शहर में लगने वाले स्वास्थ्य शिविरों में चौंकाने वाले हालात सामने आ रहे, कहीं २७ फीसदी प्री डायबिटीक पाए गए तो कहीं 10 प्रतिशत अधंत्व के नजदीक मिले
उज्जैन.
30 की उम्र के बाद नियमित स्वासथ्य परीक्षण नहीं करवाना, कई माममलों में गंभीर परिणाम दे रहा है। विशेषकर डायबिटीज के मामले में जिले में ही ऐसे कई नए मरीज सामने आ रहे हैं जिनका शुगर लेवल २५० के पार है और उन्हेंं डायबिटीक होने का पता तक नहीं था। यही नहीं, बीमारी को लंबे समय तक नजर अंदाज करने से शरीर के अन्य अंग खराब होने के केस भी मिल रहे हैं।
विभिन्न सामाजिक व स्वास्थ्य संगठन, एनजीओ या अन्य माध्यम से जिले में समय-समय पर हैल्थ चेकअप कैंप आयोजित होते हैं। सामान्य गतिविधि की तरह लगने वाले इन शिविरों की रिपोट्स डायबिटीज के पुराने मरीजों के साथ युवाओं को भी अलर्ट करने वाली है। क्योंकि शिविर में ऐसे कई युवाा मिल रहे हैं जो अनायास कैंप में आए और जांच में उन्हें पता चला कि वे डायबिटीक या प्री-डायबिटीक हैं। शिविर आयोजक कहते हैं कि ऐसे युवाओं के लिए यह चौकाने वाला समय होता है क्योंकि इससे पहले उन्हें अंदाजा ही नहीं था कि वे मधुमेह से ग्रस्त हैं। पत्रिका ने हाल ही में आयोजित कुछ स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों की रिपोट्स की समीक्षा की। आंकड़ों की स्थिति वाकई भयावह और सचेत करने वाली मिली हैं।
शुगर से अंधत्व की समस्या बढ़ रही
जिला रेड क्रोस सोसायटी सचिव ललित ज्वैल बताते हैं, हाई ब्लड शुगर से डायबिटिक रेटिनोपैथी नामक, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी बीमारी हो सकती है। चिंता की बात है कि आज भी कई मरीज डायबिटीज के गंभीर परिणामों को लेकर सचेत नहीं है। शुगर के ऐसे मरीज भी सामने आते हैं जिन्हें देखने में समस्या होने पर वे चिकित्स के पास नहीं जाते बल्कि चश्मे की दुकान से कम्प्युटराइज्ड जांच करवाते और बढ़े हुए नंबर का चश्मा पहन लेते हैं। कुछ समय बाद उन्हें फिर दृष्टी बाधा होती है। नेत्र परीक्षण शिविर में ऐसी स्थितियां सामने आ रही हैं।
श्री क्लीनिक स्वास्थ्य शिविर- ४० से कम उम्र के ४२ मरीज प्री-डायबिटीक
रिपार्ट-
- कुल 240 मरीजों में से 156 की शुगर जांच हुई।
- 12 ऐसे नए मरीज चिन्हित हुए जिन्हें पता ही नहीं था कि उन्हें डायबिटीज है। इनकी उम्र 30 से 52 वर्ष थी।
- 42 मरीज को प्री-डायबिटीज मिली। इनका शुगर लेवल 120 से 180 के बीच था। यह सभी 40 से कम उम्र के थे। इनमें से अधिकांश मोटे थे। कुछ के परिवजन डायबिटीक हैं।
- 66 मरीज की शुगर नार्मल थी लेकिन इनमें से किसी को लकवा, किसी को हार्ट अटैक तो किसी को आंख की समस्या हो चुकी है।
- 36 मरीजों की शुगर बढ़ी हुई मिली।
- 56 मरीजों का एचबीए1सी टेस्ट हुआ। 40 की शुगर नार्मल जबकि 16 की बढ़ी हुई थी।
रेड क्रास सोसायटी शिविर- 12 मरीजों की स्थिति गंभीर
- कैंप में कुल 126 मरीजों का नेत्र परीक्षण किया गया।
- इनमें से 52 मरीजों को ऑपरेशन के लिए चिन्हित किया गया है।
- चौकाने वाला आंकड़ा है कि 52 में से 13 मरीजों को डायबिटीज व बीपी के कारण ऑपरेशन करवाना पड़ रहा है।
- इन 13 मरीजों में से 12 की दोनो आंख शुक्रर-बीपी के कारण डैमेज हुई है। यह अंधत्व की ओर बढ़ रहे हैं। एक मरीज की स्थिति अधिक गंभीर है।
- मरीजों हिस्ट्री जानने पर सामने आया कि 4 मरीज ऐसे थे जिन्हें दिखाई देने में परेशानी होने पर वे आप्टीकल्स दुकान पर जांच करवाकर बढ़े हुए नंबर का चश्मा पहन लेते थे। शुगर-बीपी पर ध्यान ही नहीं दिया।
- नेत्र रोग से जुड़े कुल 126 मरीजों में से 13 की आंखे शुगर-बीपी से खराब होने का मतलब 10 प्रतिशत से अधिक लोग इन कारणों से दृश्टि दोष का शिकार हो रहे हैं।
टॉपिक एक्सपर्ट
बीमारी की अनभिज्ञता खतरे को और बढ़ाती है
डायबिटीज दीमक जैसी बीमारी है। मरीज को पता नहीं चलता और शरीर को नुकसान पहुंचता रहता है। इसके लक्षण भी किसी में सामान्य, किसी में असामान्य रहते हैं। विशेषकर युवाओं में बीमारी के लक्षण आसानी से नजर नहीं आते इसलिए उन्हें महसूस ही नहीं होता कि उन्हें कोई समस्या है। बीमारी से ज्यादा खतरनाक होता है बीमारी की जानकारी न होना। बीमारी के प्रति अनभिज्ञता, मर्ज को और बढ़ादेती है। इसलिए जरूरी है कि स्वस्थ व्यक्ति को भी कम से कम वर्ष में एक बार चिकित्सक से पूरा स्वास्थ्य परीक्षण अवश्यक करवाना चाहिए। यदि मधुमेह की समस्या मिलती है तो इसका उपचार करवाएं। कई लोग शुगर कंट्रोल में रहने पर दवाई खाना छोड़ देते हैं, जिससे उन्हें फिर समस्या होने लगती है। मरीज नियमित दवाई खाएं। जीवन में कुछ एस जैसे , स्लीप, स्ट्रेस, सन, शुगर, साल्ट, सिस्टोरिक बीपी का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- प्रो. डॉ. विजय गर्ग, एमडी मेडिसिन