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अंधविश्वास: हर मंगलवार व शनिवार को देते हैं 20 से 25 हजार लोगों को झांसा, काढ़ा पिलाकर कैंसर का उपचार

शहर से मात्र 11 किलोमीटर दूर स्थित गांव दल्लाहेड़ा में हर मंगलवार और शनिवार को कुछ लोग काढ़ा पिलाकर किसी भी प्रकार के कैंसर दूर करने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में हर मंगलवार और शनिवार को भीड़ उमड़ रही है। करीब 20 से 25 हजार लोग काढ़ा पीने आ रहे हैं। इस प्रकार यहां मेले जैसी स्थिति बन गई है।

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Ujjain Desk

Jul 26, 2017

mp news, patrika news, nagda, Froude, people

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नागदा.
शहर से मात्र 11 किलोमीटर दूर स्थित गांव दल्लाहेड़ा में हर मंगलवार और शनिवार को कुछ लोग काढ़ा पिलाकर किसी भी प्रकार के कैंसर दूर करने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में हर मंगलवार और शनिवार को भीड़ उमड़ रही है। करीब 20 से 25 हजार लोग काढ़ा पीने आ रहे हैं। इस प्रकार यहां मेले जैसी स्थिति बन गई है। गांव के बाहर चार-चार किलोमीटर दूर तक वाहनों की पार्किंग हो रही है। कुछ दिनों पहले तक काढ़ा पिलाने वाले लोग सिर्फ नारियल लेते थे, लेकिन बढ़ती भीड़ को देखते हुए इन्होंने काढ़ा पीने वालों से नारियल की जगह फीस लेना शुरू कर दी है। इसे वो लोग हनुमान मंदिर के लिए दान बता रहे हैं। गजब यह है कि इस बारे में प्रशासन अनभिज्ञता जा रहा है। इतनी बढ़ी संख्या में लोगों के उमडऩे से भगदड़ जैसी स्थिति बन सकती है।

आस्था की ओट में अनजान जिम्मेदार अफसर:
जड़ी-बूटियों की दवा से जानलेवा बीमारियों को ठीक करने का दावा कितना सच है, इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग या प्रशासन को नहीं है। हालांकि पत्रिका को कई ऐसे लोग मिले जो दवा पीने से उनकी बीमारियां ठीक होने की बात कह रहे हैं। लेकिन हैरत कि बात यह है, कि दावे कितने सच है जानने के लिए गांव में अभी तक न तो स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची है, और ना ही प्रशासन का कोई अधिकारी। इधर स्वास्थ्य विभाग को तो इस मामले की भनक तक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुद को मामले से पूरी तरह अनभिज्ञ बता रहे हैंं।

ऐसी बताते हैं कहानी :
दावा किया जा रहा है, कि वर्ष 2016 में गांव के ही दिनेश आंजना नामक युवक को सपना आया था, कि वह जड़ी बूटियों से दवा बनाकर पीडि़तों को पिलाएं। तभी से यह व्यक्ति गांव के हनुमान मंदिर पर शनिवार व मंगलवार को जड़ी बूटियों की दवा बनाकर लोगों को पीला रहा है। और दावा किया जा रहा है, इससे कैंसर, लकवा जैसी जानलेवा व गंभीर बीमारियां ठीक हो जाती है। सोशल मीडिया और एक दूसरे से यह बातें, लोगों तक पहुंची तो यहां धीरे-धीरे लोगों की भीड़ जुटने लगी। अब हालत यह है, कि यहां प्रति मंगलवार शनिवार को 20-25 हजार लोग पहुंच रहे हैं। लेकिन इस भीड़ को संभालने की गांव में कोई व्यवस्था प्रशासन ने नहीं की है।

पर्किंग की सुविधा नहीं:
काढ़ा पीने के लिए यहां दूर दूर से लोग पहुंच रहे है, ऐसे में यहां गाडिय़ां रखने के लिए कोई पार्किंग व्यवस्था नहीं है, लोग अपने व्हीकल सड़क किनारे या खुली जगह में गाड़ी खड़ी कर रहे है। जिससे उन्हेल रोड से लेकर गांव दल्लाहेड़ा तक प्रधानमंत्री रोड पर करीब 11 किमी तक जाम लग जाता है। ऐसी स्थिति में किसी भी रोज भगदड़ या कुछ अनहोनी हो जाती है। प्रशासन के लिए मदद पहुंचाना कितना मुश्किल होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

मेले जैसे होता है आयोजन:
सप्ताह में प्रति दो दिनों तक लगने वाले आयोजन में मेले जैसे दृश्य देखने को मिलता है। इस दौरान ग्रामीणों द्वारा पुष्प मालाओं, नारियल व प्रसादी की दुकानें लगाई जाती हैं। मेले में दवाई पीने प्रतिसप्ताह 20 से 25 हजार लोग पहुंचते है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है, कि उक्त ग्रामीणों को प्रति सप्ताह कितने रुपए का लाभ लोगों द्वारा खरीदी गई सामग्री से पहुंचता है। इधर पुलिस ने जरूर 4 जवानों के तैनाती की बात कही है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या पर इतने कम जवान के सवाल पर अधिकारी कहते हैं। मंदिर समिति खुद व्यवस्था संभाल रही है।

एक्सपर्ट व्यू

ऐसा नहीं होता है, जांच होना चाहिए :
दल्लाहेड़ा में काढ़ा पिलाने का मामला आस्था व श्रद्धा से जुड़ा है। हालांकि मेडिकल सांइस में ऐसी कोई अचूक दवाई नहीं बनी, जो सभी बीमारियों को ठीक कर दे। वहां कौन सी जड़ी बूटी का उपयोग किया जा रहा है, यह जांच का विषय है। वैसे ऐसा होता नहीं है।

डॉ. संजीव कुमरावत,
पूर्व ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर

मामला आस्था से जुड़ा है, लिहाजा प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। मीडिया को इसकी सच्चाई का पता लगाकार लोगों के अंधविश्वास को दूर करना चाहिए।

रजनीश श्रीवास्तव,
एसडीएम, नागदा

इस तरह के किसी भी मामले की जानकारी नहीं। अगर ऐसा उनके क्षेत्र में कहीं हो रहा है, तो सच्चाई का पता लगाएंगे।

डॉ. हेमत रघुवंशी,
ब्लॉक मेडिकल अधिकारी

मामला आस्था से जुड़ा है, और हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे है, तो व्यवस्था बनाने के लिए चार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। हालांकि ज्यादातर व्यवस्थाएं ग्रामीणों के हाथ में रहती है।

एमआर रोमड़े,
थाना प्रभारी, उन्हेल