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उज्जैन. शिप्रा नदी का सबसे महत्वपूर्ण घाट रामघाट ही नजरअंदाजी का शिकार है। संधारण की कमी ने इसे बदहाल कर दिया है और मॉनिटरिंग के अभाव में अतिक्रमण पसर गया है। सुरक्षा के इंतजाम तो सिर्फ दिखावा मात्र के ही बचे हैं। सौंदर्यीकरण के नाम पर कुछ वर्ष पूर्व रामघाट पर पुराने काले पत्थर हटाकर धौलपुरी लाल पत्थर लगाए गए थे। कमजोर क्वालिटी के यह पत्थर अब मैले होने के साथ ही जगह-जगह से टूट गए हैं। दो साल में न इन्हें बदलने का काम हुआ है और नहीं इनकी ठीक से सफाई हुई है। शिप्रा के इस प्रमुख घाट पर अव्यवस्था सिर्फ टूटे पत्थरों तक ही नहीं है, लचर व्यवस्था के कारण यहां अतिक्रमण इस कदर फैला है कि लगभग आधा घाट बेतरतीब दुकानों और वाहनों से घिरा रहता है। निर्माल्य विसर्जन की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण पूरे दिन फूल माला, नारियल आदि का कचरा घाट व नदी में जगह-जगह फैला रहता है।
यहीं आते हैं सर्वाधिक श्रद्धालु
प्राचीनता के साथ ही धार्मिक और पौराणिक महत्व के चलते श्रद्धालु व पर्यटक रामघाट पर सबसे अधिक संख्या में आते हैं। अधिक मास में ही प्रतिदिन एक हजार से अधिक श्रद्धालु इस घाट पर स्नान करने पहुंचे थे। इसके अलावा कार्तिक स्नान, अमावस्या आदि प्रमुख अवसरों पर भी हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। सिंहस्थ में तो इस घाट पर साधु-संतों के साथ ही लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं। एेसे में यहां घाट की बदहाल स्थिति देख उनकी भावनाएं तो आहत होती ही हैं, अन्य शहरों में उज्जैन की छवि पर भी गलत असर पड़ता है।
हाल ए रामघाट
सुरक्षा- सिंहस्थ में लगे बैरिकेड्स हटाने के बाद यहां डूबने से दर्जनों मौत हो चुकी है। पिछले वर्ष यह मुद्दा गरमाने के बाद नगर निगम ने अस्थायी बैरिकेड्स लगाए थे लेकिन कुछ ही महीनों में यह अस्त-व्यस्त हो गए। अभी अस्थायी पाइपों पर रस्सी से सीमा तय की गई है, लेकिन लोग बेरोकटोक इसे पार कर नदी में जाते हैं। बारिश की संभावना के चलते नदी के पैदल पुल पर लगी रैलिंग भी हटा दी गई है। कई लोग पुल पर खड़े होकर सेल्फी लेते हैं, जिससे हादसे की आशंका बनी रहती है।
अधूरा निर्माण- घाट पर सुविधाघर का निर्माण होना था लेकिन
आधे-अधूरे निर्माण में ही काम रोक दिया गया। अब यह अधूरा निर्माण घाट की खूबसूरती को खराब कर रहा है।
अतिक्रमण- रामघाट पर तेजी से दुकानों का अतिक्रमण फैला है। कई दुकानदारों ने अपनी दुकान के १०-१५ फीट आगे तक सामग्री रख कब्जा कर लिया है। इससे भी घाट की व्यवस्था और आकर्षण प्रभावित हो रहा है।
कचरा व गंदगी- घाट पर रोज सैकड़ों श्रद्धालु पूजन करते हैं। इससे बड़ी मात्रा में निर्माल्य निकलता है। निर्माल्य एकत्र करने के लिए घाट पर कुछ टंकियां रखी गई हैं, बावजूद इधर-अधर कचरा फैला रहता है। यहीं नहीं कई बार प्रतिबंध के निर्णय होने के बावजूद नदी में निर्माल्य सामग्री डालने पर लगाम नहीं लगी है।
कमजोर पत्थर- घाट पर लगाए गए लाल पत्थर जगह-जगह से टूट रहे हैं। कुछ जगह तो घाट की सीढि़यों से ही पत्थर टूट गए हैं। नदी में अधिक पानी होने पर इन टूटे पत्थरों से श्रद्धालु घायल भी होते हैं।
जरूरी सुविधाओं की कमी
सुविधाघर- बायो टॉयलेट के दौर में रामघाट पर अब भी पुराने तरीके के सुविधाघर ही हैं। सफाई की कमी से इनके अंदर तो गंदगी रहती ही है, बाहर भी गंदगी फैलती है। नगर निगम का चलित शौचालय वाहन रामघाट पर खड़ा रहता है, लेकिन गंदगी के कारण इसका भी उपयोग कम ही लोग करते हैं।
पेयजल- पेयजल के लिए प्याऊ की व्यवस्था है लेकिन कई बार इसमें शीतल व स्वच्छ पानी उपलब्ध
नहीं होता है।
पार्र्किंग- घाट क्षेत्र में पार्र्किंग व्यवस्था बदलती रहती है। वैसे तो घाट पर वाहन लाना प्रतिबंधित है लेकिन निगरानी नहीं होने से घाट पर दर्जनों दोपहिया वाहनों का बेतरतीब जमावड़ा रहता है। जब घाट पर वाहन नहीं आने दिए जाते थे बाहर सड़क पर वाहनों की कतार लग जाती है।
Published on:
18 Jun 2018 01:06 pm
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