GST करेगा रक्षाबंधन पर भाइयों की ‘जेबें तंग’, गुजरात से नहीं आ रहा नया स्टॉक
रक्षाबंधन पर इस बार भाईयों की जेब थोड़ी तंग होने वाली है। कारण उपहारों पर जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) का प्रभाव पडऩा है। दरअसल जीएसटी लागू होने से साडिय़ों के दामों में 10 से 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
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नागदा. रक्षाबंधन पर इस बार भाईयों की जेब थोड़ी तंग होने वाली है। कारण उपहारों पर जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) का प्रभाव पडऩा है। दरअसल जीएसटी लागू होने से साडिय़ों के दामों में 10 से 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। जिसके चलते 200 से 1000 रुपए तक बिकने वाली सिफोन साड़ी जीएसटी लगने के बाद 1500 रुपए पर पहुंच गई है।
इसी प्रकार ब्रांडेड सूटों के दाम भी आसमान पर पहुंचे गए है। अनारकली सूट जो दो माह पूर्व 1500 रुपए की रेंज से स्टार्ट था, जीएसटी के बाद उसकी रेंज 1800 रुपए पहुंच गई है। शहर में कपड़े के दामों का बढऩे का दूसरा कारण सूरत (गुजरात) से कपड़ों का स्टॉक शहर नहीं पहुंचना है।
कपड़ा व्यापारी अध्यक्ष अशोक सेठिया के अनुसार सूरत के व्यापारियों द्वारा कपड़ों की कम खेप ही अन्य शहरों के लिए निर्यात की जा रही है। जिसके चलते शहर के व्यापारियों को थोक में सस्ते दामों पर साडिय़ा व अन्य कपड़े उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
साडिय़ां पसंद पर खरीदी नहींरक्षाबंधन पर्व के नजदीक आते ही शहर में कपड़े व साडिय़ों की पूछपरख तो तेज हुई है, लेकिन व्यापारियों द्वारा साडिय़ों के दाम जीएसटी जोड़कर बताने से महिला उपभोक्ताओं निराश होकर लौट रही है। साड़ी विक्रेताओं का तर्क है, कि शहर में 90 प्रतिशत साडिय़ों का स्टॉक सूरत से मंगवाई जाती है। सूरत में बीते दिनों से जीएसटी का विरोध के चलते साड़ी के थोक विक्रेता हड़ताल पर है।
सूरत के व्यापारियों द्वारा जीएसटी को लेकर विरोध व्याप्त है। जिसके कारण व्यापारी कपड़ों की कम खेप ही अन्य शहरों में नहीं भेज रहे है। जीएसटी लगने के बाद साडिय़ों के दामों में 10 से 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। अशोक सेठिया, अध्यक्ष, क्लाथ मर्चेंट एसोशिएशन
जीएसटी लगने से साडिय़ों के दामों में इजाफा होना ठीक है, स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन साड़ी विके्रताओं द्वारा पुराना स्टॉक नए दामों पर बेचना गलत है। रक्षाबंधन पर साडिय़ों का अधिक क्रेज होता है, लेकिन इस बार सूट से ही काम चलना पड़ेगा। -रीना दीक्षित
रक्षाबंधन पर्व पर मैरिज वुमन हो या अनमैरिड सभी को साड़ी पहनकर भाई की कलाई पर राखी बांधने का शौक होता है। इस बार जीएसटी को लेकर व्यापारियों में रोष व्याप्त है, तो पर्व की रंगत थोड़ी फीकी पड़ सकती है।
-सीमा सारस्वत
रक्षाबंधन पर्वपर भाई बहनों को साड़ी देता है, वहां तक ठीक है छोटी-छोटी बालिकों के सूट भी जीएसटी लगने के बाद महंगे हो गए। साडिय़ों का दर्द तो बदार्श हो जाएगा, बेचारी छोटी बालिकाओं का मन दुखेगा। -जय पांडे
साडिय़ों के साथ मैचिंग ब्लॉउज और फाल के दाम भी बढ़ गए हैं। इस बार रक्षाबंधन पर्व मन मारकर मनाना पड़ेगा। जीएसटी नहीं होता तो भाई से महंगी साडिय़ों के लिए जिद भी कर सकते हैं, लेकिन अब यह मुश्किल होगा। -रेखा मालवीय
फैक्ट फाइल साड़ी का नाम कीमत मूल्य वृद्धि प्रतिशत सिफोन 200-2000 10 जारजाट 400-10000 15 जुर्ट कार्टन 250-1000 10
साड़ी का नाम कीमत मूल्य वृद्धि प्रतिशत लहरिया 250-2000 12 सिंथेटिक 200-500 8 (स्रोत : साड़ी व्यापारियों के अनुसार)