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पर्जन्य से होती है पानी की पुकार…मंत्रों की गूंज सुन उमड़ आते हैं मेघ

महाकाल मंदिर में आद्र्रा और मृगशिरा नक्षत्र में 22 जून को हो सकता है पर्जन्य अनुष्ठान, सतत जलधारा से भगवान महाकाल का अभिषेक करेंगे

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पर्जन्य से होती है पानी की पुकार...मंत्रों की गूंज सुन उमड़ आते हैं मेघ

पर्जन्य से होती है पानी की पुकार...मंत्रों की गूंज सुन उमड़ आते हैं मेघ

उज्जैन. राजाधिराज भगवान महाकाल के दरबार में हर वर्ष उत्तम वर्षा की कामना को लेकर पर्जन्य अनुष्ठान किया जाता है। इस वर्ष भी यह अनुष्ठान 22 जून को हो सकता है। देश-प्रदेश, नगर सभी जगह अच्छी बारिश होने के उद्देश्य से आद्र्रा और मृगशिरा नक्षत्र में यह अनुष्ठान किया जाता है। मंदिर के पुजारी-पंडितों द्वारा नंदी हॉल में शृंगी ऋषि की प्रतिमा रखकर उनकी महापूजा की जाएगी साथ ही सहस्त्र जलधारा प्रवाहमान करते हुए मंत्रों की ध्वनि से देवराज इंद्र को मनाया जाएगा।
पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि महाकाल मंदिर में यह अनुष्ठान वर्षों से किया जाता रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस अनुष्ठान को करने से अच्छी बारिश होती है, जो सभी के लिए वरदान साबित होती है। इस वर्ष यह अनुष्ठान निर्धारित नक्षत्र और तय तिथि पर हो सकता है। पुजारी वेद मंत्रों तथा सतत जलधारा के माध्यम से भगवान महाकाल का अभिषेक करेंगे। वर्षा ऋतु का आगमन होने का यह मूल समय रहता है। ऐसे शुभ समय में राजाधिराज महाकाल का जलात्मक अभिषेक करने से देश में उत्तम वृष्टि होने का योग प्रबल होगा। नदी, तालाब, कुएं-बावड़ी तथा अन्य जलस्रोत परिपूर्ण होंगे।

प्रबंध समिति की ओर से किया जाता है आयोजन

मंदिर प्रबंध समिति द्वारा बीते कुछ वर्षों से देश में उत्तम वृष्टि तथा लोकमंगल की कामना से प्रतिवर्ष पर्जन्य अनुष्ठान किया जाता रहा है। इस बार भी समिति 22 जून को आद्र्रा नक्षत्र में एक दिवसीय आयोजन का विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार आद्र्रा और मृगशिरा नक्षत्र होने से 24 घंटे का जलात्मक अभिषेक पूजन करने की योजना बनाई जा रही है। हालांकि पिछले वर्ष पर्जन्य के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त से पहले ही नगर में उत्तम वृष्टि का दौर शुरू हो गया था, इसलिए मंदिर समिति ने आयोजन स्थगित कर दिया था।

22 जून को सूर्य का आद्र्रा में प्रवेश

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया पंचागीय गणना के अनुसार 22 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश हो रहा है। सूर्य के आद्र्रा में प्रवेश करते ही वर्षा ऋतु का मूल समय प्रारंभ हो जाएगा। मैदिनी ज्योतिष शास्त्र में आद्र्रा नक्षत्र को सूर्य का पर्जन्य नक्षत्र माना गया है। इस बार 15-16 जून के बाद सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश तथा जलकारक ग्रहों का परिवर्तन होने से आद्र्रा नक्षत्र को उत्तम वृष्टि का चक्र निर्मित करने में काफी बल मिलेगा।