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जयंती पर विशेष: देशभक्ति पर अमर गीत लिखने वाले प्रदीपजी का यहाँ हुआ था जन्म

Ujjain News: राष्ट्रीय कवि प्रदीप 106वें जन्मदिवस पर संगीत संध्या 'पिंजरे के पंछी'

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National poet Pradeep ji's birth anniversary today

Ujjain News: राष्ट्रीय कवि प्रदीप 106वें जन्मदिवस पर संगीत संध्या 'पिंजरे के पंछी'

उज्जैन। जिले की तहसील बडऩगर में जन्मे राष्ट्रीय कवि प्रदीप अपने सदाबहार देशभक्ति गीत 'ए मेरे वतन के लोगों' की रचना से आज भी भारतीयों के मानसपटल पर छाए हुए हैं। भारत-चीन युद्ध के समय शहीद हुए भारतीय सैनिकों की श्रद्धांजलि में उनके द्वारा लिखे गए व स्वर कोकिला लता मंगेशकर द्वारा गाए गए इस गीत की अमिट छाप आज भी हमारे मन में बनी हुई है। वहीं 'दूर हटो ए दुनियावालों हिन्दुस्तान हमारा है' के रचनाप्रार बनकर वे देशभक्ति गीतकारों के रूप में अमर हो गए।

महान राष्ट्रभक्त गीतकार एवं कवि

ऐसे महान राष्ट्रभक्त गीतकार एवं कवि श्री प्रदीप के जन्मदिवस उपलक्ष्य में भारतीय कला संगीत अकादमी उज्जैन के तत्वावधान में 6 फरवरी को शाम 7 से 10 बजे तक विक्रम कीर्ति मंदिर के मंच पर संगीतमय संध्या 'पिंजरे के पंछी' का आयोजन किया जाकर श्री प्रदीप को स्वरबद्ध आदरांजलि दी जाएगी। इस आयोजन की जानकारी देते हुए अध्यक्ष अनिल प्रहार एवं कार्यक्रम संयोजक आदित्य श्रीवास्तव ने बताया कि कवि प्रदीप के भानेज प्रमोद तिवारी व पार्षद विजयसिंह दरबार मुख्य अतिथि होंगे। कार्यक्रम में नवोदित कलाकारों को अवसर दिया जा रहा है।

इस गीत में जीवन की सच्चाई

सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वह गांव
कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव।

ऊपर वाला पासा फेंके, नीचे चलते दांव
कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव।

भले भी दिन आते जगत में, बुरे भी दिन आते
कड़वे मीठे फल करम के यहां सभी पाते।

कभी सीधे कभी उल्टे पड़ते अजब समय के पांव
कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव

क्या खुशियां क्या गम, यह सब मिलते बारी-बारी
मालिक की मर्जी पे चलती यह दुनिया सारी।

ध्यान से खेना जग नदिया में बंदे अपनी नाव
कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव

सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वह गांव
कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव।