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Video… तीन मंजिल से फेंकने पर नहीं टूटा स्ट्रक्चर और १० फीट से गिरकर बिखरीं सप्त ऋषियों की प्रतिमाएं… सैंपल और मूर्तियोंं में अंतर था!

सप्त ऋषियों पर आंच...१० लाख की प्रतिमा में १० हजार का स्टीफनर ब्रेङ्क्षसग नहीं लगाया, फाइबर की ५ एमएम मोटाई पर भी सवाल

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उज्जैन. श्री महाकाल लोक में एफआरपी की प्रतिमाएं लगाने से पूर्व तकनीकी रूप से इन्हें ठोक बजाकर देखा गया था। इनसे बने कुछ स्ट्रक्चर को तीन मंजिल ऊंचाई से फेंककर मजबूती परखी गई। तब इतनी ऊंचाई से गिरने पर भी एफआरपी के स्ट्रक्चर टूटे नहीें। अब बड़ा सवाल है कि महाकाल लोक में लगाई प्रतिमाओं में ऐसी क्या खामी रह गई कि महज १० फीट ऊंचे पेडलस्टैंड से ही गिरकर सप्तऋषि की प्रतिमाएं खंडित हो गई हैं। क्या टेस्ट सैंपल और लगाई प्रतिमाओं की क्वालिटी में अंतर रखा गया।
क्वालिटी कंट्रोल प्रक्रिया कठघरे में
हवा के दबाव से प्रतिमाओं के गिरने की घटना से क्वालिटी कंट्रोल प्रक्रिया कठघरे में आ गई है। सूत्रों के अनुसार, महाकाल लोक में एफआरपी (फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक) की प्रतिमा लगाने से पूर्व इसकी गुणवत्ता, लागत आदि पर कई बार तकनीकी मंथन हुआ था। इस मटैरियल पर बारिश, हवा, आग आदि का असर नहीं होने के दावे किए थे। सीपेट (सेंट्रल इंस्टीट््यूट फार प्लास्टिक एंड इंजीनियङ्क्षरग टैक्नोलॉजी) की टीम ने परीक्षण कर ओके रिपोर्ट दी। समय-समय पर तकनीकी टीम ने परीक्षण किए। स्मार्ट सिटी कंपनी कार्यालय की दूसरी-तीसरी मंजिल से चार-चार फिट के एफआरपी निर्मित हाथी व अन्य स्ट्रक्चर को फेंक कर देखा गया था। तब यह स्ट्रक्चर क्षतिग्रस्त नहीं हुए लेकिन ढाई वर्ष पूर्व इन्सटॉल सप्तऋषि की प्रतिमाएं न तेज हवा का दबाव झेल सकी और नहीं गिरने के बाद साबित रह पाईं। मामले में प्रदेश की राजनीतिक गरमाई गई वहीं संबंधित कई अधिकारियों से चुप्पी साध ली है।
बिना स्ट्रक्चर खड़ी कर दी विशाल प्रतिमाएं
सप्तऋषि की दस लाख रुपए की प्रतिमा में मजबूती के लिए १०-१५ हजार रुपए के स्टीफनर ब्रेङ्क्षसग ही नहीं लगाए गए थे। प्रतिमाओं को महज स्टील की चोकोर फ्रेम पर फीट किया गया था। हवा का दबाव आने पर प्रतिमा व फ्रेम के बीच का सोल्युशन व फिङ्क्षटग उखड़ गई और प्रतिमाएं गिर गईं।
तकनीकी जांच शुरू
घटना के बाद सप्तऋषि की प्रतिमाएं गिरने की तकनीकी जांच शुरू हो गई है। साथ ही श्री महाकाल लोक में स्थापित अन्य प्रतिमाओं का भी स्मार्ट सिटी की टीम टेक्निकल ऑडिट कर रही है। ऑडिट में सामने आने वाली खामियों को दूर करने के बाद जरूरत पडऩे पर थर्ड पार्टी इन्सपेक्शन भी हो सकता है। इस संबंध में स्मार्ट सिटी एसई निरज पांडे ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक भी फोन पर उपलब्ध नहीं हुए।
पीएमओ ने जानकारी तलब की!
श्री महाकाल लोक में प्रतिमाएं गिरने व क्षतिग्रस्त होने का मामला दिल्ली तक पहुंच गया है। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय से घटना व कार्य की तथ्यात्मक जानकारी तलब की गई है। मंगलवार को स्मार्ट सिटी कंपनी रिपोर्ट तैयार करने में जुटी रही। हालांकि इसकी अधिकृत पुष्टि नहीं हुई है।
टेंडर में खेल, स्पष्ट जानकारी नहीं थी
महाकाल लोक में प्रतिमाएं लगाने को लेकर प्रारंभ में निकाले टेंडर में ही गड़बड़ी थी। इसमें नॉन एसओआर आयटम अंतर्गत भगवान शिव की थीम पर ९ से १५ फीट ऊंचाई के स्क्लप्चर्स बनाने के लिए प्रस्ताव बुलवाए थे। इसमें सिर्फ प्रतिमा का आकार और उसकी कीमत उल्लेखित थी। एफआरपी की मोटाई, कौनसा केमिकल उपयोग होगा, स्ट्रक्चर कैसा बनेगा, अन्य गुणवत्ता, प्रतिमा सामान्य या विशिष्ट आदि डिस्के्रप्शन ही नहीं था। टेंडर में ड्राइंग डिजाइन भी नहीं दी गई।
पीएमओ ने जानकारी तलब की!
श्री महाकाल लोक में प्रतिमाएं गिरने व क्षतिग्रस्त होने का मामला दिल्ली तक पहुंच गया है। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय से घटना व कार्य की तथ्यात्मक जानकारी तलब की गई है। मंगलवार को स्मार्ट सिटी कंपनी रिपोर्ट तैयार करने में जुटी रही। हालांकि इसकी अधिकृत पुष्टि नहीं हुई है।
टेंडर में खेल, स्पष्ट जानकारी नहीं थी
महाकाल लोक में प्रतिमाएं लगाने को लेकर प्रारंभ में निकाले टेंडर में ही गड़बड़ी थी। इसमें नॉन एसओआर आयटम अंतर्गत भगवान शिव की थीम पर ९ से १५ फीट ऊंचाई के स्क्लप्चर्स बनाने के लिए प्रस्ताव बुलवाए थे। इसमें सिर्फ प्रतिमा का आकार और उसकी कीमत उल्लेखित थी। एफआरपी की मोटाई, कौनसा केमिकल उपयोग होगा, स्ट्रक्चर कैसा बनेगा, अन्य गुणवत्ता, प्रतिमा सामान्य या विशिष्ट आदि डिस्के्रप्शन ही नहीं था। टेंडर में ड्राइंग डिजाइन भी नहीं दी गई।
२० प्रतिशत मटैरियल का इस्तेमाल
प्रतिमा में जिस धातु-मटैरियल का उपयोग होना चाहिए था, उसका २० प्रतिशत ही उपयोग किया है।
प्रतिमाओं का निर्माण गुणवत्ताहीन है।
मूर्तियों के निर्माण में बड़ा घोटाला हुआ है।
जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ एफआइआर करवाई जाएगी।
उच्च स्तरीय जांच के लिए हाइकोर्ट में जनहित याचिका लगाएंगे।
(जैसा दौरे के बाद विशेषज्ञों से चर्चा का हवाला देते हुए कांग्रेस के जांच दल ने बताया )
टॉपिक एक्सपर्ट
पाइंट ऑफ कांटेक्ट महत्वपूर्ण
एफआरपी ऐसा मटैरियल होता है जिसमें आर्टिस्ट को कार्य करने की काफी आजादी रहती है। इसका वजन कम होता है और तुलनात्मक सुंदरता अधिक दी जा सकती है। इस मटैरियल से बड़े आकार की प्रतिमाएं भी बनाई जा सकती है। प्रतिमा के आकार प्रकार के मान से इसकी मोटाई 5 एमएम से १० एमएम होती है। वजन में हल्की होती हैं इसलिए प्रतिमा बनाने के साथ ही इन्हें फिक्स करना महत्पूर्ण होता है। मजबूती के लिए प्रतिमाओं को स्टील के स्ट्रक्चर या स्टीफनर ब्रेङ्क्षसग पर बनाया जाए और मजबूत इंस्टॉलेशन किया जाए। यदि प्रतिमाओं का पाइंट ऑफ कांटेक्ट मजबूत होता तो उनका आकार थोड़ा बिगड़ जाता, वह गिरती नहीं।
-अशोक भार्गव, आर्किटेक्ट
बिहार से आए मूर्तिकार कर रहे सप्त ऋषियों को दुरुस्त
आंधी से क्षतिग्रस्त हुई सप्तऋषियों की प्रतिमाओं को सुधारने का कार्य शुरू हो गया है। इसके लिए गुजरात की कंपनी ने बिहार के आधा दर्जन से अधिक मूर्तिकारों की टीम बुलाई है। मूर्तिकार एफआरपी की प्रतिमाओं को पहले की तरह बनाने में जुटी हैं। कुछ प्रतिमाओं के अंग दोबारा जोड़ भी दिए गए हैं। बुधवार शाम तक सभी प्रतिमाएं पूर्व की तरह बनाने का प्रयास है। घटना को लेकर कुछ कलाकारों का भी कहना था कि जिनती मजबूती से प्रतिमाएं फिक्स किया जाना चाहिए था, संभवत: उतनी मजबूती नहीं दी गई थी।

कांग्रेस की जांच समिति ने तकनीकी विशेषज्ञों के साथ किया दौरा
इधर, भ्रष्टाचार की एफआइआर कराएगी कांग्रेस
उज्जैन/भोपाल. महाकाल लोक में स्थापित सप्त ऋषियों की 6 मूर्तियों के ध्वस्त होने की घटना को कांग्रेस ने सुनियोजित भ्रष्टाचार करार दिया है, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा गठित जांच समिति के सदस्यों ने मंगलवार को महाकाल लोक पहुंचकर वहां हुए घटिया एवं गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्यों को देखा। जांच समिति ने नीलगंगा स्थित जूना अखाड़ा पहुंच श्री पंच दशनाम अखाड़ा के प्रमुख महंतश्री हरि गिरि से भी चर्चा की एवं उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया।
जांच समिति के साथ विषय विशेषज्ञ और मूर्ति निर्माता भी थे जिन्होंने यह दावा किया कि स्थापित मूर्तियों के निर्माण में भी बड़ा घोटाला हुआ है। जांच समिति सदस्य सज्जन सिंह वर्मा, विधायक महेश परमार, मुरली मोरवाल, उज्जैन जिले की प्रभारी शोभा ओझा, मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा हैं जिनके साथ गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया व शहर कांग्रेस अध्यक्ष रवि भदौरिया सहित अनेकों कांग्रेस जन भी उपस्थित थे।
समिति ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट जिसमें तकनीकी खामियों का भी जिक्र किया जाएगा। रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सौंपेगे। अध्ययन उपरांत दोषियों के विरुद्ध एफआईआर भी करवाई जाएगी और हाईकोर्ट में भी उच्च स्तरीय जांच के लिए जनहित याचिका दायर करेंगे।
दौरे के बाद सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि कमीशन राज में 50 प्रतिशत से अधिक भ्रष्टाचार करने वालों ने भगवान को धोखा देने में कोई गुरेज नहीं किया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम कमलनाथ ने महाकाल लोक की कल्पना को साकार करने के लिए 350 करोड़ की योजना न केवल स्वीकार की थी बल्कि बजट आवंटन का प्रावधान कर दिया था, यदि उनकी सरकार नहीं जाती तो उच्च गुणवत्ता वाला बेहतर निर्माण हो जाता। सरकार ने 800 करोड़ रुपयों का खर्च कर गुणवत्ताहीन निर्माण करवाकर वहां भारी भ्रष्टाचार किया है। निर्माण देखकर तो लग रहा है कि इन निर्माण कार्यों में 50 प्रतिशत नहीं, बल्कि 80 प्रतिशत कमीशनखोरी की गई है।
तमाशा घुसकर देखते हैं
पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने से मीडिया ने बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा करवाने का सवाल किया। वर्मा ने बाले, पन्ना में जिस दिन मेरी बड़ी सभा थी, कमलनाथजी ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्रीजी ने बुलाया है, मिलते हुए चले क्या, तो मैंने कहा चलो साब अपन भी तमाशा घुसकर देखते हैं। ऐसे चमत्मकारी लोगों के दर्शन हो तो अच्छा रहता है लेकिन शंकराचार्यजी ने भी कुछ कहा है इन लोगों के बारे में, जरा उस पर भी ध्यान देना चाहिए।