामों का समावेश
पं.भट्ट ने कहा कि जो बात भारतीय शास्त्रीय गायन,वादन में है, ऐसी किसी अन्य संगीत और गीत में नहीं है। भारतीय शास्त्रीय वादन,गायन में आध्यात्म,दर्शन,भक्ति,शक्ति,संस्कार और परंपरागत संस्कृति के साथ विविध आयामों का समावेश है। शास्त्रीय गायन,वादन में में निर्मल आनंद है। यह दिल,दिमाग को सकून देता है। यह एक नाद,ध्यान और मेडीटेशन है।

मनोरंजन और संगीत को जोड़ दिया
पं.भट्ट ने कहा कि शास्त्रीय गायन,वादन को चाहने और समझने वालों की कोई कमी नहीं है,पर मनोरजंन और संगीत से जोडऩे की वजह से वर्तमान युवा इससे दूर है। देश-विदेश में और अधिक बढ़वा देने के लिए संगीत के अनेक घरानों के साथ कई संस्थाएं अपना सक्रिय योगदान दे रहें है।

वादक को गायन की समझ भी होनी चाहिए
मूल तौर पर मोहनवीणा वादक पं.भट्ट ने सावन,मेघ और वर्षाऋतु पर विभिन्न घरानों की बंदिशों की बानगी पेश करते हुए कहा कि शास्त्रीय वादन करने वालों को सुरों की जानकारी के साथ गायन की समझ भी होना चाहिए,ताकि वादन के दौरान सुरों को लेकर बेहत्तर वादन हो सकें।

और पुष्प और पत्ते गिरने लगे थे
पं.भट्ट के साथ आएं उनके पुत्र-शिष्य पं. सलिल भट्ट ने शास्त्रीय गायन,वादन में पशु-पक्षी को भी आकर्षित करने की ताकत है। एक घटना का जिक्र करते हुए सलिल ने बताया कि बात 1993 की है। पिताजी का महाकाल मंदिर परिसर में कार्यक्रम था। मध्य रात्रि तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान पक्षियों के कलरव और हलचल शुरु हो गई। वृक्ष से पुष्प और पत्ते गिरने लगे। उस वक्त की इस घटना के अनके श्रोता और प्रत्यक्षदर्शी थे।

श्रावण महोत्सव आज से पं.विश्वमोहन भट्ट,पं.सलील भट्ट का मोहनवीणा वादन
महाकालेश्वर मन्दिर में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी श्रावण महोत्सव मनाया जाएगा। महाकाल मंदिर में श्रावण उत्सव की शरुआत रविवार को पद्मभूषण पं.विश्वमोहन भट्ट एवं पं.सलील भट्ट द्वारा मोहनवीणा जुगलबन्दी होगी। श्रावण महोत्सव के पहले दिन महाकाल परिसर/महाकाल प्रवचन हॉल में रविवार शाम 7 बजे पद्मभूषण पं.विश्वमोहन भट्ट एवं पं.सलील भट्ट की ओर से मोहनवीणा जुगलबन्दी प्रस्तुत होगी। मृदंग वादन पं.विजय रामदास करेंगे।