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महाकाल मंदिर : भक्त खरीद सकेंगे बाबा की पगड़ी और ये शृंगार…

श्रद्धालु ले सकेंगे राजा महाकाल की पगड़ी, त्रिशूल, मूल्य तय कर रखा जाएगा विक्रय के लिए, स्थान की तलाश

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उज्जैन. राजाधिराज महाकाल को उनके भक्तों द्वारा अनेक सामग्री अर्पित की जाती है। इन सामग्री को भक्त अपने साथ ले सकेंगे। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा उपयोग में नहीं आ रही सामग्री जिसमें बाबा की पगड़ी, त्रिशूल, घंटी आदि को मूल्य तय कर विक्रय करेंगी।

भक्तों द्वारा अर्पित विभिन्न सामग्री

भगवान महाकाल को भक्तों द्वारा अर्पित विभिन्न सामग्री, पगड़ी, घंटी, पात्र और वस्त्र से मंदिर का कोठार भर गया है। श्रद्धालुओं द्वारा बड़ी-बड़ी पगडी भगवान को अर्पित कर धारण कराई जाती है। यह क्रम सतत् चलने के कारण एक बार उपयोग के बाद इन्हें कोठार में रख दिया जाता है। एेसी स्थिति भगवान को भेंट में प्राप्त पीतल की घंटियों, त्रिशूल, नाग, लोटे, आरती और अन्य पात्र की है। भगवान को लगातार भेंट मिलती रहने के कारण अधिकांश वस्तुओं का दूसरी मर्तबा उपयोग ही नहीं होता है। कोठार भर गया हैं। अधिक संग्रहण और स्थान की कमी की वजह से व्यवस्थित रखने में परेशानी होती है। अब भक्तों द्वारा भगवान को अर्पित पगड़ी, घंटी और चांदी-सोने के अलावा अन्य धातुओं की सामग्री का विक्रय होगा। मंदिर प्रबंध समिति ने चांदी की सामग्री को छोड़कर अन्य धातुओं की सामग्री, घंटी, पगड़ी एवं अन्य सामग्री का डिस्प्ले करके इन सामग्री का दान राशि तय कर बिक्री के लिए रखे जाने का निर्णय भी लिया गया। मंदिर प्रबंध समिति सामग्री की वास्तविक स्थिति को मूल्याकंन-सत्यापन कर विक्रय की राशि तय करने के बाद मंदिर के एक निश्चित स्थान पर प्रदर्शित करेंगे। श्रद्धालु मंदिर समिति द्वारा तय राशि का भुगतान कर सामग्री को अपने साथ ले जा सकेंगे। सामग्री प्रदर्शन स्थल की खोज की जा रहीं है।

फिलहाल इतनी सामग्री विक्रय योग्य
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा मूल्याकंन-सत्यापन के बाद प्रभम चरण में निम्न सामग्री को विक्रय योग्य पाया है।

- बाबा की धारण की गई 75 पगडि़यां।

- आधा किलो से लेकर ८ किलो तक की ५०० घंटियां।

- चांदी-सोने को छोड़कर विभिन्न धातुओं के ५० नाग।

- चांदी-सोने को छोड़कर विभिन्न धातुओं के ४५ त्रिशूल।

- चांदी-सोने को छोड़कर विभिन्न धातुओं के बड़ी संख्सा में लोटे, आरती, कलश अन्य पात्र।

मंदिर परिसर में गलेगी चांदी
महाकाल मंदिर के कोठार में बड़ी मात्रा में चांदी की सामग्री है। इनका उपयोग नहीं हो रहा है। प्रथम चरण में करीब १३२ किलो चांदी को मंदिर में ही भट्टी लगाकर गलाया जाएगा। इसमें से कुछ चांदी से भगवान के आभूषण तैयार होंगे। शेष चांदी को मंदिर रखा जाएगा।