
Nishad Sammelan Ujjain (फोटो सोर्स : @DrMohanYadav51)
Nishad Sammelan Ujjain: मोहन सरकार शनिवार को मध्यप्रदेश में पहला निषादराज सम्मेलन कर रही है। राज्य स्तरीय उज्जैन में होगा। गूंज बिहार और उत्तरप्रदेश तक सुनाई देगी। सीएम का ये कदम बिहार चुनाव(Bihar Elections 2025) को लेकर बीजेपी की अंदरूनी रणनीति की झलक दिखा रहा है। सरकार का लक्ष्य सम्मेलन से मध्यप्रदेश में रहने वाले निषादवंशीय समुदाय के 20 लाख से अधिक लोगों के जीवन स्तर में खुशहाली लाना है। इसके लिए सरकार ने दो लाख परिवारों को फिशरमैन क्रेडिट कार्ड दे रखे हैं। अब इन्हें मछली पालने और मछली मारने की आधुनिक तकनीक से जुड़ा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इन परिवारों की आर्थिक मजबूती के लिए सम्मेलन के जरिए इनके खातों में मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ के लाभांश जारी करेंगे। सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है, जब बिहार में चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो चली हैं। यह मध्यप्रदेश में भी सुनाई पड़ रही हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि यहां बिहार के लाखों परिवार जीवन यापन कर रहे हैं, बल्कि ज्यादातर तो यहीं के हो चले हैं। माना जा रहा है कि इन परिवारों के जरिए मोहन सरकार बिहार(Bihar Elections 2025) के निषादवंशीय समुदाय के लोगों को संदेश देना चाहती है कि भाजपा की राज्यों में मौजूदा सरकारें उनके लोगों का खास ध्यान रख रही है।
मध्यप्रदेश की धरती से बिहार(Bihar Elections 2025) के परिवारों को साधने सत्ता-संगठन एक लय में काम कर रहे हैं। मप्र भाजपा ने मार्च 2025 में धूमधाम से बिहार दिवस मनाया था। कार्यक्रम एक भारत-श्रेष्ठ भारत% के नाम से किया था। सीएम डॉ. मोहन यादव व तब के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत कई दिग्गज जुटे थे। भरोसा दिया था कि मप्र में रह रहे बिहार के लोगों के विकास में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
बिहार में निषादवंशीयों का करीब 40 से अधिक सीटों पर प्रभाव माना जाता है। यहां उक्त समाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए कई दल खुद को समर्पित बताते रहे हैं तो यूपी में निषादराज पार्टी भी सक्रिय है। मध्यप्रदेश में निषादवंशीयों के सामाजिक संगठन काफी मजबूत माने जाते हैं। राजधानी भोपाल के सैरसपाटा स्थित क्षेत्र में भगवान निषादराज की प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव प्रचलन में है।
पूर्व में भाजपा की ही तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार मछुआ कल्याण दिवस मनाती थी, जो हर साल 10 जुलाई को मनाया जाता था। निषादवंशीय माझी, कीर, कहार, केवट, ढीमर, भोई, मझवार कल्याण समिति के अध्यक्ष सुभाष रायकवार ने पत्रिका को बताया कि आदिकाल से परंपरागत तरीका अपनाकर मछली पालन का व्यवसाय करने वाली जाति व उप जातियों के लोग भगवान निषादराज को अपना आराध्य देव मानते हैं। यदि मछुआ शब्द की बात करें तो यह भी समाज का प्रतीक है लेकिन निषादराजहमारे मूल में सबसे बड़ा है भारत वर्ष के सामाजिक लोग उक्तशब्द में समाहित है।
Published on:
12 Jul 2025 11:02 am
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