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क्यों कहते हैं नंदी के कान में मन की बात, शिव से पहले दर्शन का क्या है रहस्य

शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा जरूर रहती है। लेकिन कभी आपने गौर किया कि भगवान शिव के पहले हम नंदी के पैर क्यों पड़ते हैं। उनके कान में अपने मन की बात क्यों कहते हैं। 

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Lalit Saxena

Sep 08, 2016

nandi and shiva mysterious story

nandi and shiva mysterious story

उज्जैन. शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा जरूर रहती है। लेकिन कभी आपने गौर किया कि भगवान शिव के पहले हम नंदी के पैर क्यों पड़ते हैं। उनके कान में अपने मन की बात क्यों कहते हैं। शायद नहीं, तो पत्रिका डॉट कॉम बता रहा है क्या है यह रहस्य।

आध्यात्मिक रहस्य
भगवान महाकाल की नगरी में अनेक शिव मंदिर और नंदी की प्रतिमाएं हैं। मंदिर आने वाला हर भक्त भोले के दर्शन कर अपने आपको धन्य पाता है। देशभर में जितने भी शिव मंदिर हैं, उनमें नंदी की प्रतिमा अवश्य मिलती है। आखिर लोग शिव से पहले नंदी के दर्शन क्यों करते हैं। इसके पीछे भी एक आध्यात्मिक रहस्य छुपा है।

दर्शन करने का बड़ा महत्व है
उज्जैन के विद्वानों के मतानुसार शिवालय में शिवलिंग के दर्शन से पूर्व नंदी के दर्शन करने का बड़ा महत्व है। साधारण आध्यात्मिक स्तर पर श्रद्धालु नंदी के एक ओर खड़े रहकर दर्शन करें, दर्शन करते समय शिवलिंग और नंदी के मध्य में न तो बैठें, न खड़े रहें। नंदी के बगल में खड़े रहकर ही दर्शन लाभ लें।


सौम्य शक्ति में रूपांतरण
शिव एवं विष्णु उच्च के देवता होने के कारण उनसे (प्रतिमा से) निरंतर अधिक मात्रा में शक्ति का प्रक्षेपण होता है। शिव से सीधे आने वाली प्रकट शक्तियों की तरंगों के कारण साधारण व्यक्ति की देह में उष्णता उत्पन्न होने से उस पर विपरीत परिणाम प्राप्त होते हैं। नंदी के एक ओर खड़े रहकर पिंडी के दर्शन करने से नंदी के कारण शिव की शक्ति सौम्य शक्ति में रूपांतरण होकर वह सहज रूप में प्राप्त होती है। यही वजह है कि हम नंदी के समीप खड़े होते हैं और शिवजी के दर्शन करते हैं।

कान में कहते हैं मन की बात
नंदीजी भगवान शिव के खास गण माने जाते हैं। वे उनसे वह सारी बात कहते हैं, जो हम नंदी के कान में कहते हैं। यहां तक कि वे उनसे वह भी कह देते हैं, जो हम मन ही मन सोचकर मंदिर जाते हैं। यही है अंतरयामी शिव और नंदी की जोड़ी का खास रहस्य।

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