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उज्जैन. लगातार चौथे वर्ष भी नवरात्रि पर्व आठ दिनों का रहेगा। भक्त इन्हीं आठ दिनों में नौ देवियों की आराधना करेंगे। अष्टमी व नवमी तिथि 25 मार्च को एक ही दिन होने से यह स्थिति निर्मित हुई है। वर्ष 2015 से अब तक लगातार चैत्र नवरात्रि आठ दिन की ही रही है। ज्योतिषों-पंडितों ने इसका कारण तिथियों में घट-बढ़ होना बताया है। दूसरी ओर नवरात्रि के पहले ही दिन गुड़ी पड़वा और विक्रम नवसंवत्सर 2075 का शुभारंभ होगा।
नए वर्ष का नाम विरोधकृत रहेगा
ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार नूतन वर्ष का नाम विरोधकृत रहोगा। रविवार को नववर्ष का शुभारंभ होने पर इस दिन के स्वामी सूर्य वर्ष के राजा और शनि मंत्री होंगे। खास बात यह है, कि दोनों ग्रह अनुकूल प्रभाव डालेंगे। सूर्य व शनि दोनों ग्रह परस्पर एक-दूसरे के विरोधी हैं, बावजूद इसके सूर्य के प्रभाव से वर्चस्व बढ़ेगा और शनि के मंत्री रहते न्याय व्यवस्था सुदृढ़ होगी।
2015 से चौथे वर्ष नवरात्रि आठ दिन की
वर्ष 2018 लगातार यह चौथा वर्ष है, जब चैत्र नवरात्र आठ दिन के हो रहे हैं, इसके पूर्व वर्ष 2015 में 21 से 28 मार्च तक, 2016 में 8 से 15 मार्च तक और 2017 में 29 मार्च से 5 अप्रैल तक नवरात्रि थी। वर्ष 2014 में नवरात्रि 31 मार्च से 8 अप्रैल तक पूरे नौ दिन की थी।
दो तिथियां साथ आने से बनती है स्थिति
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जब दो तिथियां एक ही दिन आ जाती हैं। तब ऐसी स्थिति निर्मित होती है। वर्तमान में नवरात्रि का शुभारंभ 18 मार्च और समापन 25 मार्च को होगा।
सर्वार्थसिद्धि योग में नवरात्रि
सर्वार्थसिद्धि योग में नवरात्रि का शुभारंभ और समापन होगा। पहले दिन नवरात्रि का शुभारंभ सर्वार्थसिद्धि योग में होगा। यह योग इस दिन सूर्योदय से रात 8.18 बजे तक रहेगा। समापन दिवस पर रामनवमी का शुभ मुहूर्त रहेगा। नए वर्ष में मेघेष शुक्र व धनेश होंगे चंद्र। इसी दिन विक्रम नवसंवत्सर 2075 का शुभारंभ होगा। इस बार नववर्ष का नाम विरोधकृत है। जिस दिन नूतन वर्ष का शुभारंभ होता है, उस दिन के स्वामी ग्रह को उस वर्ष का राजा माना जाता है।
Published on:
15 Mar 2018 11:11 am
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