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video : दो क्विंटल मोगरे के फूलों से महका महाकाल का दरबार…

राजस्थान के एक भक्त 6 साल से कर रहे हैं महाकाल का अनूठा शृंगार।

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उज्जैन. भगवान महाकालेश्वर का दरबार दो क्विंटल मोगरे के फूलों से महक उठा। राजस्थान के सोना-चांदी व्यापारी शेखर अग्रवाल लगभग 6 वर्षों उज्जैन आकर भगवान महाकालेश्वर का फूलों से शृंगार करते हैं। गर्भगृह से लेकर मंदिर प्रांगण का हर कौना मोगरे से फूलों से महक रहा था। अनूठे शृंगार को करने में करीब 16 लोगों की टीम जुटी।

प्रतिदिन होते हैं अनूठे शृंगार
भस्मी रमैया राजाधिराज बाबा महाकाल के प्रतिदिन अनूठे शृंगार होते हैं। दिनभर में वे पांच रूपों में भक्तों को दर्शन देते हैं। सुबह 4 बजे भस्म आरती की जाती है। इस दौरान मनभावन शृंगार किया जाता है। महाकाल के इस अद्भुत रूप का दर्शन कर भक्त धन्य होते हैं। इसके बाद सुबह 10.30 बजे भोग आरती में झांझ-डमरुओं की गूंज पर बाबा को महाभोग लगाया जाता है।

शंख-झालर से होती है बाबा की आरती
भोलेनाथ महाकाल की आरती में शंख-झालर, नगाड़े और डमरुओं की गूंज से आरती होती है। प्रतिदिन भगवान महाकाल का आंगन जयकारों से गूंजता है। बिल्व पत्र, भांग और चंदन से अलौकिक शृंगार किया जाता है। भोलेनाथ भगवान महाकाल अपने भक्तों को निराले स्वरूप में दर्शन देते हैं। चंदन-ड्रायफ्रूट आदि से उन्हें सजाया जाता है। शृंगार भी ऐसा कि देखते ही मन आनंदित हो जाए।

जल-दूध से होता है पंचामृत स्नान
भोलेनाथ महाकाल को जल-दूध, दही और चंदन से स्नान के बाद पंचामृत पूजन किया जाता है। राजाधिराज महाकाल का मनभावन शृंगार और ज्योतिर्लिंग पर चंदन से आकर्षक स्वरूप बनाया जाता है।

भांग और ड्रायफ्रूट से शृंगार
प्रतिदिन अनूठे शृंगार होते हैं। भस्मी रमाने वाले बाबा महाकाल को पहले जल-दूध से स्नान कराया जाता है, इसके बाद भस्मी रमाई जाती है। भांग और ड्रायफ्रूट का शृंगार किया जाता है। उनके मुख पर चंदन का त्रिपुंड तो गले में पुष्पों की माला शोभा बढ़ाती है। तरह-तरह के सूखे मेवे भी शृंगार में उपयोग किए जाते हैं। बाबा का यह रूप बड़ा ही मनोहारी होता है। विविध प्रकार के शृंगारों में भांग शृंगार सबसे अनूठा और खास माना जाता है।

तन पर लगाते हैं भस्मी
तन पर भस्मी लगाते हैं और मृगछाला ओढ़कर भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देते हैं। बाबा महाकाल त्रिपुरारी का स्वरूप बड़ा ही मनोहारी है। भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। उनके कई रूप हैं, सभी झलक पाने को आतुर रहते हैं। हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में उमड़ती है। जब भोले भस्मी रमाए बैठते हैं, तो उनका स्वरूप बड़ा ही मनोहारी नजर आता है। सुबह भस्मी से स्नान करते हैं। गर्भगृह में चारों तरफ भस्मी फैली होती है।

उनके भोग में लड्डू और पकवान
उनके भोग में लड्डू और पकवान रखे जाते हैं। वे बड़े ही जतन से भोग लगाते हैं। बाबा महाकाल की शंख-झालर और डमरू के साथ बाबा की आरती हुई। पंडे-पुजारी इनका अनोखा शृंगार करते हैं। फिर बाबा महाकाल को नैवेद्य का भोग अर्पण किया जाता है।