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उज्जैन से जुड़े दो तहसीलदार अब जाएंगे सलाखों के पीछे, सरकार भी पीछे हटी

लोकायुक्त पुलिस अब आर्थिक अनियमितता के 23 मामलों में फंसे तहसीलदार पाण्डेय, नायब तहसीलदार दीपाली जाधव सहित छह कर्मचारियों पर शुरू करेगा कानूनी कार्रवाई

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लोकायुक्त पुलिस अब आर्थिक अनियमितता के 23 मामलों में फंसे तहसीलदार पाण्डेय, नायब तहसीलदार दीपाली जाधव सहित छह कर्मचारियों पर शुरू करे

उज्जैन. आर्थिक अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भी बेफिक्री से नौकरी कर रहे अधिकारी व कर्मचारी अब कानून की गिरफ्त में आएंगे। लंबे समय बाद शासन ने लोकायुक्त पुलिस को जिले में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी व जेल में मेल नर्स सहित छह लोगों के खिलाफ न्यायालय में चालान प्रस्तुत करने की अनुमति दे दी है। इनमें कुछ अधिकारियों पर छह-छह वर्ष पूर्व प्रकरण दर्ज थे, लेकिन अपने रसूख के दम पर इन्होंने अपनी जांच रुकवा रखी थी। अब चालान की अनुमति मिलने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने इनके प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत करेगी। इसके बाद इनके निलंबन से लेकर सजा तक कार्रवाई शुरू हो सकेगी। पत्रिका की एक रिपोर्ट...।

पाण्डेय पर २3 प्रकरण दर्ज, २०१४ से कार्रवाई रुकी
तहसीलदार नित्यानंद पाण्डेय पर विभिन्न आर्थिक अनियमितता व पद के दुरुपयोग को लेकर लोकायुक्त पुलिस में २३ प्रकरण दर्ज थे। यह सभी प्रकरण वर्ष २०१४ के हैं। छह वर्ष से तहसीदार पाण्डेय पर कार्रवाई इसलिए रुकी हुई थी शासन की ओर से चालान प्रस्तुत करने की अनुमति ही नहीं मिली थी। हालांकि अब शासन से २३ में से २१ प्रकरणों में चालान की अनुमति दी है। जल्द ही भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में प्रक्रिया शुरू होगी।

यह की थी धांधली- उज्जैन में तहसीलदार रहते नित्यानंद पाण्डेय ने जमीन नामांतरण के प्रकरणों में गड़बड़ी की थी। स्टांप शुल्क कम लेकर कम लेकर पद के दुरुपयोग सहित आर्थिक अनियमितता की थी। विभिन्न क्षेत्रों में करीब २० से अधिक मामले में दर्ज हुए है।
जाधव ने गाइड लाइन से कम दर पर रिश्तेदार को जमीन दिला दी

शहर में पदस्थ रही नायब तहसीलदार दीपाली जाधव पर पद के दुरुपयोग के साथ सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप है। लोकायुक्त ने वर्ष २०१४ में ही प्रकरण दर्ज किया था । इसके बाद से ही शासन की ओर से चालान प्रस्तुत करने की स्वीकृति नहीं मिली थी।
यह की थी धांधली- नायब तहसीलदार जाधव पर आरोप है कि उन्होंने एक कृषि भूमि की नीलामी सरकार गाइड लाइन से कम में करवा दी। वहीं नीलाम की गई भूमि अपने ही रिश्तेदार को दिलवा दी थी।

इंदिरानगर में पटवारी से मिली थी लाखों की संपत्ति
लोकायुक्त पुलिस ने पटवारी संजय पांचाल के यहां छापा डाला था। पटवारी पांचाल के यहां लाखों रुपए की संपत्ति मिली थी। वर्ष २०१४ में पटवारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का प्रकरण दर्ज किया था। शासन की ओर से अब छह वर्ष बाद चालानी कार्रवाई की अनुमति दी है।

यह की थी धांधली- लोकायुक्त पुलिस को सूचना मिली थी कि पटवारी पांचाल के पास अनुपातहीन संपत्ति है। लोकायुक्त ने छापा डाला तो जेवर, नकदी, प्लॉट सहित अन्य विलासिता के सामान मिले थे।
मेल नर्स वैष्णव ने बंदी को अस्पताल पहुंचाने ली थी रिश्वत

भैरवगढ़ कारागृह में पदस्थ मेल नर्स जितेंद्र वैष्णव पर लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज किया है। वर्ष २०१७ में उसे रंगेहाथों ट्रेप किया था। इसके बाद से न्यायालय में कार्रवाई के लिए शासन से चालान प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं मिली। अब तीन साल बाद शासन ने अनुमति दी है।
यह की थी धांधली- भैरवगढ़ कारागृह में मेल नर्स रहते हुए बंदी को जिला अस्पताल में पहुंचाने के लिए २००० रुपए मांगे थे। बंदी के भाई आदर्श भदौरिया ने इसकी शिकायत लोकायुक्त से की थी। लोकायुक्त पुलिस ने रंगेहाथों ही रिश्वत लेते धरदबोचा था।

निगम भृत्य चौहान ने शौचालय स्वीकृत कराने मांगी थी रिश्वत
लोकायुक्त पुलिस ने नगर निगम के भृत्य सतीश चौहान को शौचालय स्वीकृत कराने के मामले में वर्ष २०१६ में ट्रेप किया था। इसके बाद से लोकायुक्त को उसके चालान प्रस्तुत करने के लिए शासन से अनुमति का इंतजार था। चार वर्ष बाद शासन ने इसकी अनुमति दी।

यह की थी धांधली- निगम में भृत्य सतीश चौहान ने शौचालय स्वीकृत कराने के नाम पर ५५०० रुपए मांगे थे। छोटी मायापुरी निवासी भेरुलाल ने लोकायुक्त से शिकायत की थी। इस पर लोकायुक्त ने भृत्य चौहान को रिश्वत लेते पकड़ा था।
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लोकायुक्त को इनके चालान का इंतजार
अपर कमिश्नर थेटे पर २५ प्रकरण दर्ज नहीं मिली चालान की अनुमति

लोकायुक्त पुलिस ने तत्कालीन अपर कमिश्नर रमेश थेटे पर २५ प्रकरण दर्ज किए थे। यह सभी प्रकरण पद के दुरुपयोग को लेकर थे। इनमें सिलिंग की जमीन नियम विरुद्ध मुक्त करने के आरोप थे। इसके लिए फर्जी दस्तावेज व रिपोर्ट भी तैयार की गई थी। लोकायुक्त में दर्ज प्रकरण में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी, आरआई सहित अन्य के नाम भी शामिल हुए थे। बीते वर्षों में इसमें लोकायुक्त कार्रवाई आगे ही नहीं बढ़ पाई। लोकायुक्त को न्यायालयीन कार्रवाई के लिए शासन से चालान की अनुमति का इंतजार है। लिहाजा इस मामले में फंसे सभी अधिकारी-कर्मचारी बेफिक्री से नौकरी कर रहे हैं।
आर्थिक अनियमितता की फिर यहीं पदस्थ हो गए तहसीलदार पाटिल

लोकायुक्त पुलिस ने वर्ष २०१४ में तहसीलदार सुनील पाटिल के खिलाफ पद के दुरुपयोग का प्रकरण दर्ज किया था। बीते सालों में पाटिल अन्यत्र जगह स्थानांतरित होकर वापस शहर आ गए। पाटिल पर आरोप है कि उन्होंने ग्राम दताना के कैलाश परमार के बैंक डिफाल्टर होने पर जमीन नीलाम की थी। इसमें जमीन कलेक्टर गाइड लाइन से कम पर जमीन बेची। वहीं राधेश्याम यादव नामक व्यक्ति ९.९० लाख रुपए में विक्रय कर दी। यह राशि भी खाते में नहीं आई। वर्तमान में पाटिल दोबारा से उज्जैन में तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं।
इनका कहना

शासन की ओर से सात मामलों में चालान की अनुमति मिली है। इनमें से छह उज्जैन के और एक देवास का है। इसके बाद संबंधितों के खिलाफ न्यायालयीन कार्रवाई में तेजी लाएंगे।
- राजेश मिश्रा, एसपी लोकायुक्त