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चौकानें वाला खुलासा : नागदा में सांपों के इतिहास पर संदेह, नाग टेकरी पर नहीं मिले अवशेष

सांपों के दहन के नाम से प्रचलित नागदाह टेकरी पर नागों के अवशेष नहीं वरन ताम्र- पाषाणिक संस्कृति के अवशेष मिले है। चौकानें वाला खुलासा पुरातत्वविद् डॉ. आरसी ठाकुर के शोध में आया है।

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Lalit Saxena

Aug 29, 2016

Suspicion on the history of snakes in nagda

Suspicion on the history of snakes in nagda

(प्राचीन नागदाह टेकरी।)
कमलेश वर्मा@नागदा. एक रिपोर्ट के अनुसार नागदा में नागों का इतिहास रहा ही नहीं है। सांपों के दहन के नाम से प्रचलित नागदाह टेकरी पर नागों के अवशेष नहीं वरन ताम्र- पाषाणिक संस्कृति के अवशेष मिले है। चौकानें वाला खुलासा पुरातत्वविद् डॉ. आरसी ठाकुर के शोध में आया है।

नागों के दहन के नाम से प्रचलित टेकरी
ठाकुर के अनुसार नागों के दहन के नाम से प्रचलित टेकरी पर जिले सहित प्रदेश के कई भू-वैज्ञानिकों ने शोध किया है। जिसकी रिपोर्ट में मिट्टी के बर्तन, औजार व मूंग दाल के अवशेष मिले है, लेकिन सांपों से संबधित अवशेष नहीं मिले है। ठाकुर का कहना है यह बात सही है नागदा का इतिहास 3 हजार साल पुराना है। नाग टेकरी के स्थान पर पुरानी बस्तियां थी। समय के साथ बस्तियों का रूपांतर (आग लगने के बाद दोबारा बस्ती बसना) होता गया। उक्त स्थान पर कई बार आग के चलते राख एकत्र हो गई है।

सिंधिया के पत्र मामला गरमाया
हाल ही में धरोहर के संरक्षण के लिए मप्र शासन मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने नागदाह टेकरी संरक्षण के लिए कलेक्टर उज्जैन को चि_ी भेजी है। चिट्ठी का खुलासा सूचना के अधिकार में हुआ है। कलेक्टर उज्जैन को मंत्री सिंधिया ने कलेक्टर को उक्त मामले में उचित कार्रवाई के निर्देश दिए है। आरटीआई कार्यकर्ता बंटू बोडाना चंद्रवंशी नागदा को सिंधिया के भेजे निर्देशों की प्रति मिली है। दूसरी ओर बंटू बोडाना का तर्क है कि नागों का उल्लेख प्राचीन गंथों में है।

भागवत पुराण में उल्लेख
नागदा राजा जन्मेजय द्वारा बसाया गया एक प्राचीन नगर है। राजा जन्मेजय पांडव वंश के एक हिन्दू राजा थे। पुराणों में उल्लेख के अनुसार नागदा का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां पर राजा जन्मेजय ने नागों का दहन करने के लिए एक यज्ञ किया था। किंवदति यह भी है कि अपने पिता राजा परिक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए प्रतिशोध स्वरूप उनके पुत्र जन्मेजय ने नागदाह यज्ञ किया था।

नाग नहीं चम्मच व दाल के दानें मिले
पुरातत्वविद डॉ. ठाकुर के अनुसार टेकरी की खुदाई के दौरान टेकरी से सांपों के अवशेष के अलावा मिट्टी के बर्तन, लोहे के अस्त्र व चौकानें वाली बात खाने वाली दाल के दाने मिले हैं। जो यह प्रमाणित करते है कि उक्त वस्तुएं तीन हजार साल पुरानी है। जब-जब जीवन आग के कारण नष्ट हुआ है, उक्त स्थान पर राख का ढेर बनता गया है।

खुदाई में मिले उपकरण
मालवा के परमार नरेशों के अभिलेखों में नागदा का प्राचीन नाम नागदा मिलता है। नागदा की सीमा में किए उत्खनन में प्रारंभिक लौह संस्कृति के प्रमाण मिले हैं। खुदाई के दौरान नागदा से दस प्रकार के लौह उपकरण मिले हैं। जिनमें दुधारी, कटार, कुल्हाड़ी का मूंठ, चम्मच, चिमटी, कुल्हाड़ी, छल्ला, बाणाग्र, चाकू और हसिया है, लेकिन सांपों के अवशेष नहीं मिले हैं। उत्खननों एवं अन्य स्थलों की खुदाई के आधार पर नागों के दहन को औचित्यपूर्ण नहीं माना गया है, इन पूरा स्थलों पर ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति के तत्काल बाद ऐतिहासिक युग की संस्कृति का प्रारंभ माना गया है।

सांपों के अवशेष मिलना जरुरी नहीं
विज्ञान को चुनौती देते हुए शहर के धर्मविदों का तर्क है कि सांपों के अवशेष लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रहते। नागदाह टेकरी के नाम से नागदा की पहचान है। सांपों के अवशेष मिलना कोई आवश्यक नहीं है, सांपों में हड्डियां कम होती है। दहन को ग्रंथ नहीं नकारता। शोध वैज्ञानिकों के अपने अलग मत है। पुराणों में नागदाह का उल्लेख मिलता है।

पूर्व में जंगल व राख
वर्ष 2013 में पूरातत्वविद् डॉ. आरसी ठाकुर की शोध संस्थान के करीब 16 विद्यार्थियों ने इंदौर की एक टीम के साथ टेकरी का सर्वे कर खुदाई की थी। जिसमें मिट्टी व खुदाई कर अवशेष एकत्रित किए थे। रिपोर्ट में सांपों के अवशेष नहीं पाए। टेकरी पर मौजूद राख लकडिय़ों की है जो समय के साथ कठोर होकर चूना पत्थर में तब्दील हो रहा है। उत्खनन का उद्देश्य इंदौर की शोध संस्था द्वारा मप्र के ऐतिहासिक महत्व को खोजना था। टेकरी का अधिकांश हिस्सा उद्योग से निकलने वाली ऐश (राख) की चपेट में है। डॉ. ठाकुर ने नागों के दहन नहीं होने की सत्यता को साबित करने के लिए दोबार सर्वे करने की बात भी कही है। टेकरी के गर्भ में खुदाई पर लकडिय़ों की राख ही मिलेगी।

वाकणकर ने भी खंगाला
टेकरी में दबे राज को पुरातत्वविद डॉ. विश्री वाकणकर ने वर्ष 1955 में नागदाह टेकरी का निरीक्षण कर लंबे समय तक शोध किया था। 8 अगस्त 2012 को तात्कालीन नपा अध्यक्ष शोभा यादव ने टेकरी को पर्यटन की दृष्टि से संरक्षित करने का प्रस्ताव किया था। जिसके लिए जिला मुख्यालय से वास्तुविद् राजेश उस्मानी भी नागदा गए थे।

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