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तपती दोपहरी में कठिन साधना, याद आ गए सिंहस्थ के दिन…

पूजन-ध्यान और तपस्या चल रही है। सेवक प्रसादी बनाने में व्यस्त हैं। भक्त आशीर्वाद लेने के लिए लालायित हैं।

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उज्जैन. कोई धुनी रमा रहे तो कुछ पूजन-ध्यान में मगन...। पूजन-ध्यान और तपस्या चल रही है। सेवक प्रसादी बनाने में व्यस्त हैं। भक्त आशीर्वाद लेने के लिए लालायित हैं। यह नजारा ठीक दो साल पहले सिंहस्थ के कुछ दिनों पूर्व मंगलनाथ क्षेत्र जैसा है। बात इंदौर रोड स्थित निनौरा की हो रही है। जहां बाबा रामदास त्यागी टाटम्बरी सरकार होशंगाबाद के सान्निध्य में बड़ी संख्या में संतों-मंहतों ने डेरा डाल रखा है।


निनौरा स्थित यथार्थ फ्यूचरस्टिक एकेडमी परिसर में पांच अप्रैल से नव कुण्डीय महायज्ञ, भागवत कथा और वृंदावन के दल की रासलीला का आयोजन किया जा रहा है। संपूर्ण आयोजन टाटम्बरी सरकार के सान्निध्य में होगा। सनातन धर्म जागरण समिति के सोनू शर्मा और अनिल शर्मा के अनुसार आयोजन को लेकर महंत ध्रुवदास त्यागी के मार्गदर्शन में तैयारी चल रहीं है। करीब ७५ से अधिक संतों-मंहतों का आगमन हो चुका है और सभी के नित्य धर्म-कर्म, आराधना और तपस्या के साथ अन्य धार्मिक गतिविधियों से मात्र दो वर्ष में फिर से सिंहस्थ जैसा वातावरण बन गया है। फर्क केवल इतना है कि सिंहस्थ के पूर्व के दिनों में ऐसा वातावरण मंगलनाथ क्षेत्र में शिप्रा किनारे था, अभी इंदौर रोड पर है।


सिद्धवट पर बनेगा सुंदर प्रवेश द्वार, गयाकोठा का होगा सौंदर्यीकरण
उज्जैन. पौराणिक महत्व के सिद्धवट-गयाकोठा को तीन चरणों में संवारा जाएगा। करीब १०.५५ करोड़ रु. के प्रथम चरण की योजना तैयार हो गई है। इसके लिए हाउसिंग बोर्ड को एजेंसी बनाया गया है। इंतजार कार्य के टेंडर जारी होने का है।

धर्मस्व- संस्कृति विभाग ने दोनों धर्मस्थल क्षेत्रों का तीन चरणों में लगभग 22 करोड़ रुपए से विकास और सौंदर्यीकरण करने की योजना तैयार की है। प्रथम चरण में 10.55 करोड़ रु. से इन धार्मिक स्थलों का विकास व सौंदर्यीकरण होगा। इसके लिए तकनीकी और प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी है। शासन ने पहले चरण की योजना के लिए 10.55 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी है। धर्मस्व-संस्कृति विभाग ने दोनों धर्मस्थल क्षेत्रों को विकसित करने का जिम्मा हाउसिंग बोर्ड को सौंपा है। कार्य के टेंडर जारी होने का इंतजार है। बताया जाता है कि बोर्ड द्वारा टेंडर तैयार किया जा रहा है।

धार्मिक महत्व
पौराणिक महत्व के गयाकोठा मंदिर पर श्राद्घपक्ष में देशभर के श्रद्घालु अपने पितरों के तर्पण व श्राद्घ कर्म कराने आते हैं। गयाकोठा पर श्राद्घकर्म व तर्पण का विशेष महत्व है। यहां भगवान विष्णु के सहस्त्र चरण विद्यमान हैं। ऐसा भी माना जाता है कि गयाकोठा मंदिर उज्जैन में श्राद्घ कर्म गया (बिहार) में किए गए श्राद्धकर्म के समान होता है। इसी प्रकार सिद्घवट मंदिर को शक्तिभेद तीर्थ भी माना जाता है। यहां प्राचीन सिद्घवट है। मान्यता है कि देश में चार अक्षयवट है उनमें उज्जैन का सिद्घवट है। इसके अलावा अक्षयवट इलाहाबाद, वृंदावन, गया में है।

यह कार्य प्रस्तावित
गयाकोठा मंदिर : तर्पण व श्राद्घ कर्म कराने के लिए शेड भी बनाया जाएगा। गार्डन का निर्माण होगा। मंदिर के पास बने तालाब का भी विकास किया जाएगा। पूरे क्षेत्र में स्थायी पक्का निर्माण होगा, ताकि बारिश में समस्या नहीं हो। योजना में सिद्घवट का विकास व सौंदर्यीकरण योजना भी शामिल है। योजना के तहत सिद्घवट मंदिर में सुंदर प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। सड़क से मंदिर तक छत का निर्माण करने के साथ सौंदर्यीकरण के अन्य कार्य होगे।

इसलिए संवारने की योजना
पितरों के तर्पण और श्राद्घकर्म के लिए देशभर में प्रसिद्घ सिद्घवट मंदिर और गयाकोठा मंदिर पर प्रतिवर्ष हजारों लोग आते हैं। धर्म-कर्म के अलावा लोग क्षेत्र में पर्यटन के लिए भी आने लगे, इस उद्देश्य से भी दोनों क्षेत्र को संवारा जाएगा। पितृतर्पण के अलावा यहां लोग पर्यटन के लिए भी आकर्षित होंगे।