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सिंहस्थ में हरि-हर मिलन, महाकाल के आंगन में मन के मानस का मंथन

बाबा महाकाल की नगरी में हरि और हर का नए स्वरूप में मिलन हो रहा है। मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज के प्रभु प्रेमी शिविर में नौ दिवसीय राम कथा के लिए आए हैं, लेकिन कथा में वे राम के बजाय श्रीरामचरित मानस में उल्लेखित शिव कथा प्रसंगों का वर्णन करेंगे। भूतभावन की नगरी में रामकथा भी महाकाल मानस के स्वरूप में आई है।

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Lalit Saxena

Apr 24, 2016

morari bapu

morari bapu

उज्जैन. शनिवार को बापू ने शुभारंभ करते हुए कहा, सिंहस्थ में कथा कहने का सौभाग्य मिला तो सोचा, मानस का कौन सा विषय उठाऊं, जिस पर चर्चा करें। महाकाल के आंगन में कथा कहनी है तो केंद्रीय बिंदु महाकाल हैं, इसलिए मानस महाकाल को समर्पित है। रुद्राष्टक की दो पंक्तियों से भगवान महाकाल का अभिषेक करेंगे...

निराकार ओंकार मूलं तुरीयं...
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशं ।।

परंपरा प्रवाहमान रहे तो पवित्र
परंपरा प्रवाही होनी चाहिए। जब परंपराएं जड़ हो जाती हैं तो वह कुरूप हो जाएंगी। उसका प्रभाव कम हो जाता है। परंपरा, उस नदी की तरह है, प्रवाहमान है तो पवित्र है और हमें भी पवित्र बना देती है। इसलिए कथा शुरू करने के प्रथम दिन उसकी महिमागान करना जरूरी है। सद्ग्रंथ का परिचय कराना जरूरी है। जब तक परिचय नहीं होता, तब तक विश्वास नहीं आता है। यह सद्ग्रंथ दृढ़ता देने वाला ग्रंथ है।

निष्ठा हो जाने पर चौपाइयां नर्तन करती हैं
मानस कोई किताब नहीं है, दरअसल वह विश्व का कलेजा है। अगर इसके प्रति पूर्ण निष्ठा हो जाती है तो चौपाइयां नर्तन करने लगती हैं। श्लोक अर्थ खोलने लगते हैं। मानस भारतीय मनीषा, प्रज्ञा और मंजुल भारती का मस्तक है। इसलिए परंपरा रही है कि रामकथा शुरू करने से पहले उस सदग्रंथ के बारे में लोगों को बताया जाए। वैसे तो सबको पता है रामकथा क्या है। मन में विश्वास नहीं हो तो प्रेम की धारा फूटती नहीं है।

मानस महाकाव्य ही नहीं, महामंत्र भी है
मानस महाकाव्य ही नहीं, महामंत्र भी है। कलि पावनातार तुलसी ने कहा है, साधक इसका अनुष्ठान पारायण करेगा। उसके कुअंक मिट जाएंगे। अपने पवित्र ग्रंथ के प्रति ईष्ट भाव होना ही चाहिए। सवाल दृढ़ भरोसे का है। सद्ग्रंथ वह है, जो ईश्वर की राह बताए। विश्व वंदन गांधी बापू भी कहते थे कि जो व्यक्ति रामायण, महाभारत को नहीं जानता है, उसे भारतीय होने का अधिकार नहीं है।

रमेशभाई ओझा की भागवत कथा शुरू
श्रीगुरु काष्र्णि कुंभ मेला शिविर में शनिवार से श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। भाईजी रमेशभाई ओझा 30 अप्रैल तक दोपहर 4 से शाम 7 बजे तक भागवत कथा करेंगे। संयोजक शक्ति महाराज के अनुसार, काष्र्णि पीठाधीश्वर गुरु शरणानन्द महाराज ने कथा की शुरुआत की। यहां एक महीने तक रासलीला होगी।

कथा श्रवण से पूर्ण कुंभ हो जाएगा
कथा में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने कहा, कुंभ का प्रथम शाही स्नान पूरा हो चुका है, अब बापू के श्रीमुख से रामकथा के बाद कुंभ पूर्ण हो जाएगा। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा, वाल्मीकि व हनुमान की परंपरा के संवाहक संत मोरारी बापू की कथा का रसास्वादन करने का सुअवसर मिला है। इस मौके पर बोहरा समाज नागपुर शाखा के प्रमुख अमीरुद्दीन मलिक और प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह उपस्थित रहे।

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