
उज्जैन। अधिष्टायक देव श्री मणिभद्र जी (Manibhadra) का देशभर में यह एकमात्र ऐसा तीर्थ है, जहां उनका शीश आकर गिरा था। उज्जैन में भैरवगढ़ क्षेत्र ( Bherugarh Ujjain) में स्थित इस मंदिर का करीब 600 साल पुराना इतिहास रहा है। प्राचीन मंदिरों की शृंखला में यह मंदिर विक्रम संवत 1540 के समय का है। बताया जाता है कि भैरवगढ़ धाम में शीश तथा धड़ एवं चरण गुजरात के दो स्थानों पर गिरे थे।
श्री मणिभद्र यक्षराज तीर्थ धाम ट्रस्ट के अभय मेहता व सुभाष दुग्गड़ के अनुसार जैन धर्म के चमत्कारिक, अधिष्टायक देव श्री मणिभद्र वीर की जन्मस्थली उज्जैनी ही रही है। माणक शाह के नाम से प्रसिद्ध यह सेठ उज्जैन में ही जन्मे थे। अपनी गलतियों के पश्चाताप स्वरूप जब वे अन्न, जल त्यागकर गुजरात के शत्रुंजय तीर्थ पर दर्शन को जा रहे थे। रास्ते में डाकुओं ने लूट के इरादे से उन पर हमला बोलकर शरीर के तीन भाग कर दिए।
चमत्कार स्वरूप उनका मस्तक उनकी जन्मस्थली उज्जयिनी में ही आकर गिरा। शिप्रा किनारे स्थित इस प्रसिद्ध तीर्थस्थल भैरवगढ़ में देश का एकमात्र मणिभद्र देव का मूल तीर्थ विकसित हुआ, जिसे जैन धर्मावलंबी श्री मणिभद्र यक्षराज तीर्थ धाम के नाम से जानते हैं। देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन, हवन व पूजन कर अपने मनोवांछित की पूर्णता करते हैं।
600 साल से काल के थपेड़े खा-खाकर जीर्ण-शीर्ण हुई माणिभद्रजी की हवेली पंन्यास प्रवर गुरुदेव अभयसागर महाराज के लिखित आदेश से उनके शिष्य आचार्य अशोक सागर सूरिश्वरजी ने इस जन्म भूमि हवेली का जीर्णोद्धार करवाया और इसका नाम केशरियानाथ दादा के रूप में विख्यात हुआ। जिनालय का निर्माण 11 फरवरी 2010 में इस तीर्थ की स्थाना पूर्ण हुई। आज यहां यात्रियों के ठहरने व भोजन की उत्तम व्यवस्था है।
मंदिर से जुड़ा इतिहास
मंदिर से जुड़े इतिहास पर गौर करें तो माणक शाह सेठ शत्रुंजय तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे और उनके साथ भारी लाव-लश्कर होने पर मार्ग में डाकुओं ने हमला बोल दिया। इसमें उनका धड़ गुजरात के आगलोट व निचला हिस्सा मगरवाड़ा में गिरा। वहीं उनकी जन्मस्थली उज्जैनी में उनका तीसरा भाग यानी मस्तक आकर गिरा। यही कारण है कि इस मूल स्थान पर देशभर के जैन समाजजन जुटते हैं। यही माणकशाह आगे चलकर अधीष्ठायक देव के रूप में पूजे गए। कई बड़े केंद्रीय मंत्री, सीनियर आईएएस ऑफिसर सहित बड़े उद्योगपति यहां विशिष्ट हवन आदि करवाते हैं क्योंकि जैन धर्म में श्री मणिभद्र देव को मनोवांछित देने वाला एकावतार देव माना गया है।
Updated on:
26 Aug 2022 12:26 pm
Published on:
26 Aug 2022 12:18 pm
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